टीएमएच की नर्स ताला को साहित्य अकादमी पुरस्कार

जमशेदपुर. करनडीह की ताला टुडू को साहित्य अकादमी का ट्रांसलेशन अवॉर्ड देने की घोषणा की गयी है़ साहित्य अकादमी, नयी दिल्ली ने मंगलवार को 23 भारतीय भाषाओं में साहित्य अकादमी ट्रांसलेशन अवॉर्ड देने की घोषणा की है. ताला टुडू को उनकी पुस्तक बापलानीज के लिए यह पुरस्कार मिला है. यह शरत चंद्र चट्टोपध्याय के चर्चित […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 17, 2016 8:09 AM
जमशेदपुर. करनडीह की ताला टुडू को साहित्य अकादमी का ट्रांसलेशन अवॉर्ड देने की घोषणा की गयी है़ साहित्य अकादमी, नयी दिल्ली ने मंगलवार को 23 भारतीय भाषाओं में साहित्य अकादमी ट्रांसलेशन अवॉर्ड देने की घोषणा की है.
ताला टुडू को उनकी पुस्तक बापलानीज के लिए यह पुरस्कार मिला है. यह शरत चंद्र चट्टोपध्याय के चर्चित बांग्ला उपन्यास पोरोणिता का संताली अनुवाद है. इसका प्रकाशन वर्ष 2011 में किया गया था. अभी ताला टुडू टाटा मेन अस्पताल में नर्स हैं. उन्होंने करनडीह स्थित एलबीएसएम कॉलेज से कला स्नातक व को-ऑपरेटिव कॉलेज से एलएलबी की पढ़ाई की है. ताला टुडू समाजसेवी व झारखंड आंदोलनकारी सीआर माझी की बेटी हैं. उनके बड़े भाई रवींद्र नाथ मुर्मू भी लेखक हैं. उन्हें भी ट्रांसलेशन अवॉर्ड मिल चुका है.
पहले प्रयास में मिली सफलता : ताला टुडू को लेखनी के गुण विरासत में मिले हैं. उनके पिता सीआर माझी भी लेखक हैं. बड़े भाई रवींद्र नाथ मुर्मू व बड़ी बहन जोबा भी लेखक हैं. ताला टुडू बताती हैं कि साहित्य सृजन करने के पीछे उनका मुख्य मकसद समाज के लोगों काे जागृत करना है. उन्हें इतनी जल्द साहित्य अकादमी पुरस्कार के लिए चुने जाने का विश्वास नहीं था. उन्होंने बताया कि पुरस्कार मिलने का सारा श्रेय पति गणेश टुडू, पिता सीआर माझी, बड़े भाई रवींद्रनाथ मुर्मू व बड़ी बहन जोबा को जाता है.
अनुवाद करने में लगा था एक साल: ताला टुडू बताती हैं कि शरत चंद्र चट्टोपध्याय की बांग्ला उपन्यास पोरोणिता का संताली में अनुवाद करने में करीब एक साल का समय लगा. टाटा मेन अस्पताल में नर्स होने के कारण उनका ज्यादा समय काम में ही बीतता है.

Next Article

Exit mobile version