याद आता है वह ब्लैक एंड ह्वाइट जमाना
याद आता है वह ब्लैक एंड ह्वाइट जमाना 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलीविजन डे मनाया जाता है. इसका मकसद वर्तमान परिप्रेक्ष्य में टेलीविजन के महत्व को बताना है. इसकी वजह से दुनिया में तेजी से विकास हुआ. भारत में टीवी प्रसारण की शुरुआत 15 सितंबर 1959 को दूरदर्शन के नाम से दिल्ली से हुई. दूरदर्शन […]
याद आता है वह ब्लैक एंड ह्वाइट जमाना 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलीविजन डे मनाया जाता है. इसका मकसद वर्तमान परिप्रेक्ष्य में टेलीविजन के महत्व को बताना है. इसकी वजह से दुनिया में तेजी से विकास हुआ. भारत में टीवी प्रसारण की शुरुआत 15 सितंबर 1959 को दूरदर्शन के नाम से दिल्ली से हुई. दूरदर्शन में उपग्रह तकनीक का प्रयोग 1975 से हाेने लगा. अपने शहर की बात करें तो यहां दूरदर्शन का रिले केंद्र है. इसके जरिये आसपास के क्षेत्रों में प्रसारण होता है. बदलते दौर के साथ टीवी ने कई रूप बदले हैं. पुरानी छोटी ब्लैक एंड ह्वाइट टीवी से लेकर आज की प्लाज्मा टीवी तक के बदलाव तथा दूरदर्शन की भूमिका पर पेश है लाइफ @ जमशेदपुर की यह रिपोर्ट… ————-1925 के आसपास हुआ था टीवी का आविष्कारपेशे से इंजीनियर और स्काॅटलैंड के रहने वाले जॉन लोगी बाॅयर्ड ने 1925 के आसपास टीवी का अाविष्कार किया था. टीवी की बढ़ती लोकप्रियता और प्रभाव क्षेत्र को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र ने 21 नवंबर को वर्ल्ड टेलीविजन डे मनाने की घोषणा की. लौहनगरी में टीवी के प्रसार का जरिया बना दूरदर्शन केंद्र जमशेदपुर में 24 अक्तूबर 1984 को दूरदर्शन के प्रसारण केंद्र की स्थापना की गयी. उस समय आदित्यपुर स्थित आइडा भवन से ही कार्यक्रम का प्रसारण होता था. इसका उद्घाटन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने किया था. यह दूरदर्शन केंद्र पहले लघु क्षमता का था. 2001 में इसे अाधुनिक तकनीक से लैस कर उच्च शक्ति का प्रसारण केंद्र बनाया गया. वर्तमान में यह 40 किलोमीटर तक के क्षेत्र को कवर कर रहा है. यह केंद्र क्षेत्रीय स्तर पर नौ लघु शक्ति रिले सेंटर का मुख्यालय भी है. यहां से नोवामुंडी, चाईबासा, सरायकेला, मुसाबनी व घाटशिला और पश्चिम बंगाल के पुरुलिया, बलरामपुर, झालदा और बागमुंडी रिले केंद्र का मेंटेनेंस का काम भी देखा जाता है. इस केंद्र से नेशनल और डीडी वन के कार्यक्रम देखने के लिए वन केडब्ल्यू पावर का इस्तेमाल किया जाता है. आप चैनल पांच से नेशनल और चैनल नौ से डीडी वन के कार्यक्रम देख सकते हैं. यहां किसी तरह के कार्यक्रम बनाये नहीं जाते. प्रदेश स्तर के कार्यक्रम रांची में तैयार किये जाते हैं. प्रोडक्शन सेंटर के लिए करें पत्राचार दूरदर्शन उच्च शक्ति प्रसारण केंद्र जमशेदपुर के उप निदेशक बीए टेटे बताते हैं कि यहां भी प्रोडक्शन सेंटर होना चाहिए. यहां के कलाकार, साहित्यकार व आम आदमी इस संबंध में सूचना प्रसारण मंत्रालय से पत्राचार करें तो यह संभव है. वह बताते हैं कि जमशेदपुर को लघु भारत कहा जाता है. यहां हर प्रदेश की कला की झलक, अच्छे कलाकार, रंगकर्मी और साहित्य में रुचि रखने वाले लोग हैं. यहां प्रोडक्शन सेंटर होने से हर तरह की कला को प्लेटफॉर्म मिलेगा. लोकप्रिय थे धारावाहिक80 के दशक में बहुत कम लोगों के घरों में टीवी होता था. ब्लैक एंड ह्वाइट टीवी में दूरदर्शन पर प्रसारित होने वाले धारावाहिक ही लोकप्रिय थे. हमलोग और बुनियाद जैसे धारावाहिक लोगों की खास पसंद थे. इनके अलावा चित्रहार और सप्ताह में एक बॉलीवुड की फिल्म का भी प्रसारण होता था. आज इलेक्ट्रॉनिक दुकानों में भले ही एलइडी व स्मार्ट टीवी की बहार हो, लेकिन उस दौर को भुलाया नहीं जा सकता, जब बाजार में ब्लैक एंड ह्वाइट पोर्टटेबल टीवी ही दिखायी देते थे. साफ फोटो के लिए लगता था बूस्टर साकची टीनशेड मार्केट में टीवी रिपयेर की दुकान करने वाले गोपाल गोस्वामी को पुराने दिन याद आते हैं. वह बताते हैं कि बात सन् 1984 की है. यहां दूरदर्शन केंद्र न होने से तस्वीर साफ नहीं आती थी. इसके लिए लोग बूस्टर का प्रयोग करते थे. बड़ा-बड़ा एंटीना लगाया जाता था. यहां से कोलकाता केंद्र पकड़ता था. कभी-कभी बांग्लादेश तक पकड़ लेता था. यहां केंद्र खुलने से कई लोगों ने टीवी खरीदा.बिना रिमोट चलता था टीवी डिमना रोड सुभाष कॉलोनी में टीवी रिपेयर दुकान के मालिक अशोक कुमार गुप्ता बताते हैं कि उस समय शटर वाला टीवी ही आता था. वेस्टर्न, बुश, कोनार्क व सलोरा जैसी कंपनियों का बाजार में दबदबा था. अधिकतर घरों में ब्लैक एंड ह्वाइट टीवी ही था. यह बिना रिमोट के टीवी का दौर था.