प्रश्न अच्छी तरह पढ़ने के बाद ही सॉल्व करें

प्रश्न अच्छी तरह पढ़ने के बाद ही सॉल्व करेंमैथ्स क्लास : 12वींबोर्ड : सीआइएससीइ———–संजीव कुमार झा पीजीटी, सीनियर विंग को-ऑर्डिनेटर राजेंद्र विद्यालय, साकची लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर आइएससी परीक्षा में प्योर साइंस संकाय के छात्रों के लिए मैथ्स काफी महत्वपूर्ण है. यह स्कोरिंग विषय है. लेकिन, फॉर्मूले याद न रहने या प्रश्न न समझ पाने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 11, 2016 12:42 AM

प्रश्न अच्छी तरह पढ़ने के बाद ही सॉल्व करेंमैथ्स क्लास : 12वींबोर्ड : सीआइएससीइ———–संजीव कुमार झा पीजीटी, सीनियर विंग को-ऑर्डिनेटर राजेंद्र विद्यालय, साकची लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर आइएससी परीक्षा में प्योर साइंस संकाय के छात्रों के लिए मैथ्स काफी महत्वपूर्ण है. यह स्कोरिंग विषय है. लेकिन, फॉर्मूले याद न रहने या प्रश्न न समझ पाने पर यह छात्रों को उलझन में भी डाल देता है. बोर्ड परीक्षा में अब बहुत कम समय रह गया है. इसका सदुपयोग करते हुए छात्र मैथ्स में कुछ टिप्स अपनायें, तो उनका रिजल्ट अच्छा हो सकता है. इंटीग्रेशन में फंसते हैं छात्र आइएससी परीक्षा में इंटीग्रेशन चैप्टर में अक्सर छात्रों को परेशानी होती है. यह काफी वास्ट चैप्टर है. इसमें एक सवाल को सॉल्व करने में कई फॉर्मूलों से गुजरना होता है. फाॅर्मूला गलत होने पर सवाल पूरा नहीं हो पाता है. इसलिए, ऐसे सवाल में फॉर्मूलों को याद रखना बहुत जरूरी हो जाता है. यह रोज अभ्यास से ही आ सकता है. इस चैप्टर से 13 अंक के सवाल पूछे जाते हैं. श्योर नहीं हैं, तो न करें अटेंप्ट छात्र किताब से प्रोबेबिलिटी आसानी से बना लेते हैं, क्योंकि इसमें उत्तर दिया रहता है. उत्तर न रहने पर सॉल्व करने में दिक्कत हो जाती है. परीक्षा भवन में यह परेशानी बढ़ जाती है. यहां आपके सामने उत्तर नहीं होता. ऐसे में मैं छात्रों को सलाह देना चाहता हूं कि वह केवल श्योर प्रश्न को ही अटेंप्ट करें. जिसका उत्तर पता न हो उसे न बनायें. क्योंकि, इसमें आपका समय जाया हो जायेगा. टेल क्वेश्चन को समझने की करें कोशिश परीक्षा में प्रश्न अच्छी तरह पढ़ें और उसे समझने की कोशिश करें. क्वेश्चन के साथ टेल क्वेश्चन भी जुड़ा रहता है. इस पर ध्यान देने की जरूरत है. तेजी में पढ़ने के चक्कर में अक्सर छात्र टेल क्वेश्चन समझ नहीं पाते या उसे छोड़ देते हैं. ऐसे में बिना समझे लिखने से उत्तर गलत हो जाता है और मार्क्स कट जाते हैं. इसलिए, प्रश्न समझे बिना उत्तर नहीं लिखें. अंक निर्धारण को समझें मैथ्स के प्रश्न तीन सेक्शन में बंटे होते हैं. सेक्शन ए ऑप्शनल होता है. इसके लिए 50 अंक निर्धारित हैं. इस सेक्शन में आठ प्रश्न पूछे जाते हैं, जिसमें से छात्रों को पांच प्रश्नों का जवाब देना होता है. ऐसे में जो छात्र एवरेज हैं, वह प्रोबेबिलिटी और इंटीग्रेशन के प्रश्न छोड़ भी दें, तो उसके पास अन्य चैप्टर के पांच प्रश्न बचते हैं. मैं बता चुका हूं कि इंटीग्रेशन और प्रोबेबिलिटी में छात्र अधिक फंसते हैं. यह बात मैं सिर्फ एवरेज छात्रों के लिए कह रहा हूं. जो छात्र अच्छे हैं उन्हें हर चैप्टर पर अपनी पकड़ मजबूत करनी चाहिए. बी या सी में से एक सेक्शन का दें जवाब सेक्शन ए में ही दूसरे हिस्से में 30 अंक के कंपल्सरी प्रश्न भी पूछे जाते हैं, जबकि बी और सी में एक सेक्शन के प्रश्न का ही जवाब देना होता है. सेक्शन बी में वेक्टर व थ्री डायमेंशनल ज्योमेट्री से संबंधित प्रश्न पूछे जाते हैं. सेक्शन सी में कॉमर्शियल मैथ्स रहता है. इस सेक्शन के लिए 20 अंक निर्धारित हैं. ये दोनों सेक्शन साइंस और कॉमर्स के स्टूडेंट्स को ध्यान में रखकर तैयार किये जाते हैं.

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