पूर्व सीएम हेमंत सोरेन ने आदिवासी-मूलवासियों को सामाजिक और राजनीतिक रूप से एकजुट होने का आह्वान किया
जमशेदपुर : झारखंड के आदिवासी-मूलवासी को उनका हक व अधिकार मिलना चाहिए. स्थानीयता के नाम पर झूठ नहीं चलने दिया जायेगा. सरकार को स्थानीयता पर अपनी नीति स्पष्ट करनी चाहिए. यहां हर प्रदेश के लोगों को जीने-खाने का अधिकार है. लेकिन यहां रहने वाले लोगों का हक मारना बरदाश्त नहीं किया जायेगा. झारखंड में रहकर कई लोग दूसरे को गुमराह कर रहे हैं.
ऐसे लोगों के लिए राज्य में कोई जगह नहीं है. यह बात पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने शनिवार तुरामडीह यूसिल कॉलोनी के समीप स्थित तालसा गांव में आयोजित बाहा पाता समारोह में कही. समारोह तालसा ग्रामसभा व आदिवासी नवयुवक क्लब की ओर से आयोजित था. श्री सोरेन ने कहा कि उद्योग, कारखाना व डैम के नाम पर सर्वाधिक आदिवासी-मूलवासी विस्थापित हो रहे हैं.
वे अपनी भाषा-संस्कृति से भी विस्थापित हो जा रहे हैं. इसको लेकर सामाजिक व राजनीतिक रूप से एकजुट होने की जरूरत है. गांव-गांव में सामाजिक जनचेतना जगाने की जरूरत है. विधायक चंपई सोरेन ने कहा कि आदिवासियों को सामाजिक व राजनैतिक रूप से एकजुट होने व पूर्वजों की तरह हक व अधिकार के लिए लड़ने की जरूरत है. किसी तरह के लोभ व लालच में नहीं आना है. विधायक कुणाल षाडंगी ने कहा कि बाहा पर्व पर सरकारी छुट्टी की घोषणा होनी चाहिए. कार्यक्रम में तालसा माझी दुर्गाचरण मुर्मू ने अतिथियों का स्वागत किया. झायुमो जिला अध्यक्ष-महावीर मुर्मू ने कार्यक्रम का संचालन किया.
ये भी थे मौजूद. पूर्व सांसद कृष्णा मार्डी, पूर्व विधायक रामदास सोरेन, सनातन माझी, जिला परिषद अध्यक्ष बुलुरानी सिंह सरदार, देश परगाना बैजू मुर्मू, रामचंद्र मुर्मू, जुगसलाई तोरोफ परगाना दासमात हांसदा, पार्षद बाघराय मार्डी, पार्षद हीरामनी, सुनील महतो, करूणा मुर्मू, लालटू महतो समेत अन्य मौजूद थे. ओडिशा से भी पहुंची नृत्य मंडली. बाहा पाता में 12 नृत्य मंडलियां शामिल हुई. नृत्य मंडली ने मांदर व नगाड़े की थाप पर बाहा नृत्य पर प्रस्तुत किया. अंत में बेस्ट मंडली को पुरस्कृत किया गया.