प्रात: पवत्रि स्नान कर बनें अनंत फल के भागी

प्रात: पवित्र स्नान कर बनें अनंत फल के भागीकार्तिक पूर्णिमा आजजमशेदपुर. कार्तिक मास में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, आदित्य आदि प्रमुख देवताओं से संबंधित कोई न कोई पुनीत पर्व या तिथि पड़ती ही है. इसके कारण कार्तिक मास में किये गये स्नान, दान, होम, यज्ञ, उपवास आदि अनंत फल दायी होते हैं. उसमें भी कार्तिक पूर्णिमा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 25, 2015 12:24 AM

प्रात: पवित्र स्नान कर बनें अनंत फल के भागीकार्तिक पूर्णिमा आजजमशेदपुर. कार्तिक मास में ब्रह्मा, विष्णु, शिव, आदित्य आदि प्रमुख देवताओं से संबंधित कोई न कोई पुनीत पर्व या तिथि पड़ती ही है. इसके कारण कार्तिक मास में किये गये स्नान, दान, होम, यज्ञ, उपवास आदि अनंत फल दायी होते हैं. उसमें भी कार्तिक पूर्णिमा को अगर कृतिका नक्षत्र हो तो यह महा कार्तिकी बन जाता है. अगर इस दिन भरणी एवं रोहिणी नक्षत्र हो तो उसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है. इस वर्ष कार्तिक पूर्णिमा बुधवार (25 नवंबर) को है. इस दिन भरणी नक्षत्र प्रात: 7:30 बजे तक ही है, उसके बाद कृत्तिका नक्षत्र की शुरुआत हो रही है, इसलिए इस दिन महा कार्तिकी संयोग बन रहा है. इस महा संयोग में किये गये दीप दान का 10 यज्ञों के बराबर फल मिलता है. कार्तिकी को संध्या समय दीप दान करने से पुनर्जन्म से मुक्ति मिलती है. इस दिन देवाधिदेव भगवान भोलनेनाथ के दर्शन अति शुभ माना जाता है. चंद्रोदय के समय शिवा, संभूति, प्रीति, संतति, अनुसूया और क्षमा, इन कृतिकाओं का पूजन करने से कार्तिकेय, षडगी, वरुण, उदासन, साशुक, धान्य सभी की कृपा प्राप्त होती है तथा ऐसा करने से शौर्य, पौरुष, धैर्य आदि की प्राप्ति होती है. इस दिन श्रद्धालु को नक्त व्रत कर वृषभ दान करने से सर्व मनोरथ पूर्ति होती है, संपत्ति की वृद्धि होती है. वैसे तो पूरे कार्तिक मास में सूर्योदय से पूर्व स्नान कर प्रात: अपने आराध्य का स्मरण-पूजन कर प्रदोष काल में दीपदान करने से सर्व मनोरथ की पूर्ति होती है. यदि पूरे माह संभव न हो तो कम से कम कार्तिकी पूर्णिमा को इसका अवश्य पालन करना चाहिए. इस व्रत को कार्तिक पूर्णिमा से आरंभ कर हर पूर्णिमा को नक्त व्रत करें तो सकल मनोरथों की पूर्ति होती है.घर में ही पायें गंगा स्नान का फल वैसे तो इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में गंगा, यमुना अथवा निकट की किसी नदी में स्नान करने का विधान है, किन्तु किसी कारण ऐसा संभव न हो तो घर में ही स्नानागार में ‘ॐ गंगै नम:’ मंत्र का 3, 5 या 11 बार जाप करते हुए ताम्र पात्र से स्नान करने से गंगा स्नान के बराबर ही फल मिलता है.कार्तिक स्नान का मुहूर्तसर्वोत्तम : प्रात: 4:54 से 5:12 बजे तकउत्तम : प्रात: 5:13 से 6:04 बजे तकसामान्य : प्रात: 6:05 से 8:49 बजे तक

Next Article

Exit mobile version