1988 में पहली बार जमशेदपुर आये थे अशोक सिंघल

1988 में पहली बार जमशेदपुर आये थे अशाेक सिंघल- चार बार हिंदू हिताें की रक्षा आैर जागृति के लिए आये लाैहनगरी- जमशेदपुर दाैरा का फाेटाे है 18 अशाेक सिंघल 22 मई 1988 काे जमशेदपुर में आये थे जब उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर सांस में तकलीफ के कारण मंगलवार को मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस लेने वाले […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 18, 2015 10:43 PM

1988 में पहली बार जमशेदपुर आये थे अशाेक सिंघल- चार बार हिंदू हिताें की रक्षा आैर जागृति के लिए आये लाैहनगरी- जमशेदपुर दाैरा का फाेटाे है 18 अशाेक सिंघल 22 मई 1988 काे जमशेदपुर में आये थे जब उपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर सांस में तकलीफ के कारण मंगलवार को मेदांता अस्पताल में अंतिम सांस लेने वाले विहिप नेता अशोक सिंघल 22 मई 1988 काे पहली बार जमशेदपुर आये थे. उस दौरान गाेपाल मैदान में विहिप जमशेदपुर की ओर से आयाेजित हिंदू सम्मेलन में हिस्सा लेने पहुंचे थे. इसके बाद 1993 में मिलानी हॉल और 1998 में माइकल जॉन में विहिप कार्यकर्ताआें की सभा काे संबाेधित करने जमशेदपुर आये. वहीं 1999 में राउरकेला जाने के क्रम में जमशेदपुर में कुछ देर के लिए ठहरे थे. विहिप के सिंहभूम शाखा के अध्यक्ष सुमन अग्रवाल ने बताया कि अशाेक सिंघल सादा जीवन आैर उच्च विचार के स्वामी थे. अपनी तार्किक शब्द शक्ति से वे हर किसी काे अपनी आेर आकर्षित करने में सफल हाे जाते थे. समाज सुधार के लिए विहिप द्वारा चलाये गये कई कार्यक्रम का उन्हाेंने नेतृत्व किया. श्री अग्रवाल ने बताया कि जमशेदपुर प्रवास के दाैरान अशाेक सिंघल का भाेजन दायित्व उन पर ही रहता था. तेल-मसाला के बगैर सादा आैर काफी कम मात्रा में आहार ग्रहण करते थे. अशाेक सिंघल ने अपना सारा जीवन हिंदू समाज की एकजुटता व भारत माता की सेवा में व्यतीत किया. वे हिंदू समाज में छुआ-छूत समाप्त करने व दलिताें काे सम्मान दिलाने में लगे रहे. अशाेक सिंघल की जिंदगी का एक ही सपना था- अयाेध्या में श्रीराम मंदिर का निर्माण.

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