पुरस्कार लौटाना साहत्यिकारों का नाटक
पुरस्कार लौटाना साहित्यकारों का नाटकतुलसी भवन में साहित्यकारों की गोष्ठी आयोजितपुरस्कार लौटाये जाने की घटना पर हुआ मंथन जमशेदपुर : हाल के दिनों में कतिपय साहित्यकारों द्वारा अपने सम्मान लौटाये जाने की घटना पर मंथन के लिए बुधवार को आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों की खास वैचारिक प्रतिबद्धता को इसके लिए […]
पुरस्कार लौटाना साहित्यकारों का नाटकतुलसी भवन में साहित्यकारों की गोष्ठी आयोजितपुरस्कार लौटाये जाने की घटना पर हुआ मंथन जमशेदपुर : हाल के दिनों में कतिपय साहित्यकारों द्वारा अपने सम्मान लौटाये जाने की घटना पर मंथन के लिए बुधवार को आयोजित गोष्ठी में वक्ताओं ने पुरस्कार लौटाने वाले साहित्यकारों की खास वैचारिक प्रतिबद्धता को इसके लिए जिम्मेवार ठहराया. वक्ताओं ने ऐसे साहित्यकारों से अकादमी द्वारा पुरस्कार लौटाने का कारण पूछे जाने की भी हिमायत की. तुलसी भवन के मानद महासचिव डॉ नर्मदेश्वर पांडेय ने कहा कि ऐसी घटनाएं अनपेक्षित वैचारिक प्रतिबद्धता के तहत चलायी जा रही मुहिम का हिस्सा है. श्रीराम पांडेय भार्गव ने कहा कि मोदी के जीतने पर देश छोड़ देने की घोषणा करने वाले ऐसे लोग अब भी वास्तविकता को पचा नहीं पा रहे. मनोकामना सिंह अजय ने इसे रचनाकर्म के क्षरण का प्रतिफल बताते हुए ऐसे लोगों को सामाजिक जीवन से च्यूत करार दिया. अरुण कुमार तिवारी ने राष्ट्रविरोधी वैचारिक वर्चस्व को समाप्त करने की जरूरत बतायी. मणिकांत पासवान ने सम्मान वापसी को नाटक करार दिया. गोष्ठी में अध्यक्ष हरि बल्लभ सिंह आरसी, संजय पाठक, यमुना तिवारी व्यथित, डॉ अशोक अविचल, धर्मचंद्र पोद्दार,भंजदेव देवेंद्र कुमार व्यथित, मंजू ठाकुर, विजय भूषण आदि ने भी अपने विचार रखे. गोष्ठी में वक्ताओं के अलावा जीसी लाल, ब्यास तिवारी, अजय ओझा, प्रेमलता ठाकुर, लक्ष्मीरानी लाल, प्रकाश चंद्र, ममता सिंह, शकुंतला शर्मा, कैलाशनाथ शर्मा गाजीपुरी, उमेश चतुर्वेदी सहित अनेक साहित्यकार उपस्थित थे.