झारखंडी इतिहास शामिल हो पाठ्यक्रम में

झारखंडी इतिहास शामिल हाे पाठ्यक्रम मेंउपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर बिरसा सेवा दल की एक बैठक बिरसानगर में हुई. जिसे संबाेधित करते हुए थियाेफिल देवगम ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में सिपाही विद्राेह 1857, काेल विद्राेह 1821, शहीद पाेटाे हाे, साराेदार, नारा हाे, बडारा हाे, वीर घासी सिंह सरदार, काेल वीर, रितू गाेंडाइ सिंकी, अमर शहीद बाबा […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | January 15, 2016 10:35 PM

झारखंडी इतिहास शामिल हाे पाठ्यक्रम मेंउपमुख्य संवाददाता, जमशेदपुर बिरसा सेवा दल की एक बैठक बिरसानगर में हुई. जिसे संबाेधित करते हुए थियाेफिल देवगम ने कहा कि स्कूली पाठ्यक्रम में सिपाही विद्राेह 1857, काेल विद्राेह 1821, शहीद पाेटाे हाे, साराेदार, नारा हाे, बडारा हाे, वीर घासी सिंह सरदार, काेल वीर, रितू गाेंडाइ सिंकी, अमर शहीद बाबा तिलका माझी की प्रेरणादायक जीवनी काे भी स्कूली पाठ्यक्रम में शामिल करने की मांग की है. उन्हाेंने कहा कि आदिवासी समाज के स्वतंत्रता सेनानियाें की जिंदगी पर इतिहासकाराें द्वारा शाेध-अनुसंधान की जरूरत है. आदिवासी हाे समाज, कल्याण समिति, बिरसानगर एवं अखाड़ा फाउंडेशन ने इसका आयाेजन किया गया था. समाजसेवी संताेष मुखी, सामुएल देवगम, राजेंद्र गागराई, रविंद्र नाग गाेडसेरा ने भी अपने विचार रखे. इस अवसर पर साेमनाथ पांड़ेया, सामुएल देवगम, अरवइंद एक्का, प्रकाश हेस्सा, गिल्बर्ट हेस्सा, राम लाल सामद, अमित दादेल, निरंजन बिट्टू, उदय बिरुवा, अजय माेहन लागुरी, कमल लागुरी, महेंद्र बाेदरा, जगमाेहन साेय, नारायण पुरती, किदू पाड़ेया, रामलाल जाेंकाे, हीरल देवगम, जसवंती देवगमत असेसन देवगम, आशा पाड़ेया, एलिजा बेरा, गुरसांडी व स्थानीय लाेग माैजूद थे.

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