बिना हाथों के गढ़ी अपनी किस्मत

हौसले, जुनून और लगन की पहचान हैं साेमरा लोहार निखिल सिन्हा जमशेदपुर : कहते हैं जिनके हाथ नहीं होते वे अपनी किस्मत खुद लिखते हैं. ये बात रिक्शा चालक सोमरा लोहार पर सशब्द चरित्रार्थ होती है. हौसलों में हिम्मत, काम में लगन और नीयत में जुनून कुछ ऐसी ही है सोमरा लोहार की कहानी. परसुडीह […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 1, 2016 8:01 AM
हौसले, जुनून और लगन की पहचान हैं साेमरा लोहार
निखिल सिन्हा
जमशेदपुर : कहते हैं जिनके हाथ नहीं होते वे अपनी किस्मत खुद लिखते हैं. ये बात रिक्शा चालक सोमरा लोहार पर सशब्द चरित्रार्थ होती है. हौसलों में हिम्मत, काम में लगन और नीयत में जुनून कुछ ऐसी ही है सोमरा लोहार की कहानी. परसुडीह के शंकरपुर में एक लकड़ी की दुकान में रिक्शा चलाने वाले सोमरा लोहार के पास किस्मत को गढ़ने वाले हाथ नहीं हैं पर हां किस्मत को बदलने वाला माद्दा जरूर है.
15 साल पहले ही जिंदगी ने छीन लिया सब कुछ
आज से करीब 15 साल पहले बादामपहाड़ ट्रेन से गिरकर साेमरा ने अपने दोनों हाथ गंवा दिये. इतने बड़े हादसे के बाद भी तो उसने हिम्मत नहीं हारी और अपने परिवार के पालन के लिए रिक्शा खींचने की ठानी.
साेमरा का बांया हाथ पूरा कटा हुआ है जबकि अपने आधे कटे दाहिने हाथ से वह अपने मालवाहक रिक्शे का हैंडिल संभालता है. सोमरा अपने बांये कंधे में रस्सी बांध लेता है और उसका एक छोर रिक्शा में बंधा हुआ होता है, जिससे उसे रिक्शा खींचने में मदद मिलती है. वहीं आधा कटा हुआ दाहिना हाथ से वह रिक्शा का हैड़ल संभालता है. जबकि ब्रेक लगाने के लिए वह पैरों की मदद लेता है.

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