माझी बाबा ही संताल गांव के असली नेता : चंपई सोरेन
माझी बाबा ही संताल गांव के असली नेता : चंपई सोरेनजमशेदपुर. जमशेदपुर परिसदन में विधायक चंपई सोरेन ने कहा कि संताल गांव के असली नेता माझी बाबा हैं. उनके गांव जिलिंगगोड़ा में माझी-परगना पारंपरिक व्यवस्था है. उनके परिवार को भी वहां के माझी बाबा शंकर सोरेन की बात माननी पड़ती है. उन्होंने कहा कि वे […]
माझी बाबा ही संताल गांव के असली नेता : चंपई सोरेनजमशेदपुर. जमशेदपुर परिसदन में विधायक चंपई सोरेन ने कहा कि संताल गांव के असली नेता माझी बाबा हैं. उनके गांव जिलिंगगोड़ा में माझी-परगना पारंपरिक व्यवस्था है. उनके परिवार को भी वहां के माझी बाबा शंकर सोरेन की बात माननी पड़ती है. उन्होंने कहा कि वे किसी दल विशेष के नेता हो सकते हैं, लेकिन संताल गांव के असली नेता माझी बाबा ही होते हैं. उनकी देखरेख में ही समूचा गांव संचालित होता है. माझी बाबा वही फैसला सुनाते हैं जो ग्रामीणों का होता है. यह पारंपरिक नीति-नियम आदिवासी गांवों में है. गांव में माझी बाबा को गांव के पिता का दर्जा प्राप्त है. अगर सालखन मुर्मू खुद को संताल समुदाय का हिस्सा मानते हैं और करनडीह ग्राम में रहना चाहते हैं तो वहां के माझी बाबा की बात उन्हें सुननी होगी. गांव को लेकर उनके पास कोई सुझाव है, तो ग्रामसभा में आकर देना चाहिए. ग्रामसभा में सबकी बात सुनी जाती है. सालखन का सामाजिक बहिष्कार जायज चंपई सोरेन ने कहा कि पूर्वजों के जमाने से संथालों के गांव में माझी, नायके, गोडेत और पौराणिक व्यवस्था है. सालखन अपना माझी बना रहे हैं, कल मैं भी अपना माझी बना दूंगा, आगे यह काम कोई और करेगा. ऐसा हुआ तो संताल गांव के सारे लोग माझी हो जायेंगे और पूरी सामाजिक व्यवस्था ध्वस्त हो जायेगी. सालखन मुर्मू को संताल समाज को बांटने का अधिकार नहीं दिया जा सकता. इसलिए करनडीह के माझी बाबा ने उनके सामाजिक बहिष्कार का फैसला लिया. वह जायज है.