सेना के तैयारी:::::असंपादित
सेना के तैयारी:::::असंपादित सुबह की सुनहरी सुबह के साथ युवाओं की टोली तैयार हो जाती है एक ऐसे मिशन की ओर जिसका लक्ष्य है देश की रक्षा. हम बात कर रहे हैं शहर के ऐसे यूथ की जो सूर्य की किरणों के निकलने का इंतेजार नहीं करते. दिन की शुरुआत होने का इंतेजार नहीं करते. […]
सेना के तैयारी:::::असंपादित सुबह की सुनहरी सुबह के साथ युवाओं की टोली तैयार हो जाती है एक ऐसे मिशन की ओर जिसका लक्ष्य है देश की रक्षा. हम बात कर रहे हैं शहर के ऐसे यूथ की जो सूर्य की किरणों के निकलने का इंतेजार नहीं करते. दिन की शुरुआत होने का इंतेजार नहीं करते. इन युवाओं को बस इंतेजार है तो सिर्फ अपने लक्ष्य को पाने का. यही कारण है कि उसे पाने के लिए जी तोड़ मेहनत करते देखे जा सकते हैं. सुबह की सूर्य की किरणों का इंतेजार किये बिना ही शहर के विभिन्न स्टेडियम, सड़कों व मैदानों व बाग बगीचों में युवा दौड़ते देखे जा सकते हैं. असल में इन युवाओं का उद्देश्य है तो सिर्फ एक सेना में शामिल होकर देश सेवा का. पेश है ऐसे युवाओं व उनकी सुबह की जीवन शैली को पेश करती लाइफ @ जमशेदपुर की खास रिपोर्ट. इंट्रेस या रैली दौड़ में शामिल होना प्राथमिकता सेना में शामिल होने के लिए शारीरिक तौर पर मजबूत होना बेहद ही जरूरी होता है. वहीं सेना में परीक्षा पास कर या फिर रैली बहाली में सफल होकर तमाम परीक्षाओं को पास करना जरूरी होता है. लेकिन इसके लिए जरूरी है कि पढ़ायी के साथ-साथ फिटनेस लेवल को भी मजबूत रखा जाये. एक्सपर्ट एसके सिंह बताते हैं कि संघ लोक सेवा आयोग द्वारा आयोजित की जाने वाली परीक्षा में सफल होकर देशसेवा की जा सकती है. इसमें राष्ट्रीय रक्षा अकादमी व नौसेना अकादमी परीक्षा बेहतरीन मौके होते हैं. साल में केवल दो बार ही यह परीक्षा आयोजित की जाती है. इसमें शामिल होकर या फिर सेना द्वारा आयोजित की जाने वाली रैली बहाली में शामिल होकर देश सेवा की जा सकती है. जिसमें सबसे ज्यादा जरूरी शारीरिक तौर पर सक्षम होना है. शारीरिक तौर पर फिट लोगों को मिलती है जगह सेना में केवल वैसे युवा ही प्रवेश कर पाते हैं जो पूर्ण रुप से स्वस्थ्य हों. इसके लिए तय मापदंड़ों के आधार पर शारिरिक क्षमता पर खरा उतरने के बाद ही उन्हे आगे के लिए चयनित किया जाता है. एक्सपर्ट बताते हैं कि सामान्य रैली बहाली में युवाओं को चयनित करने के लिए दौड़ लगवायी जाती है. जिसे तय समय सीमा में हासिल करना होता है. जो भी युवा इसे पार कर लेते हैं उनका सेलेक्शन आगे के लिए होता है. जिसमें पुशअप्स कराये जाते हैं. ऐसे में जरुरी है कि युवा शारिरिक क्षमताओं को विकसित करें. सेना के मापदंड़ों पर खरा उतरें. शहर के मैदान में सूर्य निकलने से पहले पहुंचते हैं युवाशहर के स्टेडियम, मैदानों, सड़कों व पार्कों में सूर्य की पहली किरण के निकलने से पहले ही युवाओं की टोली दौड़ते व मेहनत करते देखे जा सकते हैं. जहां घंटों दौड़ कर अपनी टाइमिंग में सुधार करते हैं. कुछ युवा दौड़ने के बाद पुशअप्स व चिनअप्स करते हैं. वहीं कई युवा ऐसे भी है जो दिन की शुरुआत खेल के जरिए अपने फिटनेस लेवल को निखारने के लिए करते हैं. यही कारण है कि सुबह सुबह शहर के कई मैदानों में युवाओं की टोली फुटबॉल खेलते नजर आ जाती है. इन टोलियों में ज्यादातर युवाओं का मकसद सेना में शामिल होना रहता है. शहर के इन जगहों में युवाओं का लगता है हुजूम- जेआरडी स्टेडियम – सुमंत मुलगावंकर स्टेडियम- हुडको डैम – जुबली पार्क- सोनारी दोमुहानी सहित अन्य कोट्स मैं पिछले 6 महीने से सेना में शामिल होने के लिए जी तोड़ तैयारी कर रहा हूं. इसके लिए मैं सुबह होते ही दौड़ने के लिए निकल पड़ता हूं. मेरी कोशिश यही रहती है कि राज्य में आयोजित होने वाली रैली बहाली में शामिल हो सकूं. रनधीर, खड़ंगाझारमेरा मकसद है कि मैं आगे चलकर सेना में शामिल हो सकूं. इसके लिए हर रोज वर्कआउट करने के लिए व अपने फिटनेस लेवल को और भी ज्यादा स्ट्रॉन्ग करने के लिए स्टेडियम का रुख करता हूं. शंकर शर्मा, झंडा चौक