मंथन से अमृत न मिलेगा … (फोटो जलेस के नाम से)
मंथन से अमृत न मिलेगा … (फोटो जलेस के नाम से)फ्लैग ::: जलेस की गोष्ठी में मौजूदा हालात पर झलकी नाराजगी जमशेदपुर. जलेस की सिंहभूम इकाई ने श्यामल सुमन के आवास पर एक गोष्ठी की, जिसमें वक्ताओं ने साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार लौटाने के बाद भी साहित्य अकादमी की संवेदनहीनता पर नाराजगी जतायी. वक्ताओं ने कहा […]
मंथन से अमृत न मिलेगा … (फोटो जलेस के नाम से)फ्लैग ::: जलेस की गोष्ठी में मौजूदा हालात पर झलकी नाराजगी जमशेदपुर. जलेस की सिंहभूम इकाई ने श्यामल सुमन के आवास पर एक गोष्ठी की, जिसमें वक्ताओं ने साहित्यकारों द्वारा पुरस्कार लौटाने के बाद भी साहित्य अकादमी की संवेदनहीनता पर नाराजगी जतायी. वक्ताओं ने कहा कि साहित्यकार कभी चुप नहीं रहे, बल्कि हर दौर में अपना विरोध दर्ज कराया है. सिंहभूम जलेस के अध्यक्ष नंदकुमार उन्मन ने कहा कि आज अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर संकट मंडरा रहा है. दूसरे सत्र में काव्य गोष्ठी हुई, जिसका संचालन वीणा भारती पांडेय ने किया. शुरुआत आनंदबाला शर्मा की कविता ‘दर्द’ के साथ हुई. इसके बाद डॉ नरेश अनुरागी ने ‘देवासुर संग्राम छिड़ा है, कितने समझौते कर लो, मंथन से अमृत न मिलेगा, कितना विष पैदा कर लो, विजय नारायण सिंह ने ‘दिन गया शाम बीती…’ उदय प्रताप हयात ने ‘दाना देख के जंगल में उड़ते पंछी…’ श्यामल सुमन ने ‘मिलन में नैन सजल होते हैं… ’ सुनायी. अध्यक्ष नंदकुमार उन्मन ने ‘मन हिरण ये मौसम ब्याध का…, शैलेंद्र पांडेय शैल ने ‘बेवजह हर सू अदावत हो रही है…’ सुनाई. इनके अलावा अरुणेंदु, मदन अंजान, रमण अकेला, वीणा पांडेय, राजदेव सिन्हा, रामनिवास, नीता सागर, मनीष सिंह, जयप्रकाश पांडेय, मोहिनी मोहन महतो, आनंद पाठक, परमानंद कबीर, लता प्रियदर्शिनी, ज्योत्स्ना अस्थाना, शैलेंद्र अस्थाना आदि ने प्रस्तुति दीं.