मैट्रिक फेल सूरज को शौक ने बनाया कुशल इंटरप्रेन्योर

मैट्रिक फेल सूरज को शौक ने बनाया कुशल इंटरप्रेन्योर- कई फ्लैट व कॉम्प्लेक्स में फैला रहा हरियाली- बागवानी के लिए बनायी अपनी कंपनीब्रजेश सिंह, जमशेदपुरभारतरत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था ‘अगर सूरज की तरह चमकना है, तो पहले सूरज की तरह जलना भी होगा’. इसे सोनारी निवासी सूरज हरपाल ने चरितार्थ किया है. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 17, 2015 12:40 AM

मैट्रिक फेल सूरज को शौक ने बनाया कुशल इंटरप्रेन्योर- कई फ्लैट व कॉम्प्लेक्स में फैला रहा हरियाली- बागवानी के लिए बनायी अपनी कंपनीब्रजेश सिंह, जमशेदपुरभारतरत्न डॉ एपीजे अब्दुल कलाम ने कहा था ‘अगर सूरज की तरह चमकना है, तो पहले सूरज की तरह जलना भी होगा’. इसे सोनारी निवासी सूरज हरपाल ने चरितार्थ किया है. सूरज हरपाल के एक शौक ने उसे आज कामयाब इंटरप्रेन्योर (खुद से पैदा किया गया बिजनेस) बना दिया है. मूलत: ओड़िशा के बोजांगिर जिला के नुआपाली गांव का रहने वाला सूरज हरपाल के पिता बिदमी हरपाल किसान हैं. किसी तरह खेती के जरिये परिवार चलता था. सूरज घर का छोटा लड़का है. एक भाई खेती में पिता का हाथ बंटाता है, तो दूसरा राउरकेला में काम कर रहा है. सूरज हरपाल 1994 की मैट्रिक की परीक्षा में फेल हो गया था. उसके बाद उसने सोचा कि अब सारे रास्ते बंद हो गये हैं. मन में आत्महत्या तक की बात आयी, लेकिन पिता के चेहरे ने उसे जीने की ललक जगायी. सूरज का बचपन से बागवानी का शौक था. वह नौकरी की तलाश में जमशेदपुर आ गया. सूरज ने एक बंगला में अपने शौक को रोजगार का जरिया बनाकर एक हजार रुपये में बागवानी शुरू कर दी. इस दौरान उसे आइडिया आया कि क्यों न शहर के फ्लैट व कॉम्प्लेक्स को हरा भरा बनाने में अपने इस हुनर का उपयोग किया जाये. उन्होंने मेसर्स सूरज हरपाल एंड कंपनी बनायी. आशियाना गार्डेन के अधिकारियों के सहयोग से काम शुरू किया. आज उसके अधीन दो दर्जन से ज्यादा लोग काम कर रहे हैं. सूरज ने बताया कि जमशेदपुर के लोगों और आशियाना गार्डेन के सहयोग से आज वह आशियाना के लगभग कॉम्प्लेक्स में बागवानी कर रहा है. इसके मेंटेनेंस की जिम्मेवारी उसकी है. वह अपनी कंपनी के जरिये बेरोजगारों रोजगार मुहैया कराना चाहता है.

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