संतान की कुशलता के लिए करें अहोई माता का पूजन, फोटो अहोई अष्टमी नाम से (संपादित)

संतान की कुशलता के लिए करें अहोई माता का पूजन, फोटो अहोई अष्टमी नाम से (संपादित)फ्लैग-अहोई अष्टमी व्रत मंगलवार कोजमशेदपुर. कार्तिक मास की कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि को संतान की कुशलता के लिए अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है. इस वर्ष यह व्रत आगामी मंगलवार, 3 नवंबर को है. व्रती को इस दिन प्रात: स्नानादि से […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 30, 2015 10:26 PM

संतान की कुशलता के लिए करें अहोई माता का पूजन, फोटो अहोई अष्टमी नाम से (संपादित)फ्लैग-अहोई अष्टमी व्रत मंगलवार कोजमशेदपुर. कार्तिक मास की कृष्णपक्ष अष्टमी तिथि को संतान की कुशलता के लिए अहोई अष्टमी व्रत किया जाता है. इस वर्ष यह व्रत आगामी मंगलवार, 3 नवंबर को है. व्रती को इस दिन प्रात: स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात व्रत एवं अहोई पूजन का संकल्प लेना चाहिए. इस व्रत में संतान की लंबी उम्र, उनके सुखमय जीवन तथा उसके साथ होने वाली किसी अनहोनी को टालने के लिए के लिए अहोई माता (माता पार्वती) का पूजन किया जाता है. पूजा के लिए दीवार पर गेरू से अहोई माता, उनके सात पुत्रों और साही के कांटे का चित्र बनाया जाता है. संध्या समय विधि-विधान से पूजा की जाती है. कहीं-कहीं अहोई माता एवं साही तथा उसके बच्चों की चांदी की मूर्ति बना कर भी पूजा की जाती है. पूजा में रोली, अक्षत, दूध एवं भात अर्पित करने का विधान है. पर व्रती अपनी कुल परंपरा के अनुसार भी पूजन कर सकती हैं. पूजा के लिए एक कलश में शुद्ध जल भर कर रखने और पूजा उपरांत अहोई व्रत की कथा सुनने-सुनाने का विधान है. कुछ स्थानों पर व्रती सांध्य तारे के दर्शन कर भी पूजा आरंभ करती हैं, जिसके पश्चात व्रती को अपनी सास अथवा उनके समकक्ष किसी बुजुर्ग महिला के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है. इसके बाद ही व्रत तोड़ कर जल ग्रहण किया जाता है.अहोई पूजन का शुभ मुहूर्त – संध्या 5:29 से 6:20 बजे तकचंद्रोदय का समय – रात्रि 11:36 बजे (व्रत का पारण सूर्योदय के पश्चात ही किया जाता है)

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