टॉपर टॉक : अमन कुमार:::::संपादित

टॉपर टॉक : अमन कुमार:::::संपादित प्री बोर्ड से ही करने लगें बोर्ड एक्जाम की तैयारीअमन कुमार मार्क्स : 95.6 प्रतिशतरैंक : स्कूल सेकेंड टॉपर संकाय : साइंस स्कूल : चर्च स्कूल बेल्डीह बोर्ड : आइसीएसइ माता-पिता : शशिबाला वर्मा, मनोज कुमार लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर अगर आप किसी काम पर शुरू से ध्यान देते हैं […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 1, 2015 12:06 AM

टॉपर टॉक : अमन कुमार:::::संपादित प्री बोर्ड से ही करने लगें बोर्ड एक्जाम की तैयारीअमन कुमार मार्क्स : 95.6 प्रतिशतरैंक : स्कूल सेकेंड टॉपर संकाय : साइंस स्कूल : चर्च स्कूल बेल्डीह बोर्ड : आइसीएसइ माता-पिता : शशिबाला वर्मा, मनोज कुमार लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर अगर आप किसी काम पर शुरू से ध्यान देते हैं तो उसमें आगे चलकर दिक्कत नहीं होती है. आप सफल होते हैं. मैंने बोर्ड परीक्षा की तैयारी के दौरान इस बात का ध्यान रखा था. इसका मुझे अच्छे रिजल्ट के रूप में फल मिला. मुझे 90 प्रतिशत से ऊपर अंक आने की आशा थी. मुझे इससे कहीं अधिक नंबर मिले. नोट्स के बदले किताब ही पढ़ीमैं नोट्स के बदले किताब से ही पढ़ता था. मैं किताब से थोरोली ज्ञान लेता था. इसके लिए महत्वपूर्ण चीजों को किताब में ही अंडर लाइन कर लेता था. दरअसल, मुझे नोट की पढ़ायी से संतोष नहीं होता था. कॉन्फिडेंस नहीं आता था. किताबें पढ़ने से लगता था कि इसके भीतर कहीं से भी सवाल आयेंगे तो मैं उसका जवाब दे दूंगा. नोट पढ़ने से लगता था कि कहीं कुछ छूट न जाये. चीजों को जिंदगी से जोड़कर याद किया मेरे पढ़ने का तरीका थोड़ा अलग था. मैं किसी बात काे जिंदगी से जोड़कर याद करता था. इसे कोड या मिमिक्स कहा जाता है. इसमें सहूलियत यह होती थी कि भूल जाने पर चीजों को जिंदगी से जोड़कर देखने पर वह याद आ जाती थीं. प्री बोर्ड को नजरंदाज न करें छात्रों को प्री बोर्ड को नजरंदाज नहीं करना चाहिए. यह एक तरह से मेन बोर्ड परीक्षा का आइना होता है. इसमें आपकी तैयारी साफ दिखायी देगी. बोर्ड परीक्षा का पैटर्न भी प्री बोर्ड के समान ही होता है. इसलिए सवाल भी लगभग एक से होते हैं. बल्कि प्री बोर्ड तो थोड़ा टफ ही होता है. इसमें मार्क्स भी कम मिलते हैं. इसलिए मैंने प्री बोर्ड की भी बढ़िया से तैयारी की थी. प्री बोर्ड तक सेलेबस लगभग पूरा कर लिया था. फ्रेंड सर्किल में की तैयारी मैंने फ्रेंड सर्किल में तैयारी की थी. मैंने कुछ दोस्तों का एक ग्रुप बना लिया था. निश्चित समय पर सभी साथ पढ़ते थे. जिन्हें कहीं डाउट होता था, वह आपस में ही पूछता था. इस तरह हमारी पढ़ायी की गति बढ़ गयी थी. इतिहास में लंबा अध्याय होने से याद करने में परेशानी होती थी. इसकी तैयारी मैंने फ्रेंड सर्किल में की. इसके अलावा मैंने गाइड बुक और क्वेश्चन बैंक से भी तैयारी की थी. सप्ताह वाइज की पढ़ायी प्री बोर्ड के बाद मैंने पढ़ायी के तरीके को थोड़ा बदल दिया था. मैं हर विषय की तैयारी सप्ताह वाइज करने लगा था. परीक्षा नजदीक आने पर एक सप्ताह में दो-तीन विषय पूरे कर लेता था. इस तरह पढ़ता था कि वह विषय दोबारा छूना न पड़े. जब बोर्ड परीक्षा के प्रोग्राम आ गये तो उस हिसाब से हर विषय को पूरा करता गया. एस्ट्रो फिजिक्स क्षेत्र में बढ़ना है आगे मैं एस्ट्रो फिजिक्स के क्षेत्र में आगे बढ़ना चाहता हूं. किशोर वैज्ञानिक प्रोत्साहन योजना (केवीपीवाइ) के तहत मैं आइआइएससी बेंगलुरू में दाखिला लेना चाहता हूं. इसकी प्रवेश परीक्षा बारहवीं बोर्ड से पहले हो जाती है. मैंने इसकी तैयारी शुरू कर दी है. बात पते की बोर्ड परीक्षा को हौव्वा नहीं बनायें, तनाव मुक्त होकर परीक्षा देंपढ़ायी के प्रति रेगुलर रहें. होम वर्क समय पर पूरा करेंकिताब को थोरोली पढ़ें. इससे कॉन्फिडेंस बढ़ेगा

Next Article

Exit mobile version