सजेगी किताबों की बगिया
सजेगी किताबों की बगिया ——————-बुक फेयर-2015 उद्घाटन आज : शाम 6:30 बजेमेले का समयसोमवार से शनिवारदोपहर 2 से रात 8:30 बजे तकरविवारसुबह 10:30 से रात 8:30 बजे तकप्रवेश शुल्कसामान्य : 5 रुपयेछात्र : 2 रुपये——————इंट्रोरवींद्र भवन परिसर में लगने वाला बुक फेयर अगले 10 दिनों तक पुस्तकप्रेमियों के लिए नायाब प्लेटफॉर्म मुहैया करायेगा. शुक्रवार को […]
सजेगी किताबों की बगिया ——————-बुक फेयर-2015 उद्घाटन आज : शाम 6:30 बजेमेले का समयसोमवार से शनिवारदोपहर 2 से रात 8:30 बजे तकरविवारसुबह 10:30 से रात 8:30 बजे तकप्रवेश शुल्कसामान्य : 5 रुपयेछात्र : 2 रुपये——————इंट्रोरवींद्र भवन परिसर में लगने वाला बुक फेयर अगले 10 दिनों तक पुस्तकप्रेमियों के लिए नायाब प्लेटफॉर्म मुहैया करायेगा. शुक्रवार को बुक फेयर का उद्घाटन होगा. इसके लिए गुरुवार को तैयारियां जोरों पर रहीं. हालांकि, गुरुवार शाम तक कुछ ही दुकानदारों व प्रकाशकों ने स्टॉलों में किताबें सजानी शुरू की थीं. शेष स्टॉल खाली लग रहे थे. आयोजक बुक फेयर के आयोजनों की तैयारियों का जोरशोर से जायजा लेते रहे. माना जा रहा है कि शुक्रवार को उद्घाटन से पूर्व सभी स्टॉलों में किताबें सज जायेंगी. बुक फेयर की तैयारियों पर पेश है लाइफ @ जमशेदपुर की यह रिपोर्ट… ———तैयारी को दिया जाता रहा अंतिम रूप बुक फेयर में गुरुवार को दिन भर तैयारियों को अंतिम रूप दिया जाता रहा. प्रकाशन व दुकानदार वाहनों से आने वाली किताबों को उतरवा कर अपने स्टॉल में रखवा रहे थे. स्टाफ उन्हें शेल्फ में रख रहे थे. किताबों को उनकी कैटेगरी के अनुसार सजाया जा रहा था. स्टॉल में आवश्यक सामग्री की भी व्यवस्था की जा रही थी. उधर, खाली पड़े कुछ स्टॉलों की साज-सज्जा को अंतिम रूप दिया जाता रहा. स्टॉलों में प्रकाश की व्यवस्था बनायी जाती रही. कुछ दुकानों में किताबें रख दी गयी थीं, लेकिन उन्हें सजाया जाना बाकी था. दुकानदारों का कहना था कि बुक फेयर का उद्घाटन शुक्रवार की शाम को होगा. इससे पहले ज्यादातर दुकानदार व प्रकाशक अपने स्टॉल सजा लेंगे. ————–आगंतुकों की कमी चिंताजनक बुक फेयर की बढ़ती लोकप्रियता के बीच आगंतुकों का कम होना चिंताजनक है. यह चिंता सिर्फ आयोजकों के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के लिए भी है. आयोजकों के अनुसार पिछले वर्ष मेले में करीब 51 हजार आगंतुक आये, जो वर्ष 2013 की अपेक्षा कम रहे. इसी तरह वर्ष 2014 में कुल बिक्री भी अपेक्षाकृत कम 92 लाख रही. बुक फेयर में लगने वाले स्टॉल के संचालक और प्रकाशक नयी किताबें और एडवांस एडिशन लेकर आते हैं. इसके कारण बुुक फेयर में प्रबुद्ध वर्ग की दिलचस्पी बढ़ी है. हालांकि, इसमें आम लोगों को भी दिलचस्पी बढ़ानी होगी.———–इंटरनेट नहीं, किताब कीजिये गिफ्ट बुक फेयर के दुकानदारों का मानना है कि इंटरनेट में किताबों की लोकप्रियता को खत्म करने की क्षमता बिल्कुल नहीं है. लेकिन, यह भी सच है कि किताबों का कारोबार इंटरनेट के कारण थोड़ा प्रभावित जरूर हुआ है. हालांकि, इ-बुक उतने कारगर नहीं हैं. आप इंटरनेट पर किताबें जरूर पढ़ लेते हैं, लेकिन वह लंबे समय तक आपके मानस पटल पर छाप नहीं छोड़ पातीं. जबकि, कागज और काले अक्षरों का कॉम्बीनेशन आपके मानस पटल पर लंबे समय तक छाप छोड़ता है. यही नहीं, गांव हो या शहर, जब भी आपको किसी जानकारी की जरूरत हुई या फिर पढ़ने का मन किया, किताबें सहज उपलब्ध होती हैं. इंटरनेट के प्रति बढ़ती निर्भरता को कम करने में अभिभावकों को रुचि लेनी होगी. आज के अभिभावक बच्चों को इंटरनेट पैक गिफ्ट करना ज्यादा आसान समझते हैं, जबकि उन्हें अपने बच्चों को किताब गिफ्ट करना चाहिये. यह सिर्फ किताबों की दुनिया को बल देने भर के लिए जरूरी नहीं है, बल्कि समाज को बचाये रखने व संवारने के लिए भी जरूरी है. ————–दुकानदार हैं खुश फोटो : दीपक कुंडू दुर्गापुर में रीडर पैराडाइज के नाम से किताबों का कारोबार करने वाले दीपक कुंडू बुक फेयर में ओलंपियाड बुक्स के नाम से स्टॉल लगाते हैं. वे यहां पिछले पांच साल आ रहे हैं. उनकी किताबें छात्रों के लिए ज्यादा उपयोगी होती हैं. वे यहां के छात्रों की किताबों की प्रति दिलचस्पी से काफी खुश हैं. वह कहते हैं कि यहां के छात्र टेक्स्टबुक के अलावा दूसरी किताबों में भी दिलचस्पी रखते हैं. यह बहुत अच्छी बात है. आगंतुकों का घटना-बढ़ना तो लगा रहता है, लेकिन भावी पीढ़ी की दिलचस्पी अगर किताबों में रही, तो पठन-पाठन का यह कारोबार बना रहेगा. ——————-फोटो : सुब्रतो दत्ता कोलकाता निवासी सुब्रतो दत्ता इवॉल्व नाम से बुक फेयर में स्टॉल लगाते हैं. उनके यहां सभी कैटेगरी की किताबें मिलती हैं. ज्यादातर किताबें इंगलिश की होती हैं. वह बताते हैं कि उनकी दुकान में स्टोरी बुक से लेकर इनसाइक्लोपीडिया तक उपलब्ध है. वह कहते हैं कि सिर्फ एक वर्ग की अभिरुचि के आधार पर किताबों का व्यवसाय करना अब थोड़ा मुश्किल हो गया है. इसलिए, सभी वर्ग की अभिरुचि का ख्याल रखना पड़ता है. अब वह बच्चों की पसंद की नॉलेज की किताबें रखते हैं और बड़ों के लिए नामी-गिरामी लेखकों के उपन्यास भी. ————फोटो : तापस नाहाकोलकाता के तापस नाहा हॉली चाइल्ड पब्लिकेशन के नाम से बुक फेयर में स्टॉल लगाते हैं. उनके यहां ज्यादातर बांग्ला किताबें व पेंटिंग बुक उपलब्ध होती हैं. वह बताते हैं कि उनके स्टॉल में बांग्ला किताबों की वेरायटी है. वह लंबे समय से बुक फेयर में दुकान लगा रहे हैं. यहां बांग्ला पाठकों की संख्या अच्छी है. इसलिए, वह बांग्ला में जहां बच्चों के लिए हास्य और मनोरंजन की किताबें लेकर आते हैं, वहीं बड़ों के लिए बड़े बांग्ला लेखकों के उपन्यास आदि भी लाते हैं. महापुरुषों की जीवनी भी उनके स्टॉल में विपुलता संख्या में उपलब्ध है. उनका कहना है कि बांग्ला के प्रति बच्चों में भी अभिरुचि जगाने की जरूरत है. ——फोटो : सम्राट नंदीअपने शहर में स्टूडेंट बुक डिपो के नाम से कारोबार करने वाले सम्राट नंदी बुक फेयर में नवनीत पब्लिकेशन का स्टॉल लगाते हैं. वह कहते हैं कि जब से बुक फेयर लग रहा है, तब से यहां उनका स्टॉल लगता है. वह साइंस एंड नॉलेज की किताबों का कारोबार करते हैं. इनमें बच्चों के लिए गाइड बुक, क्वेश्चन बैंक आदि भी शामिल हैं. कई बड़े राइटर की किताबें भी उनकी दुकान में उपलब्ध हैं. वह कहते हैं कि आज किताबों का पाठक नीड बेस्ड (आवश्यकता अनुरूप) रह गया है. पहले लोग जरूरत से इतर भी किताबें खरीदते थे. इसके बावजूद मेले में उनके स्टॉल का रेस्पॉन्स ठीक रहता है.