सरकारी उपेक्षा से भारतीय नृत्य शैलियों पर खतरा
सरकारी उपेक्षा से भारतीय नृत्य शैलियों पर खतरा(फोटो ऋषि की होगी)पं श्यामल महाराज दुहराया संरक्षण का संकल्पलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर सरकारी विभागों एवं सक्षम लोगों की उपेक्षा के कारण भारतीय शास्त्रीय नृत्य का भविष्य खतरे में है. लेकिन, उसे बचाने के लिए हम संस्कृति कर्मी हर संभव प्रयास करते रहेंगे. उक्त आशय का संकल्प कोलकाता […]
सरकारी उपेक्षा से भारतीय नृत्य शैलियों पर खतरा(फोटो ऋषि की होगी)पं श्यामल महाराज दुहराया संरक्षण का संकल्पलाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर सरकारी विभागों एवं सक्षम लोगों की उपेक्षा के कारण भारतीय शास्त्रीय नृत्य का भविष्य खतरे में है. लेकिन, उसे बचाने के लिए हम संस्कृति कर्मी हर संभव प्रयास करते रहेंगे. उक्त आशय का संकल्प कोलकाता से जमशेदपुर फेस्टिवल में कार्यक्रम देने पहुंचे ख्यात कथक गुरु पं श्यामल महाराज ने रविवार सुबह पत्रकारों के समक्ष दुहराया. पं शंभु महाराज एवं पं लच्छू महाराज के शिष्य तथा पं बिरजू महाराज के गुरुभाई पं श्यामल महाराज ने कहा कि आज केंद्र एवं राज्य सरकारों के स्तर पर भी भारतीय शास्त्रीय संगीत एवं नृत्य को तरजीह नहीं मिल रही है. इसी क्रम में उन्होंने टाटा स्टील की उसकी ओर से भारतीय संगीत-नृत्य को बढ़ावा देने के लिए किये जाने वाले प्रयासों की सराहना भी की. उन्होंने कहा कि विदेश में भारतीय संगीत एवं नृत्य कलाओं की अच्छी पूछ-परख है, लेकिन यहां लोग विदेशी नृत्य शैलियों के पीछे पड़े हैं. आज युवा वर्ग कम प्रयास में अधिक पाने की कोशिश में लगा है, लेकिन नृत्य, खास कर भारतीय नृत्य शैलियां लंबे प्रयास से ही सीखी जा सकती हैं. इसके कारण भी लोग उनसे दूर होते जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि तत्काल वाहवाही के अतिरिक्त उसमें कुछ नहीं. वह कोई नृत्य शैली नहीं, नृत्य के नाम पर जिमनास्टिक के करतब दिखाना नृत्य नहीं. उसका भारतीय नृत्य में कोई स्थान नहीं. उन्होंने कहा कि भारतीय नृत्य में जिस ताल की बात कही जाती है, वह हृदय की धड़कनों से जुड़ी चीज है, उनका एरोबिक उछल-कूद से कोई लेना-देना नहीं. भारतीय एवं विदेशी नृत्य शैलियों के फ्यूजन की चर्चा आने पर उन्होंने कहा कि प्रयोग में कोई बुराई नहीं, किन्तु भारतीय शैलियों को बचाये रखना ज्यादा जरूरी है. उसमें हमारी सांस्कृतिक विरासत निहित है, हमारी अनमोल सांस्कृतिक धरोहर है वह. कथक किंग ऑफ डांसेज बताते हुए उन्होंने कहा कि नृत्य गुरुओं की जिम्मेवारी बन गयी है कि वे इस विरासत को बचाये रखें.