सृजनात्मकता बनेगी सहारा

सृजनात्मकता बनेगी सहारा फोटो : आइटम में स्कल्पचर के नाम से. कवर फोटो : श्रीकांत ओझा 1, अन्य फोटो :::: DSC_5468, DSC_5470 अगर आपमें सृजनात्मकता है, तो आप से लक्ष्मी ज्यादा दिनों तक रूठी नहीं रह सकतीं. आप सामान्य सी चीजों से भी विशेष गढ़ सकते हैं. उसकी लोगों के बीच मांग तैयार सकते हैं. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 2, 2016 12:41 AM

सृजनात्मकता बनेगी सहारा फोटो : आइटम में स्कल्पचर के नाम से. कवर फोटो : श्रीकांत ओझा 1, अन्य फोटो :::: DSC_5468, DSC_5470 अगर आपमें सृजनात्मकता है, तो आप से लक्ष्मी ज्यादा दिनों तक रूठी नहीं रह सकतीं. आप सामान्य सी चीजों से भी विशेष गढ़ सकते हैं. उसकी लोगों के बीच मांग तैयार सकते हैं. ऐसा ही कुछ कर दिखाया है हमारे शहर के एक हुनरमंद ने. उन्होंने तांबे के तार, स्टेनलेस स्टील और बॉल-बेयरिंग से कला की नयी दुनिया विकसित की है. उनकी कलाकृतियों की मांग आज शहरभर में है. इसी इनोवेटिव आर्ट पर पेश है लाइफ @ जमशेदपुर की यह खास रिपोर्ट…तांबे के तार से बनायी अद्भुत कलाकृतियांसोनारी निवासी शशिकांत ओझा ने प्रकृति को थीम मानकर तांबे के तार से तरह-तरह के प्लांट बनाये हैं. उन्हाेंने अब तक बर्निंग ट्री, बोनसाई, पेड़ पर चिड़ियों का घोसला, मशरूम प्लांट, मोर, पेड़ पर उगी लताएं, फैमिली ट्री, साईं बाबा आदि की कलाकृतियां बनायी हैं.पूरी तरह से हैं हैंडमेडशशिकांत की बड़ी बेटी प्रज्ञा ओझा ने बताया कि कलाकृतियों के निर्माण में किसी तरह की मशीन का इस्तेमाल नहीं किया गया है. ये कलाकृतियां हाथों से ही बनायी जाती हैं. ये सभी थीम बेस्ड हैं.पैसा कम, पर समय लगता है बहुतशशिकांत बताते हैं कि इन कलाकृतियों को बनाने में पैसे तो बहुत ज्यादा नहीं खर्च करने पड़ते, लेकिन समय काफी लगता है. इसमें समय, मेहनत और स्किल की ही महत्ता है. वे बताते हैं कि बड़े आकार की कलाकृति बनाने में अधिक समय लगता है. उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि एक छोटे मोर की कलाकृति बनाने में दो से तीन दिन लग जाते हैं. वहीं, बड़े स्कल्पचर तैयार करने में दो से चार महीने का समय लगता है.लाइट्स से डाला जाता है इफेक्टशशिकांत ओझा बताते हैं कि इन कलाकृतियों पर अगर आप लाइट्स का इफेक्ट डाल देते हैं, तो इनकी सुंदरता में चार चांद लग जाते हैं. रात में आपको अद्भुत नजारा दिखायी देता है. इसके लिए छोटे-छोटे एलइडी बल्ब इस्तेमाल में लाये जाते हैं. कलाकृति की थीम के हिसाब से इसमें लाइट्स के रंग डाले जाते हैं.शहर में काफी मांगशहर में बड़े घरों, होटलों, शॉपिंग मॉल, इंस्टीट्यूशन जैसी जगहों पर ये कलाकृतियां शोभा बढ़ाने का काम करती हैं. वर्तमान में इन जगहों पर कलाकृतियों की मांग बढ़ी है. लोग इसके लिए पहले से ही ऑर्डर दे देते हैं.बॉल-बेयरिंग से बनी कलाकृति भी करती है आकर्षितबाॅल-बेयरिंग से भी कलाकृति बनायी जा सकती है. शशिकांत ने इसके जरिये ग्लोब और बड़ा शंख बनाया है. ये काफी पसंद किये गये. इसमें लाइट का इफेक्ट डाल देने से यह हट कर लुक देता है. इसमें प्राय: दुधिया या हल्के ब्ल्यू रंग की रोशनी डाली जाती है. उन्होंने बताया कि हमेशा ऑब्जेक्ट के हिसाब से ही रोशनी डाली जाती है.स्टेनलेस स्टील को दिया मनमाफिक आकारशशिकांत मेटल से भी कलाकृति बनाते हैं. इसमें वह स्टेनलेस स्टील का इस्तेमाल करते हैं. इसके जरिये उन्होंने डॉलफिन व अन्य मछलिया बनायी हैं. वह बताते हैं कि मछलियों की पूंछ पर हीट से गोल्डन व ब्ल्यू रंग का इफेक्ट डाला जाता है. यह कलाकृति की सुंदरता बढ़ा देता है. गोल्डन-ब्ल्यू रंग के लिए हीट सावधानी से देनी पड़ती है. जरा भी ध्यान हटने पर रंग खराब हो सकता है. वह बताते हैं कि बार-बार अभ्यास करने से कहां कितनी हीट डालनी है, इसका अंदाजा हो जाता है.तैयार किया जाता है मजबूत स्टैंडशशिंकात बताते हैं कि घर से बाहर रखी जाने वाली कलाकृतियों को मजबूत स्टैंड देकर बनाया जाता है. उन्होंने बताया कि इससे आंधी-तूफान से ये कलाकृतियां प्रभावित नहीं होती हैं.यह है कीमतबर्निंग ट्री : 3500 रुपयेपेड़ पर घोंसला : 1500 रुपयेविशाल ट्री के नीचे विकसित होते मशरूम : 12,500 रुपयेफैमिली ट्री : 25,000 रुपयेमोर : 800 रुपये————–क्या-क्या इस्तेमाल में लाया जाता है : तांबे का तार, बॉल-बेयरिंग, स्टेनलेस स्टील, लकड़ी, मार्बल सीटआउटडोर व इनडोर के लिए (स्टेनलेस स्टील वर्क) : बड़े होटल, शॉपिंग मॉल, इंस्टीट्यूशंस, डिजाइनर गार्डनट्री, प्लांट, बोनसाई (तांबे के तार का वर्क) : काॅरपोरेट व सोसायटी, बड़े कार्यालय, क्लब, प्राइवेट बंगलो, होटलकोट ————मुझे इस कला में बहुत पहले से ही रुचि थी. इसके लिए मैं समय नहीं निकाल पा रहा था. हाल में एक-दो कलाकृति बनायी, जो लोगों को काफी पसंद आयी. अब मैं कला में रुचि लेने लगा. आज कई जगहों से ऑर्डर आ रहे हैं. यह काफी बड़ा फील्ड है. मेरा सपना स्कल्पचर पार्क बनाने का है. मुख्यमंत्री ने मदद करने का आश्वासन दिया है.-शशिकांत ओझास्कल्पचर पार्क बनाना सपनाशशिकांत ओझा झारखंड में विश्वस्तरीय स्कल्पचर पार्क बनाना चाहते हैं. उनका दावा है कि यह भारत का पहला स्कल्पचर पार्क होगा. उनके मुताबिक इसके लिए मुख्यमंत्री की तरफ से आश्वासन भी मिल चुका है. उन्होंने प्रोपोजल देने को कहा है. इसमें काॅरपोरेट कंपनी की भागीदारी भी हो सकती है. ऐसा होता है तो इस अनोखे पार्क को देखने के लिए दुनियाभर के लोग आयेंगे. इससे राजस्व में भी वृद्धि होगी.

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