कोल्हान में जिल जोम व दोसोन की रही धूम(फोटो जमशेदपुर में है) (पेज दो का बॉटम)

कोल्हान में जिल जोम व दोसोन की रही धूम(फोटो जमशेदपुर में है) (पेज दो का बॉटम)- पांच साल में एक बार मनाये जाने वाले उत्सव का लोगों ने लिया आनंद – एक दूसरे की मेहमानवाजी कर आपस में सुख-दुख बांटे – आदिवासी बहुल गांवों में मेला जैसा रहा माहौल संवाददाता, जमशेदपुरकोल्हान के आदिवासी बहुल गांवों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 25, 2015 9:33 PM

कोल्हान में जिल जोम व दोसोन की रही धूम(फोटो जमशेदपुर में है) (पेज दो का बॉटम)- पांच साल में एक बार मनाये जाने वाले उत्सव का लोगों ने लिया आनंद – एक दूसरे की मेहमानवाजी कर आपस में सुख-दुख बांटे – आदिवासी बहुल गांवों में मेला जैसा रहा माहौल संवाददाता, जमशेदपुरकोल्हान के आदिवासी बहुल गांवों में शुक्रवार को जिल जोम व दोसोन उत्सव की धूम रही़ मांदर व नगाड़े की थाप पर ग्रामीण एक-दूसरे हाथ थामकर नृत्य कर रहे थे. ग्रामीणों का उत्साह व खुशी देखते बन रहा था़ आखिर हो भी क्यों ना, उन्हें पांच साल बाद यह मौका मिला था. ज्ञात हो कि आदिवासी समुदाय पांच साल पर जिल जोम उत्सव मनाता है. इस उत्सव का खास अपना महत्व है. इस उत्सव में शरीक होने के लिए हर परिवार अपने सगे-संबंधियों को न्यौता देते हैं. शुक्रवार की दोपहर के बाद मेहमानों का एक-दूसरे के यहां आना शुरू हो गया था. शुक्रवार की शाम आदिवासी बहुल गांवों में मेले जैसा माहौल था. शाम में मेहमानों ने मांस-भात व अन्य पकवान का लुत्फ उठाया़ रातभर मांदर की थाप पर होता रहा नृत्य एक दूसरे के मेहमानवाजी के बाद नृत्य का दौर शुरू हुआ. जैसे-जैसे शाम ढलता गया, वैसे-वैसे गांवों में मांदर व नगाड़े की थाप तेज होती गयी. इसके बाद समाज के लोगों ने एकजुट होकर नृत्य किया. वहीं सामाजिक माहौल में रातभर लोगों ने उत्सव का आनंद उठाया. आदिवासी संताल समुदाय 5 साल में एक बार बड़े पैमाने पर मिलन उत्सव मनाते है़ं इसे जिल जोम व दोसोन उत्सव के नाम से जाना जाता है़ सामाजिक व सांस्कृतिक दृष्टिकोण से यह किसी महाकुंभ से कम नहीं है़ आदिकालों से चल रही इस प्रथा को दिनों दिन माइलेज मिल रहा है भागदौड़ भरे इस जीवन में 5 साल में एक बार जिल जोम उत्सव के बहाने लोग एक दूसरे से मिलते हैं. सुख-समृद्धि के लिए की प्रार्थनागांव के माझी बाबा व नायके के नेतृत्व में ग्रामीण पूजास्थल जाहेरथान गये़ वहां नायके बाबा ने गांव के चारों दिशाओं के देवी-देवता व ग्राम देवता की पूजा अर्चना की़ गांव में हमेशा सुख-शांति व अमन के लिए प्रार्थना की़ ग्रामीणों ने मरांगबुरू जाहेरआयो के समक्ष नतमस्तक होकर श्रद्धा प्रकट किया़ करनडीह समेत दर्जनों गांवों में मना उत्सवशुक्रवार को करनडीह, दुबराजपुर, बांदो समेत एक दर्जन गांवों में उत्सव मनाया गया.

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