एल्यूमिनी::::असंपादित 22
एल्यूमिनी::::असंपादित 22जीवन के तमाम रिश्तों में केवल दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है, जिसे हम खुद चुनते हैं या यह कहना बेहतर होगा कि दोस्ती खुद ब खुद बन जाती है, जिसका एहसास बिछड़ने के बाद होता है.. जिसके बाद बचती है तो सिर्फ यादे. यह यादे ही है जो अपनों से मिलने के लिए […]
एल्यूमिनी::::असंपादित 22जीवन के तमाम रिश्तों में केवल दोस्ती ही एक ऐसा रिश्ता है, जिसे हम खुद चुनते हैं या यह कहना बेहतर होगा कि दोस्ती खुद ब खुद बन जाती है, जिसका एहसास बिछड़ने के बाद होता है.. जिसके बाद बचती है तो सिर्फ यादे. यह यादे ही है जो अपनों से मिलने के लिए हमें अंदर ही अंदर कौंधते रहती है. लाइफ@जमशेदपुर की इस खास रिपोर्ट में हम बता रहे हैं शहर के ऐसे एल्यूमनी कमेटी के बारे में जो समय मिलने पर ना सिर्फ एक साथ मिलते हैं बल्कि साल के दौरान कुछ ना कुछ खास करते हैं. पेश है शहर के कॉलेजों व स्कूलों में मौजूद एल्यूमनी विंग को बताती लाइफ@जमशेदपुर की खास रिपोर्ट. नाम- लोयोला स्कूल, जमशेदपुर पिछले 29 सालों से चला आ रहा सेवा का कारवांलोयोला स्कूल के प्रिंसिपल फादर सेबेस्टियन पुथेनपुरा बताते हैं कि स्कूल में एल्यूमनी विंग करीब 50 साल से भी पुरानी है. जिसमें 5 हजार से भी ज्यादा मेंबर्स हैं. समय समय पर पासआउट स्टूडेंट्स आपस में मिलने के साथ कई सामाजिक कार्यों में सक्रिय रहते हैं. इन्हीं सामाजिक कार्यों के तहत गरीब लोगों के पिछले 29 सालों से क्लीनिक चलाया जाता है. इसमें हर शनिवार को डॉक्टर आकर लोगों की जांच करते हैं. पिछले 29 साल पहले शुरु हुआ यह कारवां आज तक नहीं रुका है. पासआउट डॉक्टर आकर निशुल्क लोगों की जांच करते हैं. इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में जाकर कैंप लगाये जाते हैं. इसके तहत कई लोगों की निशुल्क जांच की जाती है. साल में करीब दो बार एनुअल मीटिंग तय होती है. इसमें पुराने टीचर्स को सम्मानित किये जाने के साथ सफलता हासिल कर चुके स्टूडेंट्स अपना इंट्रोडक्शन देते हैं. सिर्फ राष्ट्रीय स्तर पर ही नहीं बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यह मीटिंग करायी जाती है. इसमें देश-विदेश के स्टूडेंट्स भाग लेते हैं. नेशनल मीटिंग पिछले साल अहमदाबाद में हुई थी वहीं इस साल दिसंबर के अंत में रांची में आयोजित की जायेगी. कई स्टूडेंट्स कर चुके हैं देश विदेश में नाम लोयोला स्कूल से शिक्षा हासिल कर चुके कई सारे स्टूडेंट्स ऐसे हैं जिन्होेने सफलता के आसमान को छूआ है. बिजनेस, आर्ट एंड मीडिया, गवर्मेंट सर्विसेज से लेकर मेडिकल शायद ही कोई ऐसी फील्ड होगी, जहां लोयोला के स्टूडेंट ने अपनी अलग पहचान न बनायी हो. उन्हीं स्टूडेंट्स में से एक है मॉर्डन डांसर व कोरियोग्राफर पद्म श्री अस्तद देबू, राष्ट्रीय फिल्म अवॉर्ड हासिल कर चुके सिनेमेटोग्राफर महेश अने. फिल्म स्वदेश के लिए पुरस्कार हासिल किया था. टाटा टी लिमिटेड के एमडी रह चुके पर्सी सिंगापुरिया, टेल्कॉन लिमिटेड के एमडी राना सिन्हा सहित कई ऐसे है, जिन्होने अपनी सफलता के बल पर स्कूल का नाम गौरवान्वित करने के साथ शहर का नाम भी ऊंचा किया है. ——————-नाम : डीएवी पब्लिक स्कूल, एनआइटी कैंपस, आदित्यपुर, जमशेदपुरपासआउट स्टूडेंट्स करते हैं गरीब बच्चों की आर्थिक मदद कई स्टूडेंट ऐसे होते हैं जिनका स्कूल से नाता कुछ इस कदर जुड़ता है कि सफलता के आयाम हासिल करने के बाद अपने स्कूल व वहां शिक्षा हासिल करने वाले जरूरतमंदों के लिए वह अपनी खुशी से आगे आते हैं. शहर के डीएवी पब्लिक स्कूल में भी कुछ ऐसा ही है. प्रिंसिपल एसपी शर्मा बताते हैं कि स्कूल का अपना एल्यूमनी गठित नहीं है बावजूद इसके कई पासआउट स्टूडेंट्स सोशल नेटवर्किंग साइट्स के जरिए आपस में जुड़े हुए हैं. व नेक कामों को करते हैं व स्कूल आकर टीचर्स व स्टूडेंट्स से भेंट करते हैं. पासआउट स्टूडेंट्स में कई स्टूडेंट्स एनजीओ चलाते हैं. ऐसे में स्कूल में शिक्षा हासिल करने वाले जरूरतमंद व फीस न दे पाने वाले बच्चों की आर्थिक तौर पर मदद करते हैं. पासआउट स्टूडेंट्स का अपने स्कूल व यहां शिक्षा हासिल करने वाले स्टूडेंट्स के प्रति प्रेम सराहनीय है. —————————–नाम : जमशेदपुर पब्लिक स्कूल, बारीडीहहर साल होने वाले कॉमर्स फेस्ट को स्पॉन्सर करते हैं पासआउट स्टूडेंट्स शहर के जेपीएस में भी कई पासआउट स्टूडेंट्स आज भी स्कूल से जुड़े हुए हैं. समय पर आकर टीचर्स व प्रिंसिपल से भेंट करते रहते हैं. स्कूल की प्रिंसिपल नमिता अग्रवाल बताती हैं कि कई पासआउट स्टूडेंट्स वर्कशॉप व प्रोग्राम का आज भी हिस्सा रहते हैं. इसके अलावा हर साल स्कूल द्वारा आयोजित किये जाने वाले कॉमर्स फेस्ट को स्पॉन्सर स्कूल के एल्यूमनी ही करते हैं. अक्सर साइंस के स्टूडेंट के लिए तरह तरह के वर्कशॉप कराये जाते हैं. लेकिन इस बीच कॉमर्स के स्टूडेंट के लिए कोई कंपीटीशन नहीं होता, ऐसे में कॉमर्स फेस्ट ऐसा प्लेटफॉर्म होता है, जहां कॉमर्स के स्टूडेंट अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा सकते हैं. इस फेस्ट के दौरान क्विज, शेयर ट्रेडिंग, केस स्टडीज के साथ तरह-तरह के इवेंट कराये जाते हैं. इस दौरान शहर के दूसरे स्कूलों के स्टूडेंट हिस्सा लेते हैं. अब इस फेस्ट में सोशल साइंस के स्टूडेंट्स भी पार्टिसिपेट करते हैं. इस दौरान 8वीं के बाद के स्टूडेंट्स चाहे तो इस फेस्ट का हिस्सा हो सकते हैं. पिछले साल कुल 15 स्कूलों के स्टूडेंट्स ने पार्टिसिपेट किया था. इस साल नवंबर के आखिरी सप्ताह में आयोजित किया जायेगा. पासआउट स्टूडेंट्स का स्कूल से जुड़े रहना स्कूल की संस्कृति को दर्शाता है. ——————————-नाम : सेंट मेरीज इंगलिश हाइस्कूल, बिष्टुपुर बच्चों की मदद के लिए एल्यूमनी आते हैं आगे स्कूल के प्रिंसिपल फादर डेविड विन्सेंट बताते हैं कि जो स्टूडेंट इस स्कूल से पढ़ायी कर चुके हैं, छुट्टियां मिलने पर वह स्कूल आकर टीचर्स व स्टूडेंट्स से भेंट मुलाकात करते हैं. कई स्टूडेंट ऐसे भी हैं, जो अपनी ओर से गरीब बच्चों के ट्रीटमेंट के लिए मदद करते हैं. समय समय पर एल्यूमनी मीटिंग होता है. 2013 व 2014 में एल्यूमनी मीट का आयोजन किया गया था. इस दौरान तमाम स्टूडेंट्स अपने पुराने दोस्तों के संग मिलने के साथ अपने पुराने एक्सपीरिएंस के साथ नये अनुभवों को शेयर करते हैं. इन स्टूडेंट्स की कोशिश है कि अपने एक्सपीरिएंस के बल पर स्टूडेंट्स की क्लास ली जाये. ताकि वे भी अपने भविष्य की राह पर सफल व्यक्ति बन ऊभर सकें. ——————————नाम : राजेंद्र विद्यालय, साकची आपस में प्रोग्राम ऑर्गेनाइज कर स्टूडेंट फिर होते हैं एकजुट दोस्ती उन रिश्तों में से एक होती है जो खुद ब खुद बन जाती है. यही कारण है कि अपने व्यस्त जीवन में से कुछ समय निकाल कर एक मौका ऐसा आता है जब पासआउट स्टूडेंट्स एक जुट होते हैं. स्कूल के प्रिंसिपल पीबी सहाय बताते हैं कि स्कूल एल्यूमनी विंग रेगुलर एक्टिव नहीं है. लेकिन कई पासआउट स्टूडेंट्स ऐसे हैं जो इंटरनेट के द्वारा आज भी एक दूसरे से जुड़े हुए हैं. कई बार यह एल्यूमनी आपस में मिलकर प्रोग्राम का आयोजन करते हैं. जिसमें अपने अपने एक्सपिरिएंस व स्कूल के दिनों को एक दूसरे से शेयर करते हैं. यही कारण है कि वो दिन इन स्टूडेंट्स के लिए यादगार साबित होता है. ——————————