हेडिंग::: रेडी…वन, टू, थ्री…

हेडिंग::: रेडी…वन, टू, थ्री…सबहेड ::::आज मेरे यार की शादी है… (छोटे फॉन्ट साइज में)आप ने वह चुटकुला तो सुना ही होगा-बैंड क्या शादी की खुशी में बजता है? नहीं यार, शादी के बाद तो आदमी का बैंड उम्र भर बजने वाला होता है, इसलिए शादी के दिन इसका रिहर्सल होता है. दूल्हा इसलिए खुश होता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 30, 2015 6:49 PM

हेडिंग::: रेडी…वन, टू, थ्री…सबहेड ::::आज मेरे यार की शादी है… (छोटे फॉन्ट साइज में)आप ने वह चुटकुला तो सुना ही होगा-बैंड क्या शादी की खुशी में बजता है? नहीं यार, शादी के बाद तो आदमी का बैंड उम्र भर बजने वाला होता है, इसलिए शादी के दिन इसका रिहर्सल होता है. दूल्हा इसलिए खुश होता है कि उसकी शादी होती है और बाराती इसलिए खुश होते हैं कि एक और बंदा उनकी जमात में शामिल होने वाला होता है. यह तो रही मजाक वाली बात. लेकिन, सच यह है कि बिना बैंड बाजा के बारात और शादी की कल्पना ही नहीं होती. शादी में चंद घंटों के मनोरंजन से कई परिवार चलते हैं. हालांकि, शादी के बाद भी इनकी मांग कई मौकों पर बनी रहती है. शादी के बैंड बाजे और उनसे जुड़े लोगों पर पेश है लाइफ @ जमशेदपुर की यह रिपोर्ट…———पीढ़ी दर पीढ़ी बैंड के साथ जुड़ावशहर के कई बैंड ग्रुप के संचालक ऐसे हैं, जो पीढ़ियों से इस व्यवसाय में हैं. उन्हीं में से एक हैं मो आफताब वारसी, जिनकी टीम अपने संगीत के बल पर माहौल को खुशनुमा बना देती है. आफताब बताते हैं कि पिता के गुजर जाने के बाद 1982 से वह बैंड ग्रुप को चला रहे हैं. पिता ने 60 साल पहले शहर में बैंड ग्रुप को शुरू किया था. उस दौरान जो लोग जुड़े, वे आज भी साथ में हैं.हर समय रहती है डिमांडशहरवासी हर समय खुशियों के रंग में डूबे रहते हैं. शहर में भारत के अलग-अलग राज्यों से आकर लोग बसे हैं. लोग अपनी-अपनी संस्कृति के अनुसार कार्यक्रम करते हैं. ऐसे में केवल खरमास को छोड़ दिया जाये, तो सालोंभर बैंड ग्रुप की जबरदस्त डिमांड रहती है. शहर में वर्षभर शादियां होती हैं, या फिर त्योहारों में भी लोग बैंड की बुकिंग करवाते हैं.इमोशन व विश्वास पर टिका है बिजनेसएक अन्य बैंड ग्रुप के संचालक रमेश बताते हैं कि उनके कस्टमर बंधे भी होते हैं. अगर उनके परिवार में शादी होती है, तो उन्हीं को बुलाया जाता है. क्योंकि कहीं न कहीं इमोशनली भी वो कनेक्ट हो जाते हैं. इसी विश्वास के सहारे भी यह व्यवसाय चलता रहता है.ऑफ सीजन में करते हैं खेतीमो आफताब वारसी बताते हैं कि हमारी टीम के सभी सदस्य बिहार के हैं. जब भी शहर में ऑर्डर होता है, तो उसके कुछ दिन पहले ही वे शहर आ जाते हैं. इनमें से ज्यादातर कलाकार खेती करते हैं. कोई समस्तीपुर इलाके का है तो कोई औरंगाबाद, सीवान, छपरा व बक्सर का. ऑर्डर खत्म होने के बाद सभी वापस गांव लौट जाते हैं. कलाकार चेतन बताते हैं कि मैं करीब 40 सालों से इस पेशे से जुड़ा हूं. साथ ही मैं खेती भी करता हूं. दोनों ही कामों को एक साथ संभालने से अच्छी कमायी हो जाती है.आधुनिकता का पड़ा है फर्कआज के समय में डीजे व म्यूजिक सिस्टम के आने के कारण बैंड ग्रुप पर भी इसका प्रभाव पड़ा है. क्योंकि, जो लोग पहले केवल बैंड ग्रुप को ही बुक कराया करते थे, अब वह दूसरी ओर भी रुख कर रहे हैं. लेकिन, आज भी शादियों में बैंड ग्रुप की डिमांड है, इसे नकारा नहीं जा सकता. बैंड की अपनी अलग खासियत है, बिना बैंड ग्रुप के शादी का मजा कुछ फीका सा लगता है. जहां तक ऑर्डर की बात है, तो जिस सीजन में ज्यादा शादियां होती हैं, उन दिनों अच्छा मुनाफा हो जाता है. लेकिन, जिस सीजन में शादियां कम होती हैं, उस समय कम कीमत पर भी ऑर्डर तय कर लिया जाता है.बैंड ग्रुप के रेट11 सदस्यीय बैंड ग्रुप : 15-25 हजार रुपयेशहर में बैंड ग्रुप : लगभग 200नयी पीढ़ी आने को नहीं है तैयारएक्सपर्ट बताते हैं कि आज के समय में बैंड ग्रुप में केवल पुराने लोग ही बचे हैं. नयी पीढ़ी इस ओर खासी दिलचस्पी नहीं दिखा रही है. वे लोग इस काम को नहीं करना चाह रहे हैं. यही वजह है कि जो लोग वर्षों से हमारे साथ जुड़े थे, वही लोग आज भी हैं. आफताब बताते हैं कि ऐसा लगता है कि आने वाले समय में बैंड का ट्रेंड खत्म हो जायेगा.लोगों की ‘जबरदस्ती’ से होती है परेशानीबिनोद बताते हैं कि शादी के दौरान लोग काफी उत्सुक रहते हैं. कई बार ऐसा होता है जब कोई जबरदस्ती अपने पसंद के गानों को बजाने की डिमांड करता है. इसके साथ ही कई दूसरी बातों से भी शादी के दौरान हम लोगों को दो-चार होना पड़ता है. लेकिन, इन सबको हम लोग नजरअंदाज करते हैं. इसको बर्दाश्त कर अपने काम पर ध्यान देते हैं. क्योंकि, यह भी हमारे काम का हिस्सा ही है, इसे नकारा नहीं जा सकता है.कोट——–मेरा गांव समस्तीपुर में है. मैं केवल बैंड ग्रुप के ऑर्डर के लिए शहर आता हूं व काम खत्म होने के बाद वापस घर चला जाता हूं. जब मैं यह काम नहीं करता, तो मैं खेती करता हूं.-प्रदीप1980 से ही मैं बैंड ग्रुप के साथ जुड़ा हूं. शहर में काम की कमी नहीं होती. इसके अलावा मैं खेती करता हूं.-चेथरू दासलगन के दिनों में हम काफी व्यस्त रहते हैं. वहीं शहर में वर्षभर बैंड ग्रुप की डिमांड रहती है. यही कारण है कि हम वर्षों से इस पेशे से जुड़े हुए हैं.-बेदनमैं पिछले 40 वर्षों से बैंड ग्रुप के साथ जुड़ा हुआ हूं. लेकिन मुझे लगता है कि इसमें नयी पीढ़ी को भी आने की जरूरत है, अन्यथा यह भी विलुप्त हो जायेगा.-अदालत राम

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