गोलमुरी . एकजुट होकर मांगें अधिकार

जमशेदपुर: देश में कानून का राज खतरे में है. कारपोरेट घरानों के इशारे पर ट्रेड यूनियनों व औद्योगिक लोकतंत्र पर एक के बाद एक हमले हो रहे हैं. इसके लिए देश भर के मजदूरों को एकजुट हो हुक्मरानों को यह संदेश दें कि ट्रेड यूनियनों के अधिकारों का हनन हुआ, तो मजदूर एकजुट होकर इसका […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | February 29, 2016 9:06 AM
जमशेदपुर: देश में कानून का राज खतरे में है. कारपोरेट घरानों के इशारे पर ट्रेड यूनियनों व औद्योगिक लोकतंत्र पर एक के बाद एक हमले हो रहे हैं. इसके लिए देश भर के मजदूरों को एकजुट हो हुक्मरानों को यह संदेश दें कि ट्रेड यूनियनों के अधिकारों का हनन हुआ, तो मजदूर एकजुट होकर इसका विरोध करेंगे. यह बात ऑल इंडिया सेंट्रल काउंसिल ऑफ ट्रेड यूनियंस (ऐक्टू) के राष्ट्रीय सचिव कॉमरेड शुभेंदु सेन ने रविवार को गोलमुरी स्थित दुसाध भवन परिसर में संगठन द्वारा आयोजित प्रमंडल स्तरीय सम्मेलन के दौरान बतौर मुख्य अतिथि कहीं.

श्री सेन ने तमिलनाडु के कोयम्बटूर स्थित प्रिकॉल कंपनी में मजदूर यूनियन की मान्यता के लिए वर्ष 2007 से 2009 तक किये गये आंदोलन की विस्तृत चर्चा की.
जेएनयू व हैदराबाद विवि ही नहीं रांची विवि में भी हंगामा : जेएनयू प्रकरण व हैदराबाद विश्वविद्यालय में रोहित वेमुला द्वारा आत्महत्या किये जाने की घटना की चर्चा करते हुए शुभेंदु सेन ने कहा कि इस सरकार में प्रतिवाद की गुंजाइश नहीं है. रांची विश्वविद्यालय की भी एक घटना इसका उदाहरण है. करीब 10-15 दिन पूर्व विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग में प्रतिरोध की कविताएं नामक कविता संग्रह का विमोचन हुआ. उसके बाद अभाविप के कार्यकर्ता कुलपित के पास पहुंचे और किताब में देश विरोधी कविताओं का संग्रह होने की बात कहते हुए हंगामा मचाया. इसके बाद किताब पर प्रतिबंध लगा दिया गया.
विभिन्न ट्रेड यूनियन के नेता हुए शामिल :सम्मेलन में विभिन्न ट्रेड यूनियनों के स्थानीय नेताओं ने भी भाग लिया. इनमें एटक के कॉमरेड सलीम, भाकपा माले के जिला सचिव एसके राय, इंटक के बलदेव सिंह, एफसीआइ वर्कर्स यूनियन के पूर्व नेता रामपुकार राय, झारखंड जनरल मजदूर यूनियन के तारकेश्वर पासवान व अन्य शामिल थे. ऐक्टू के राष्ट्रीय परिषद सदस्य ओम प्रकाश सिंह ने संचालन व धन्यवाद ज्ञापन किया.
श्रम कानूनों को खत्म करना चाहती है केंद्र सरकार
शुभेंदु सेन ने कहा कि केंद्र सरकार देश के श्रम कानून को तोड़ना चाहती है. वहीं झारखंड की भाजपा सरकार दो संशोधन कर चुकी है. इसमें एक है फैक्टरी एक्ट, जिसमें कंपनी मालिकों को लाभ पहुंचाने के लिए संशोधन किया गया है.

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