टाटा वर्कर्स यूनियन में संविधान तार-तार

जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन में एक ओर संविधान संशोधन को लेकर बातचीत हो रही है तो दूसरी ओर, जो वर्तमान संविधान है, उसका ही अनुपालन नहीं किया जा रहा है. लोकतांत्रिक व्यवस्था को लागू करने का दावा करने वाली यूनियन की कमेटी ही खुद उसका उल्लंघन कर रही है. पहला उल्लंघनटाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 5, 2013 9:41 AM

जमशेदपुर: टाटा वर्कर्स यूनियन में एक ओर संविधान संशोधन को लेकर बातचीत हो रही है तो दूसरी ओर, जो वर्तमान संविधान है, उसका ही अनुपालन नहीं किया जा रहा है. लोकतांत्रिक व्यवस्था को लागू करने का दावा करने वाली यूनियन की कमेटी ही खुद उसका उल्लंघन कर रही है.

पहला उल्लंघन
टाटा वर्कर्स यूनियन के उपाध्यक्ष शिवेश वर्मा का पावर सीज कर दिया गया. संविधान के पेज संख्या सात के आर्टिकल 4 (2) (ए) में कहा गया है कि किसी भी पदाधिकारी को तब हटाया जा सकता है, जब वे लिखित तौर पर खुद एक माह की नोटिस पर इस्तीफा दे. आर्टिकल 4 (2)(बी) में कहा गया है कि अगर कोई भी पदाधिकारी सदस्यता शुल्क जमा नहीं करता है, तब उसको हटाया जा सकता है. आर्टिकल 4 (2) (सी) में कहा गया है कि पदाधिकारी को तब हटाया जा सकता है, जब कमेटी मीटिंग में उनके खिलाफ नो कांफिडेंस लाया जाये और फिर उसको जेनरल बॉडी की मीटिंग बुलाकर उसको पारित कराया जाये. आर्टिकल 4 (2) (डी) में कहा गया है कि अगर किसी की मौत हो जाये या स्थायी तौर पर कुछ ऐसी घटना हो जाये तो वे हटाये जा सकते हैं. इन सारे में से किसी भी नियम का उपाध्यक्ष शिवेश वर्मा के प्रकरण में पालन नहीं किया गया है.

दूसरा उल्लंघन
आर्टिकल 9 (इ) में कहा गया है कि महामंत्री 48 घंटे के पूर्व नोटिस भेजकर किसी भी समय एक्जीक्यूटिव कमेटी मीटिंग बुला सकते हैं, जिसमें क्या एजेंडा है, यह तय कर सकते हैं. इससे अलग अगर कोई सदस्य इसमें नया एजेंडा या प्रस्ताव जोड़ना या घटाना चाहता है तो उसके लिए उक्त सदस्य को 24 घंटे पहले महामंत्री को लिखित तौर पर जानकारी देना चाहिए. बुधवार को हुई कमेटी मीटिंग में नये एजेंडे पर बातचीत करने के लिए 40 कमेटी मेंबरों ने मीटिंग के 48 घंटे के पहले आवेदन दिया था, लेकिन उस पर कोई चर्चा नहीं करायी गयी और सिरे से खारिज कर दिया गया.

तानाशाही रवैया अपना रहे अध्यक्ष : कैटीन सर्विसेज के कमेटी मेंबर मंगलेश्वर सिंह ने कहा कि अध्यक्ष हर स्तर पर संविधान का माखौल उड़ा रहे हैं. कमेटी मेंबरों की आवाज दबाने की कोशिश कर रहे हैं.

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