टॉपर टॉक : नीलेश छापोलिया

टॉपर टॉक : नीलेश छापोलियाहेडिंग:::: मॉडल टेस्ट पेपर से मिलती है हेल्प नीलेश छापोलिया मार्क्स : 95.4 प्रतिशत रैंक : स्कूल टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : नरभेराम हंसराज इंगलिश स्कूल, बिष्टुपुर बोर्ड : आइसीएसइ माता-पिता : निर्मला देवी छापोलिया-नरेश कुमार छापोलिया लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर जब एक लक्ष्य लेकर आगे बढ़ते हैं तो आपको […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 27, 2015 6:58 PM

टॉपर टॉक : नीलेश छापोलियाहेडिंग:::: मॉडल टेस्ट पेपर से मिलती है हेल्प नीलेश छापोलिया मार्क्स : 95.4 प्रतिशत रैंक : स्कूल टॉपर संकाय : कॉमर्स स्कूल : नरभेराम हंसराज इंगलिश स्कूल, बिष्टुपुर बोर्ड : आइसीएसइ माता-पिता : निर्मला देवी छापोलिया-नरेश कुमार छापोलिया लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर जब एक लक्ष्य लेकर आगे बढ़ते हैं तो आपको सफलता जरूरी मिलती है. मैंने शुरू से ही इस बात पर गौर करना शुरू कर दिया था. मैं स्कूल में टॉपर्स की जगह पर अपना नाम देखना चाहता था. इसके लिए मैंने कड़ी मेहनत की. मैंने कभी किसी विषय की ट्यूशन नहीं ली. प्री बोर्ड के पहले मैं घर पर रोज दो घंटे पढ़ पाता था. इस दौरान स्कूल जाना होता था, इसलिए घर पर पढ़ने का समय नहीं मिल पाता था. दो घंटे मेें मैं आधा घंटा मैथ्स जरूर बनाता था. बचे समय में अन्य विषय पढ़ता था. प्लान कर की पढ़ायी प्री बोर्ड तक सेलेबस लगभग पूरा गया था. इसके बाद मैंने तैयारी के लिए प्लान बनाया. अब मेरे पास पढ़ने के लिए पर्याप्त समय था. मैं रोज छह घंटे पढ़ने लगा था. कॉमर्स और इतिहास में मुझे परेशानी होती थी. इन दोनों ही विषयों पर मैंने अधिक ध्यान देना शुरू किया. मैं रोज एक घंटा इतिहास और एक घंटा कॉमर्स पढ़ने लगा. आइसीएसइ में इंगलिश को महत्वपूर्ण विषय माना जाता है. इस विषय पर भी मैंने खूब मेहनत की थी. इसमें ग्रामर को मैंने बार-बार बनाया था. मैथ्स की प्रैक्टिस भी डेली करता था. अन्य विषयों का रीविजन भी रोज करता था. मॉडल टेस्ट पेपर से की तैयारी मैंने सभी विषय की किताबें तो थॉराेली पढ़ी ही थी, साथ ही मॉडल टेस्ट पेपर से भी तैयारी की थी. मॉडल टेस्ट पेपर बनाने से तैयारी अच्छी होती है. साथ ही परीक्षा में पूछे जाने वाले पैटर्न की भी समझ हो जाती है. इसे समझना बहुत जरूरी है. इस तरह बार-बार अभ्यास से मेरा कॉन्फिडेंस काफी बढ़ गया था. टीचर से फाेन पर डाउट क्लीयर कियातैयारी के दौरान मुझे किसी तरह का डाउट होता था, तो मैं टीचर से फोन पर पूछ लेता था. टीचर हर समय फोन पर उपलब्ध रहती थीं. ज्यादा परेशानी होने पर मैं व्यक्तिगत रूप से भी टीचर से मिलता था. कई बार दोस्तों से डिस्कशन कर डाउट क्लीयर कर लेता था. डिस्कशन से नयी चीजें भी पता चल जाती थीं. इसके अलावा मुझे दीदी नेहा छापोलिया से काफी मदद मिली. दीदी सीए हैं. उनसे कॉमर्स और मैथ्स संबंधी डाउट क्लीयर हाे जाते थे. तनाव दूर करने के लिए टहलता था परीक्षा नजदीक आने पर तनाव होना स्वाभाविक है. तनाव दूर करने के लिए मैं अक्सर शाम को टहल लेता था. खेल भी लेता था. पेरेंट्स से काफी मदद मिली. उनसे बातचीत कर भी तनाव दूर हो जाता था. मैं वर्तमान में नरभेराम हंसराज स्कूल में ही 11वीं में काॅमर्स पढ़ रहा हूं. आगे एमबीए करना चाहता हूं. बात पते की प्लान कर पढ़ायी करें, ताकि सारी चीजें पढ़ने का मौका मिले तनाव से दूर रहें, पढ़ने के बाद थोड़ा टहल लेंहर तरह के डाउट को समय पर क्लीयर कर लें

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