बिना ड्रेसकोड के संन्यासी थे डॉ कलाम फ्लैग::: सीआइआइ यंग इंडियन ने स्वर्गीय डॉ अब्दुल कलाम को जयंती पर दी श्रद्धांजलिफोटो :::: हैरी 1-2लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर अगर सूरज की तरह चमकना है, तो पहले सूरज की तरह जलना भी होगा. यह कोट है देश के भूतपूर्व राष्ट्रपति डॉ एपीजे अब्दुल कलाम का. उनके इस कोट को जन-जन तक पहुंचाने की जरूरत पर गुरुवार को बल दिया गया. मौका था भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआइआइ) यंग इंडियन की ओर से आयोजित डॉ कलाम के जन्मदिवस समारोह का. रूसी मोदी सेंटर फॉर एक्सीलेंस में आयोजित इस कार्यक्रम में शहर के कई स्कूलों के बच्चों ने भाग लिया. इस मौके पर मैनेजमेंट कंसल्टेंट डीडी पाठक ने विचार रखे. उन्होंने बताया कि डॉ अब्दुल कलाम कैसे भारत रत्न के लायक थे और उनके बताये मार्गों पर चल कर कैसे आगे बढ़ा जा सकता है. श्री पाठक ने कहा कि भारत को नयी गति देने में जो योगदान डॉ कलाम ने दिया है, वह अभूतपूर्व है. उन्होंने कहा कि उनके मन में सबसे ज्यादा सम्मान अपने शिक्षक, माता-पिता व परिवारवालों से लेकर छात्रों के प्रति था. डॉ कलाम चाहते थे कि यहां के नागरिक व छात्र विकसित देशों की तरह सफाई को अपने हृदय में समाहित करें. दूसरे को अपने से आगे लाने की जो कला उनमें थी, उसे युवा पीढ़ी को सीखनी चाहिये. डॉ कलाम ने कहा कि बिना किसी ड्रेस कोड के ही वे असल में संन्यासी थे, क्योंकि संन्यासी की भूमिका इसी तरह की होती है. कार्यक्रम में एक्सएलआरआइ, लोयोला, एनएसआइबीएम, केरला पब्लिक स्कूल के बच्चों ने भाग लिया.
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बिना ड्रेसकोड के संन्यासी थे डॉ कलाम
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