जमशेदपुर: हिंदी साहित्य की श्रेष्ठतम रचना लोकप्रिय काव्य हरिवंश राय बच्चन द्वारा रचित मधुशाला का संताली अनुवाद मातकोम रासा का लोकार्पण शनिवार को बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन प्रेक्षागृह में होगा.
संताल लेखकों के सम्मेलन में उक्त लोकार्पण समारोह में शहर के काफी बुद्धिजीवियों के अलावा लेखक सूर्य सिंह बेसरा भी मौजूद रहेंगे. मातकोम रासा का अनुवाद स्वयं श्री बेसरा ने किया है. उन्होंने स्वर्गीय हरिवंश राय बच्चन की मधुशाला की तरह मातकोम रासा को भी कविता के रुप में अनुवाद किया है. मातकोम रासा संताली अनुवाद में कुल 135 कविताएं हैं. पुस्तक 160 पृष्ठों में मुद्रित की गयी है, इसके प्रकाशक समाजसेवी गोविंद अग्रवाल हैं. यह पुस्तक रविंद्र भवन में चल रहे पुस्तक मेला में आदिम बुक सेंटर लोकार्पण के बाद से ही मौजूद रहेगी. पुस्तक को ओलचिकि लिपि में मुद्रित हुई है, जिसकी कीमत 100 रुपये रखी गयी है.
मधुशाला का एक परिचय
मधुशाला का पहला संस्करण अप्रैल 1935 में तथा 57वां संस्करण जुलाई 2009 में प्रकाशित हुआ था. सबसे पहले 1950 में मरजोरी बॉलटोन ने अंग्रेजी में अनुवाद किया था, जिसका प्रकाशन लंदन की प्रेस द्वारा किया गया था. उसके बाद 1979 में विनय कुमार चौकसे द्वारा मराठी में, 1980 में कन्हैया लाल घोष द्वारा बंगाली में, 1980 में मलयालम में और 2013 में मधुशाला के गौरवशाली 80 साल पूरा होने बाद किसी जनजाति भाषा संताली में मातकोम रासा का अनुवाद सूर्य सिंह बेसरा द्वारा कर संताली साहित्य जगत में उत्कृष्ठ स्थान प्रदान किया गया है.