जमशेदपुर पश्चिम के पूर्व विधायक अयूब खान का निधन
जमशेदपुर : अखिल भारतीय समाजवादी पार्टी (चंद्रशेखर) के राष्ट्रीय महासचिव सह जमशेदपुर पश्चिम के पूर्व विधायक अयूब खान का गुरुवार तड़के 3.40 बजे टीएमएच में इंतकाल हो गया. वे 79 साल के थे. उनके पार्थिव शरीर को टीएमएच के शीतगृह में रखा गया है. जुमा को उनकी अंतिम यात्रा बिष्टुपुर खालसा क्लब एन रोड संत […]
जमशेदपुर : अखिल भारतीय समाजवादी पार्टी (चंद्रशेखर) के राष्ट्रीय महासचिव सह जमशेदपुर पश्चिम के पूर्व विधायक अयूब खान का गुरुवार तड़के 3.40 बजे टीएमएच में इंतकाल हो गया. वे 79 साल के थे. उनके पार्थिव शरीर को टीएमएच के शीतगृह में रखा गया है. जुमा को उनकी अंतिम यात्रा बिष्टुपुर खालसा क्लब एन रोड संत एंथोनी स्कूल के पास आवास से धातकीडीह कब्रिस्तान के लिए निकलेगी. धातकीडीह मसजिद में जुमा की नमाज के बाद जनाजे की नमाज होगी, बाद डेढ़ बजे दिन में उन्हें धातकीडीह कब्रिस्तान में सुपुर्द ए खाक किया जायेगा. वे अपने पीछे दो पुत्र एक पुत्री का भरा-पूरा परिवार छोड़ गये हैं.
स्वर्गीय अयूब खान की धर्मपत्नी का कई वर्ष पूर्व निधन हो गया था. 1977 में जमशेदपुर पश्चिम से जनता पार्टी की टिकट पर अयूब खान को विधायक बनने का मौका मिला था. इसके बाद 1991 में बिहार सरकार के 20 सूत्री कमेटी के उपाध्यक्ष (राज्यमंत्री का दरजा) भी रहे. 1990 में मुख्यमंत्री बने लालू प्रसाद यादव उन्हें यह पद प्रदान किया था. इसके बाद जब जनता दल से वीपी सिंह और चंद्रशेखर अलग हुए तो लालू ने मोहम्मद अयूब खान से पूछा कि क्या इरादा है, मेरे साथ रहना है या फिर पद छोड़ना है.
अयूब खान ने उस वक्त तत्परता के साथ जवाब दिया कि उन्हें चंद्रशेखरजी ने यह पद दिलाया था, इसलिए वे उसे छोड़कर उनके साथ ही रहेंगे. उनके पुत्र मोहम्मद इशा ने बताया कि 79 वर्षीय पिता अयूब खान काफी तंदुरस्त रहते थे, जिसके कारण वे अक्सर अकेले ही दिल्ली समेत देश के अन्य हिस्सों में भ्रमण के लिए चले जाया करते थे. पिछले दिनों उनकी तबीयत बिगड़ने पर उन्हें इलाज के लिए टीएमएच में भरती कराया गया तो डॉक्टरों ने बताया कि उनकी एक लाइन में ब्लॉकेज है, जिसके बाद स्टेन डाल दी गयी. 16 को उनका ऑपरेशन हुआ, अस्पताल से छुट्टी होने के बाद वे घर पर आराम कर रहे थे.
20 की रात उन्हें सांस लेने में तकलीफ महसूस हुई, जिसके बाद उन्हें टीएमएच में भरती कराया गया. जांच के दौरान डॉक्टरों ने बताया कि उनका हार्ट ब्लॉकेज हो गया है. इसके बाद उनकी गहन जांच कर डॉक्टरों ने अपनी तरफ से हर संभव कोशिश की, जिसके बाद वे कुछ ठीक हुए. जुमेरात को तड़के 3.40 में उन्होंने अंतिम सांस ली. जेपी आंदोलन की उपज रहे अयूब खान इमरजेंसी के दौरान 18 माह तक जेल में रहे, उनके खिलाफ मीसा लगाया गया था. पुलिस ने उनके घर पर छापामारी कर उनके पुत्र को भी जेल भेज दिया था. इस दौरान उनके पुत्र को काफी प्रताड़ित भी किया गया था.
जेपी के कहने पर ही जमशेदपुर में आकर अयूब खान ने आंदोलन को गति प्रदान की थी. सीपीआइ के साहिल कर को किया था पराजितमोहम्मद अयूब खान ने 1977 में जनता पार्टी की टिकट पर जमशेदपुर पश्चिम विधान सभा से चुनाव लड़ा. उन्होंने सीपीआइ के साहिल कर को पराजित किया था. अयूब खान को 16520 मत मिले, जबकि साहिल कर को 5967 मतों से संतोष करना पड़ा. 1980 में हुए बिहार विधान सभा के चुनाव में उन्होंने फिर जनता पार्टी की टिकट पर चुनाव लड़ा. इस बार वे चौथे नंबर पर रहे. उन्हें मात्र 988 मत मिले. कांग्रेस पार्टी के मोहम्मद शमशुद्दीन खान ने 19525 मतों से यह सीट जीती थी, जबकि भाजपा के मृगेंद्र प्रताप सिंह दूसरे नंबर पर रहे, उन्हें 19467 मत मिले.