पूछा गया है कि क्यों नहीं इसे लीज शर्तों का उल्लंघन माना जाये. किन शर्तों के तहत बड़ी कंपनियों को लैंड ट्रांसफर किया गया, जबकि इन कंपनियों को सीधे सरकार जमीन दे सकती थी. टाटा स्टील ने टाटा सबलीज के तहत लाफार्ज सीमेंट (पहले टाटा स्टील सीमेंट), टिमकेन इंडिया (टाटा टिमकेन), टाटा पावर, टाटा कमिंस को सबलीज पर जमीन दी है. इन कंपनियों को जमीन देने के बाद खरीद और बिक्री भी की गयी. इसके एवज में सरकार को राजस्व नहीं मिला.
जानकारी के अनुसार कौड़ियों के मोल पर इन कंपनियों को जमीन सबलीज पर दी गयी. इन जमीन पर कॉमर्शियल रेट के साथ कॉरपोरेट रेट अलग से लागू किया जाना चाहिए था. इससे सरकार को करोड़ों के राजस्व का नुकसान हुआ है. सरकार को उस आधार पर लगान भी नहीं मिल रहा है. अब टाटा स्टील का जवाब आने के बाद सरकार से मिले निर्देश पर जिला प्रशासन कार्रवाई करेगा.