टाटा वर्कर्स यूनियन व टेल्को यूनियन में हुआ सत्ता परिवर्तन
टाटा वर्कर्स यूनियन व टेल्को यूनियन में हुआ सत्ता परिवर्तन ट्रेड यूनियन की राजनीति के लिए यह साल (2015) अहम रहा. टाटा वर्कर्स यूनियन और टेल्को वर्कर्स यूनियन में बदलाव हुआ. युवा चेहरो के हाथों में कमान सौंप दी गयी. टाटा वर्कर्स यूनियन में पुराने चेहरे को नकारते हुए मजदूरों और कमेटी मेंबरों ने कई […]
टाटा वर्कर्स यूनियन व टेल्को यूनियन में हुआ सत्ता परिवर्तन ट्रेड यूनियन की राजनीति के लिए यह साल (2015) अहम रहा. टाटा वर्कर्स यूनियन और टेल्को वर्कर्स यूनियन में बदलाव हुआ. युवा चेहरो के हाथों में कमान सौंप दी गयी. टाटा वर्कर्स यूनियन में पुराने चेहरे को नकारते हुए मजदूरों और कमेटी मेंबरों ने कई नये चेहरे को जगह दी. आर रवि प्रसाद की अध्यक्षता में युवाओं की टीम को मौका दिया गया. कई वर्षों के बाद गैर बिहारी व्यक्ति को सत्ता का कमान मिला. इसी तरह टेल्को वर्कर्स यूनियन में सत्ता परिवर्तन साफ तौर पर दिखा. पहली बार जिला प्रशासन की देखरेख में चुनाव हुआ. पूर्व मंत्री सह इंटक के राष्ट्रीय महासचिव राजेंद्र सिंह को हार का मुंह देखना पड़ा और चंद्रभान प्रसाद की पूरी टीम को हार देखना पड़ा. इसमें अमलेश कुमार, प्रकाश सिंह, प्रकाश विश्वकर्मा के नेतृत्व में हर्षवर्धन की टीम विजेता बनी. राकेश्वर अपनी सल्तनत को बचाये रखने में कामयाब रहे.