कैदी बनायेंगे अल्युमिनियम के बरतन, पांच मिनट में बनेगा एक बरतन

जमशेदपुर: जिन हाथों ने कभी बंदूक थाम कई लोगों की जान ली,अब उन्हीं हाथों से भोजन उपलब्ध कराने का साधन बनेगा. घाघीडीह सेंट्रल जेल के बंदियों ने मशीन पर अल्युमिनियम का बरतन बनाना शुरू कर दिया है. भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (पंजाब ) से 6.91 लाख रुपये की मशीन मंगायी गयी है. इसे घाघीडीह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | November 16, 2013 10:09 AM

जमशेदपुर: जिन हाथों ने कभी बंदूक थाम कई लोगों की जान ली,अब उन्हीं हाथों से भोजन उपलब्ध कराने का साधन बनेगा. घाघीडीह सेंट्रल जेल के बंदियों ने मशीन पर अल्युमिनियम का बरतन बनाना शुरू कर दिया है.

भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ (पंजाब ) से 6.91 लाख रुपये की मशीन मंगायी गयी है. इसे घाघीडीह जेल में लगायी गयी है. इससे प्रतिदिन लगभग 100 से 200 थाली, गिलास, टैंग तैयार होंगे. कैदियों द्वारा तैयार बरतन विभिन्न जेलों में भेजे जायेंगे. इससे होने वाले लाभ को बंदी कल्याण कोष बना कर रखा जायेगा. इस कोष का संचालन घाघीडीह जेल प्रबंधन द्वारा किया जायेगा. बरतन बनाने में लगे कैदियों को इसके एवज में उचित पारिश्रमिक भी दिया जायेगा.

बंदियों को दी जायेगी ट्रेनिंग
हाइ क्वालिटी का बर्तन बनाने के लिए बंदियों को एक माह का प्रशिक्षण दिया जायेगा. ताकि बाजार में बर्तन टिक सके. कैदी इस योजना से उत्साहित हैं. स्थापना दिवस 15 नवंबर को ट्रायल के तौर पर थाली व गिलास बनाया गया. आजीवन कारावास की सजा काट रहे बलिराम सरदार एवं अन्य बंदी बरतन बनाने रहे हैं. उन्हें भारतीय राष्ट्रीय उपभोक्ता सहकारी संघ के रवि तांती व रघुनाथ मुमरू प्रशिक्षित भी कर रहे हैं.

पहली खेप जायेगा हजारीबाग जेल

यहां से 100 बंदियों के लिए थाली, गिलास की पहली खेप हजारीबाग ओपन जेल भेजा जायेगा. बाद में अन्य जेलों में आपूर्ति की जायेगी.

जेल में दिया जाता है प्रशिक्षण

कंप्यूटर व इलेक्ट्रिशियन का, स्क्रीनिंग प्रिटिंग और मच्छर भागने वाली अगरबत्ती बनाने का भी काम चल रहा है.

जेल में बंदियों के सोच में परिवर्तन हो, इसके लिए रोजगार के लिए तैयार किया जा रहा है, ताकि छूटने के बाद उन्हें दिक्कत नहीं हो.

सत्येंद्र चौधरी , जेलर घाघीडीह सेंट्रल जेल

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