भूमि रक्षा से ही आदिवासियों का अस्तत्वि सुरक्षित
भूमि रक्षा से ही आदिवासियों का अस्तित्व सुरक्षित -करनडीह में सीएनटी एक्ट की 107वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर सेमिनार, बोले पड़हा राजा सनिका भेंगरा (फ्लैग)फोटो- डीएस 3जमशेदपुर. करनडीह आदिवासी भवन में सीएनटी एक्ट की 107वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर भू-अधिकार, सामाजिक व्यवस्था और पारंपरिक नेतृत्व विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इसका […]
भूमि रक्षा से ही आदिवासियों का अस्तित्व सुरक्षित -करनडीह में सीएनटी एक्ट की 107वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर सेमिनार, बोले पड़हा राजा सनिका भेंगरा (फ्लैग)फोटो- डीएस 3जमशेदपुर. करनडीह आदिवासी भवन में सीएनटी एक्ट की 107वीं वर्षगांठ की पूर्व संध्या पर भू-अधिकार, सामाजिक व्यवस्था और पारंपरिक नेतृत्व विषय पर सेमिनार का आयोजन किया गया. इसका आयोजन मैदिज आर्टिस्ट एसोसिएशन ऑफ जमशेदपुर व आदिवासी शोद्य संस्थान रांची ने किया. मौके पर बतौर अतिथि तोरफा के पड़हा राजा सनिका भेंगरा, कृष्णा सिंकू, दिलीप मुंडू, सीरत कच्छप, नरेश मुर्मू, कुमार चंद्र मार्डी, कृष्णा हांसदा, भादव माझी, रामराय हांसदा, सोमाय मार्डी, सागेन बेसरा, धानु टुडू एवं जितराई हांसदा मौजूद थे. पड़हा राजा सनिका भेंगरा ने कहा कि आदिवासी समाज को अपने अस्तित्व की रक्षा के लिए भूमि को बचाना होगा. जमीन बचेगी तो परंपरा बचेगी. आदिवासी समाज को इस मूल मंत्र को समझना होगा और उसके अनुरूप की कार्य करना होगा. उन्होंने कहा कि सीएनटी व एसपीटी एक्ट जैसे शख्त कानून होने के बावजूद आदिवासियों की भूमि की खरीद-फरोख्त हो रही है. इस बात से जन-जन को अवगत कराने की जरूरत है. आदिवासी जन्म से लेकर मरण तक माझी-परगना, मानकी-मुंडा, पड़हा-राजा डोकलो-सोहाेर पारंपरिक व्यवस्था से संचालित होते हैं. पारंपरिक व्यवस्था सर्वोपरि है. इस व्यवस्था को हर हाल में जीवित रखना है. इस दौरान अन्य वक्ताओं ने भी अपनी बातें रखी. कार्यक्रम का संचालन सुरेश कुमार हांसदा कर रहे थे. सेमिनार में 40 प्रतिभागी शामिल हुए.