को-अॉपरेटिव सोसाइटी के उपाध्यक्ष के सभी अधिकार सीज

को-अॉपरेटिव सोसाइटी के उपाध्यक्ष के सभी अधिकार सीज – जिला सहकारिता पदाधिकारी ने पत्र भेजकर दी जानकारी वरीय संवाददाता, जमशेदपुरजिला सहकारिता पदाधिकारी ने दी जमशेदपुर को अॉपरेटिव हाउसिंग बिल्डिंग सोसाइटी लि. के उपाध्यक्ष डीके दत्ताराय के समस्त अधिकार व कार्य पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. 12 नवंबर 2015 (पत्रांक 547) को जिला […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 22, 2015 10:50 PM

को-अॉपरेटिव सोसाइटी के उपाध्यक्ष के सभी अधिकार सीज – जिला सहकारिता पदाधिकारी ने पत्र भेजकर दी जानकारी वरीय संवाददाता, जमशेदपुरजिला सहकारिता पदाधिकारी ने दी जमशेदपुर को अॉपरेटिव हाउसिंग बिल्डिंग सोसाइटी लि. के उपाध्यक्ष डीके दत्ताराय के समस्त अधिकार व कार्य पर अगले आदेश तक रोक लगा दी है. 12 नवंबर 2015 (पत्रांक 547) को जिला सहकारिता पदाधिकारी ने सोसाइटी के उपाध्यक्ष को पत्र लिख रोक से अवगत कराया है. उन्होंने कहा कि डीके दत्ताराय ने सहकारी अधिनियम की धारा 14 की उप धारा 8 एवं उप विधि की कंडिका 52 का उल्लंघन किया है. जिला सहकारिता पदाधिकारी ने 14 नवंबर (पत्रांक 548) 15 को सहयोग समितियां के निबंधक को पत्र लिख कर इसकी जानकारी देते हुए मार्गदर्शन मांगा है. पत्र से स्पष्ट है कि समिति प्रबंधकारिणी ने निर्धारित अवधि में वार्षिक आम सभा नहीं की अौर डीके दत्ताराय इस कृत के लिए दोषी ठहराये गये. सहकारिता पदाधिकारी ने पत्र में लिखा है कि संयुक्त निबंधक के न्यायालय के 6 अगस्त 15 के आदेश के आलोक में समिति में दिसंबर 2015 में विशेष आम सभा कराया जानी है, इस परिस्थिति में अगर वर्तमान प्रबंधकारणी के कार्यकलाप पर प्रश्न चिन्ह लगता है तो वर्तमान प्रबंधकारिणी के द्वारा विशेष आम सभा के संपादन से संबंधित क्रियाकलाप विधि सम्मत प्रतीत नहीं होता. जिला सहकारिता पदाधिकारी ने रोक के बावजूद उपाध्यक्ष पद पर जीजे मिंज का चुनाव करने को न्याय संगत नहीं बताया है. 19 नवंबर (पत्रांक 550) को जिला सहकारिता पदाधिकारी ने उपाध्यक्ष को पत्र लिख कर उपाध्यक्ष पद पर जीजे मिंज का चुनाव किये जाने के संबंध में कहा है कि उनके सभी अधिकार-कार्य पर 12 नवंबर को रोक लगायी गयी थी जिसकी सूचना दी गयी थी, इसके बावजूद सोसाइटी के क्रियाकलाप को विधि सम्मत नहीं ठहराया जा सकता है. जिला सहकारिता ने निबंधक का मार्ग दर्शन प्राप्त होने तक किसी प्रकार के नीति गत निर्णय लेने को न्याय संगत नहीं कहा था.

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