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सड़क पर टहलना मतलब खतरा ! :::असंपादित

सड़क पर टहलना मतलब खतरा ! :::असंपादितशहर के कई इलाके में पार्क नहीं है. इस वजह से लोग लाचारी सड़क किनारे फुटपाथ पर टहलने को मजबूर हैं. इस दौरान सड़क पर गाड़ियां दौड़ने लगती हैं. सुबह स्कूल गाड़ी और सवारी गाड़ी का शोर शुरू हो जाता है. ऐसे में सड़क किनारे टहलने वालों के लिए […]

सड़क पर टहलना मतलब खतरा ! :::असंपादितशहर के कई इलाके में पार्क नहीं है. इस वजह से लोग लाचारी सड़क किनारे फुटपाथ पर टहलने को मजबूर हैं. इस दौरान सड़क पर गाड़ियां दौड़ने लगती हैं. सुबह स्कूल गाड़ी और सवारी गाड़ी का शोर शुरू हो जाता है. ऐसे में सड़क किनारे टहलने वालों के लिए खतरा बना रहता है. वे शरीर को स्वस्थ रखने के लिए टहलते तो हैं, गाड़ी से खुद को बचाकर चलने के लिए थोड़ा तनाव में भी रहते हैं. शोर, धूल, धुआं से वातावरण स्वच्छ नहीं रहता. इसके अलावा फुटपाथ या सड़क का किनारा बढ़िया नहीं होने से बुजुर्गों को टहलते गिरने का डर भी रहता है. हमने विभिन्न इलाके में सुबह सड़क किनारे टहल रहे लोगों से बातचीत की. उनसे जानना चाहा कि पार्क नहीं होने से किस तरह की दिक्कत पेश आती है. सभी ने एक्सीडेंट होने के खतरे की बात की. लाइफ @ जमशेदपुर की रिपोर्ट … जुगसलाई जुगसलाई को शहर के महत्वपूर्ण हिस्से में गिना जाता है. यहां से स्टेशन काफी नजदीक है. इसके कारण यहां सुबह-शाम गाड़ियों का तांता लगा रहता है. ऐसे में यहां के वाशिंदे व्यस्त सड़कों पर मॉर्निंग वाक करने को मजबूर हैं. यहां मार्निंग वाक या फुर्सत के क्षण बिताने के लिए पार्क नहीं है. लोग चाहते हैं कि यहां पार्क हो. यहां के विमल अग्रवाल और विजेंद्र सिंह रोज साथ में मॉर्निंग वाक के लिए निकलते हैं. विमल अग्रवाल विमल अग्रवाल बताते हैं कि सड़क किनारे मॉर्निंग वाक करना रिस्की है. लेकिन पार्क नहीं रहने से लोग सड़क किनारे टहलने को मजबूर हैं.विजेंद्र सिंह विजेंद्र सिंह बताते हैं कि यहां के कुछ लोग मकदम पार्क तक चले जाते हैं. लेकिन कई बार यह पार्क बंद रहता है. दूसरा, घर से दूर भी है. इस वजह से अधिकतर लोग सड़क किनारे ही टहल लेते हैं. वे बताते हैं कि मोहल्ला में पार्क हो जाये तो बहुत अच्छा रहेगा. जुगसलाई फाटक से स्टेशन तक सड़क किनारे ही टहलने के लिए फुटपाथ बन जाये तो भी अच्छा रहेगा. गाड़ी के खतरे से बचाने के लिए इसे ग्रिल किया जा सकता है. ———-आदित्यपुर अादित्यपुर मुख्य शहर से दो सड़क पुल से जुड़ा है. इंडस्ट्रीयल एरिया होने के कारण दोनों ही पुल हमेशा व्यस्त रहता है. आदित्यपुर बड़े भाग में फैला है और शहर की बड़ी आबादी यहां बसती है. लेकिन यहां बिष्टुपुर के बाद पुल से एस टाइप तक कोई पार्क नहीं है. इस वजह से यहां के लोग भी सड़क किनारे ही टहलने को मजबूर हैं. अजीत कुमार टाटा स्टील से रिटायर अजीत कुमार आदित्यपुर के हरिओम नगर में रहते हैं. वह रोज सुबह टहलने निकलते हैं. वह घर से पुराने पुल तक का चक्कर लगाते हैं. वह बताते हैं कि पुल पर बने फुटपाथ पर गिरने का भी डर रहता है. ध्यान से नहीं चलने पर पैर रफ फुटपाथ से टकरा सकता है. वह बताते हैं कि यहां इवनिंग वाक के लिए तो आ ही नहीं सकते. उस समय गाड़ियों की काफी भीड़ रहती है. आशा माहेश्वरी आशा माहेश्वरी भगवती एन्क्लेव में रहती हैं. पार्क नहीं होने के कारण वह भी सड़क किनारे ही मॉर्निंग वाक करती हैं. वह बताती हैं कि यहां सुबह से ही गाड़ियां चलना शुरू हो जाती हैं. टहलते हुए गाड़ी से टकराने का हमेशा खतरा बना रहता है. गाड़ियों के शोर और प्रदूषण से स्वास्थ्य पर विपरीत असर भी पड़ सकता है. ———-मानगो शहर की अच्छी आबादी मानगो में रहती है. इस इलाके में भी कोई पार्क नहीं है. यहां से जुबिली पार्क दूर है. यहां के लोगों के लिए रोज जुबिली पार्क जाकर टहलना संभव नहीं है. यहां भी सुबह कई औरत-पुरुष सड़क किनारे ही टहलते मिल जाते हैं. मनोज कुमार रथ मनोज कुमार रथ पोस्ट ऑफिस रोड में रहते हैं. वह बताते हैं कि यहां पार्क होने से लोगों को टहलते हुए भय नहीं रहेगा. बुजुर्ग भी आराम से टहल पायेंगे. अभी तो लोग सड़क और पुल किनारे टहलने को ही मजबूर हैं. राकेश कुमार सिंह राकेश कुमार सिंह का आवास टीचर्स कॉलोनी में है. उनके डेली रूटीन में भी सुबह का टहलना शामिल है. वह बताते हैं कि सड़क पर गाड़ियां अधिक होने से वह ढंग से टहल नहीं पाते. हमेशा एक्सीडेंट का खतरा रहता है. आप दोस्तों के साथ गप करते तो बिल्कुल नहीं टहल सकते. ध्यान गाड़ियों पर लगा रहता है. ———-डिमना चौक डिमना चौक और एनएच 33 किनारे कई बड़ी सोसायटी और अन्य मकान है. नेशनल हाइवे होने के कारण यहां बड़ी गाड़ियों की आवाजाही हमेशा रहती है. इस इलाके की बात की जाये तो पारडीह से बालीगुमा तक एक भी पार्क नहीं है. सो यहां के लोग भी मॉर्निंग वाक के लिए सड़क का ही चक्कर लगाते हैं. सुनील सिंह बिजनस मैन सुनील सिंह हिल व्यू, डिमना में रहते हैं. वह सुबह डिमना चौक से डिमना लेक की तरफ टहलने जाते हैं. वह बताते हैं कि इस रास्ते पर टहलना खतरे से भरा है. पहाड़ी इलाका होने के कारण रास्ता तंग है और एक तरफ पहाड़ तो दूसरी ओर खाई है. रास्ते में तीव्र मोड़ भी है. ऐसे में टहलते हुए कब गाड़ी सामने आ जाती है पता भी नहीं चलता. तंग रास्ते पर आप ढंग से बगल भी नहीं हट सकते. इस रूट में टहलना खतरे से भरा है. अभय सिंह अभय सिंह शिरोमन नगर, डिमना के रहने वाले हैं. वह भी डिमना चौक से डिमना लेक की तरफ ही टहलने जाते हैं. वह बताते हैं कि सड़क पर टहलना सुरक्षित नहीं है. यहां के लोग धूल, धुआं और शोरगुल में टहलने को मजबूर हैं. यहां पार्क हो जाये तो अच्छा रहेगा.

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