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खुला ज्ञान का भंडार (फोटो : उमा)

खुला ज्ञान का भंडार (फोटो : उमा) रवींद्र भवन परिसर में 31वां जमशेदपुर बुक फेयर आरंभपुस्तक प्रेमियों के मन-मस्तिष्क में महोत्सव की छाप छोड़ चुका टैगोर सोसायटी का बुक फेयर शुक्रवार की शाम रवींद्र भवन परिसर में समारोहपूर्क आरंभ हुआ. बंगाली परंपरा के अनुसार शंखध्वनि के बीच मुख्य अतिथि कोलकाता के शिवपुर स्थित आइआइइएसटी के […]

खुला ज्ञान का भंडार (फोटो : उमा) रवींद्र भवन परिसर में 31वां जमशेदपुर बुक फेयर आरंभपुस्तक प्रेमियों के मन-मस्तिष्क में महोत्सव की छाप छोड़ चुका टैगोर सोसायटी का बुक फेयर शुक्रवार की शाम रवींद्र भवन परिसर में समारोहपूर्क आरंभ हुआ. बंगाली परंपरा के अनुसार शंखध्वनि के बीच मुख्य अतिथि कोलकाता के शिवपुर स्थित आइआइइएसटी के निदेशक प्रो अजय कुमार रॉय व विशिष्ट अतिथि बांग्ला के जानेमाने लेखक रंजन बंदोपाध्याय ने दीप व मशाल प्रज्वलित कर 31वें पुस्तक मेले के आरंभ की घोषणा की. इसके साथ ही मेले में सजे सभी स्टॉल्स रोशनी में नहा उठे. उद्घाटन के इस मनमोहक दृश्य के बीच रंग-बिरंगे बलून छोड़े गये, जो शांति व एकता का संदेश लिए अनंद गगन की ओर बढ़ते चले गये. सोसायटी के अध्यक्ष डॉ एचएस पॉल ने स्वागत भाषण करते हुए अतिथि परिचय कराया. महासचिव आशीष चौधरी ने मेले की रिपोर्ट प्रस्तुत करते हुए बताया कि इसकी शुरुआत 1985 में 12-13 पब्लिशर्स के साथ हुई थी. मेले को शहवासियों का प्यार व स्नेह मिला और आज यह बड़ा रूप ले चुका है. आयोजन समिति अध्यक्ष अभय सरकार ने धन्यवाद ज्ञापन किया. समाजसेवी विकास मुखर्जी आदि मौजूद रहे. ——————–शांति व एकता का संदेश : बुक फेयर की थीम शांति, प्रेम व एकता है. इसे सार्थक व जन-जन तक संदेश पहुंचाने के उद्देश्य से जगह-जगह मदर टेरेसा, दलाई लामा, पंडित जवाहर लाल नेहरू, रवींद्र नाथ टैगोर, स्वामी विवेकानंद समेत अन्य महापुरुषों के चित्र के साथ उनकी सूक्तियां प्रदर्शित की गयी हैं. —————————-2 रुपये से 18 हजार रुपये तक की किताबइस बार मेले में 2 रुपये से 18 हजार रुपये व इससे अधिक मूल्य तक की पुस्तकें उपलब्ध हैं. पिछले वर्ष तक एक रुपय मूल्य पर मिलने वाला हनुमान चालीसा इस बार 2 रुपये में गीता प्रेस के स्टॉल पर उपलब्ध है, जबकि इंटरनेशनल बुक डिस्ट्रीब्यूटर्स के स्टॉल पर 16 वोल्यूम वाली ब्रिटानिका इंसाइक्लोपिडिया 18 हजार रुपये मूल्य पर उपलब्ध है. ——————————————-किताबों ने जेलखाने को बना दिया पाठशाला : प्रो अजय कुमार रायहिजली महिला जेल ही है आज का आइआइटी खड़पुर उद्घाटन समारोह व प्रभात खबर से खास बातचीत में इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग साइंस एंड टेक्नोलॉजी (आइआइइएसटी) के निदेशक व मुख्य अतिथि प्रो अजय कुमार राय ने कहा कि किताबों का कोई विकल्प नहीं है. किताबें ही हैं, जिसने अंग्रेजी जमाने के हिजली महिला जेल को पाठशाला बना दिया. इसे आज हम आइआइटी खड़पुर के नाम से जानते हैं. अंग्रेजी जमाने में पश्चिम बंगाल के हिजली में पहला महिला जेल बनाया गया था. जहां 1930 के दशक में कैद (स्वतंत्रता सेनानी) अनेक महिलाओं ने न सिर्फ मैट्रिक, बल्कि स्नातकोत्तर (पीजी) तक की परीक्षा पास की. इस जेल में किताबों की भरमार थी. किताबों का एहसास इंटरनेट पर नहींएक सवाल पर प्रो राय ने कहा कि किताबें पढ़ने से जो आत्मिक व भावनात्मक एहसास मिलता है, वह इंटरनेट पर नहीं मिलता. आज अधिकांश छात्र विकिपीडिया, गुगल सर्च आदि जैसे सोर्स पर निर्भर हैं. मैसिव ऑनलाइन ओपन कोर्सेसज (मूक्स) उपलब्ध हैं. इससे प्रिंटेड किताबों की मांग थोड़ी प्रभावित जरूर हुई है. इससे मूक्स पर उपलब्ध कोर्स का लाभ लिया जा सकता है, लेकिन इंटरनेट पर विभिन्न सोर्स से प्राप्त होनेवाली सभी जानकारी सही नहीं होती. इनोवेटिव बनें छात्रप्रो अजय राय ने छात्रों को वैश्विक समस्याओं का नयी चिंतनधारा के साथ समाधान की सलाह दी. उन्होंने कहा कि 21वीं सदी में विश्व में पर्यावरण, जल, स्वास्थ्य व उर्जा संकट की समस्या विकट होगी. इसके लिए छात्रों को इनोवेटिव होना पड़ेगा.—————————————प्रकाश की ओर ले जाती हैं किताबें : रंजन बंदोपाध्यायविशिष्ट अतिथि बांग्ला के जानेमाने लेखक रंजन बंदोपाध्याय ने कवि गुरु रवींद्रनाथ टैगोर के नाम से स्थापित इस परिसर में पुस्तक मेले के आयोजन को सुखद संयोग बताया. उन्होंने कहा कि किताबें अंधकार से प्रकाश (ज्ञान) की ओर ले जाने का सशक्त माध्यम हैं. एकमात्र पुस्तकें ही हमारी सच्चा मित्र, मार्गदर्शक व आदर्श हैं. अत: हर मनुष्य को किताबों से दोस्ती व बच्चों समेत बुक फेयर में का भ्रमण करना चाहिए. ——————————-आइटी जैम की लॉन्चिंग : बुक फेयर में अरिहंत प्रकाशन के स्टॉल में आइटी जैम शीर्षक बुक सीरीज की लांचिंग हुई है. स्टॉल धारक ने बताया कि आइटी जैम इंजीनियरिंग प्रतोयोगिता परीक्षाओं की बेहतर तैयारी को ध्यान में रखते हुए प्रकाशित की गयी है.

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