आधी रात में लड़की अकेले घर चली जाये, तभी सफल पुलिसिंग
जमशेदपुर: शहर के चर्चित पुलिस कप्तान रह चुके सांसद डॉ अजय कुमार ने कहा कि अपराध होते रहेंगे, इसे एकदम रोका नहीं जा सकता है, लेकिन जब लगातार घटनायें बढ़ें तो समझ लेना चाहिए कि पुलिसिंग फेल हो रही है. जिला के वरीय अधिकारियों को अपनी कार्यशैली और जनता के प्रति जवाबदेही पर विचार करना […]
जमशेदपुर: शहर के चर्चित पुलिस कप्तान रह चुके सांसद डॉ अजय कुमार ने कहा कि अपराध होते रहेंगे, इसे एकदम रोका नहीं जा सकता है, लेकिन जब लगातार घटनायें बढ़ें तो समझ लेना चाहिए कि पुलिसिंग फेल हो रही है. जिला के वरीय अधिकारियों को अपनी कार्यशैली और जनता के प्रति जवाबदेही पर विचार करना चाहिए. क्राइम कंट्रोल करने की रणनीति काफी सिंपल है, लेकिन इसे लागू करने में पुलिस पदाधिकारियों को ईमानदारी और तत्परता दिखानी होगी.
डॉ अजय ने कहा कि वे मानते हैं कि अपराधी के दिल-दिमाग में पुलिस का खौफ हमेशा बना रहना चाहिए. उसे एहसास होना चाहिए कि शहर में सिर्फ कानून का राज चलेगा. लेकिन जब कानून को स्थापित करनेवाले लोग ही अपना वर्किग कल्चर बदलने लगें या कहीं पार्टी बनकर काम करने लगें तो अपराधियों के हौंसले बढ़ेंगे. डॉ अजय ने कहा कि देर रात तक दुकानें खुली रहनी चाहिए. रात को खाना खाने के बाद लोग सड़कों पर आइसक्रीम-कुल्फी और पान का जायका लेते हुए दिखायी देने चाहिए. रात 12 बजे अकेली लड़की स्कूटी चलाते हुए घर पहुंचे, तभी पुलिसिंग सही मानी जायेगी.
पुलिस को डर है, तो रात को कफ्र्यू लगा दे : पुलिस अपराध रोक पाने में खुद को विफल और अपराधियों के सामने बौना महसूस कर रही है, तभी पुलिस रात को लोगों को नहीं चलने की बात कह रही है. अगर किसी भी पुलिसवाले ने ऐसा कहा है तो उसे आत्म चिंतन और मूल्यांकन करना चाहिए कि उसे पुलिस में रहना चाहिए या नहीं. अगर पुलिस सुरक्षा देने में खुद को असहाय महसूस करती है तो रात को घोषित कफ्यरू लगा दे.
थानों में बंडल बन चुके वारंट का हो निष्पादन : क्राइम को कंट्रोल करने के लिए आसान तरीका है कि वारंट का निष्पादन करना. थानों में बंडल बन कर रखे वारंट अपराधियों को बड़े होने का मौका देते हैं. वारंट पुलिसकर्मियों की कमाई का जरिया बन गये हैं. पुलिस यदि अपराधियों के वारंट का तामिला कराती रहेगी तो पुलिसवाले क्राइम-क्रिमिनल के बारे में अपडेट रहेंगे.
चौक-चौराहे पर लगें कैमरे : वे लगातार कहते आ रहे हैं कि चौक-चौराहों पर, भीड़वाले एरिया, बाजार, संदिग्ध क्षेत्रों में कैमरे लगाये जाने चाहिए. इससे अपराधियों के मूवमेंट और जीरो क्लू केस में काफी मदद मिलेगी. अपराधी किस गाड़ी से आया, किस तरह का था, किस तरफ भागा, वह इन सभी कैमरों में रिकार्ड होगा. यह सारी व्यवस्था लागू करने के लिए पुलिस को पैसा भी मिल रहा है, लेकिन इसे लागू क्यों नहीं किया जा रहा है, उन्हें समझ नहीं आ रहा है.
मुखबिर सिस्टम खत्म, दलाल हावी : हर पुलिस पदाधिकारी भगवान नहीं होता कि सारी सूचनायें उसके पास पहुंच जाये, उसके पास विश्वासी मुखबिर होने चाहिए. जिन्हें परखा हुआ होना चाहिए. जमशेदपुर में मुखबिर सिस्टम खत्म हो गया है. उसका स्थान इन दिनों दलालों ने ले लिया है. थानों में दलाल सक्रिय रहते हैं, जिसके कारण आम आदमी की आवाज गेट के बाहर ही दम तोड़ देती है और अपराधी बेखौफ होकर घटनाओं को अंजाम देते रहते हैं.
चेकिंग का मतलब पैसा बनाओ : अपराध के बढ़ते ही पुलिस वाहन चेकिंग शुरू कर देती है. इसका साफ नजरिया है कि आम आदमी के दिमाग से आपराधिक घटनाओं की चर्चा को बंद कर वाहन चेकिंग पर ध्यान केंद्रित कराया जाये. इसके अलावा चेकिंग के माध्यम से पुलिसवाले पैसा बनाने में लग जाते हैं. यह सही नहीं है. पेट्रोलिंग सही ढंग से हो . चेकिंग को पैसा वसूली का रास्ता नहीं बनाया जाना चाहिए.
कोर्ट से लें केस की स्थिति, सजा करायें : कोर्ट से मिलकर पुलिस पदाधिकारियों को अपराधियों के केस की स्थिति की जानकारी लेनी चाहिए. किस केस में गवाह पर गवाह आ रहे हैं, किसमें नहीं, अगर नहीं आ रहे हैं तो उसके पीछे क्या कारण है. क्या अपराधियों का खौफ है या फिर कोई और ब्लैकमेलिंग तो नहीं. इसका पता लगाया जाना चाहिए. जब तक अपराधियों को कोर्ट से सजा नहीं होगी, तब तक अपराध को रोक पाना मुश्किल होगा.
थाना प्रभारी का इंटेलिजेंस लेवल चेक हो : थाना प्रभारियों को केवल पैरवी के बल पर पोस्टिंग नहीं दी जानी चाहिए. उनकी कार्य क्षमता, सूचना की तकनीक, इंटेलिजेंस लेवल क्या है, इस बारे में पूरी जानकारी वरीय अधिकारियों को होनी चाहिए. इसके बाद ही उन्हें पोस्टिंग देनी चाहिए. सक्षम पुलिस पदाधिकारियों के नहीं होने के कारण भी अपराधिक घटनाओं में वृद्धि हो रही है.
चौकी सिस्टम गायब होने से अपराध बढ़ा : डॉ अजय ने बताया कि उन्होंने अपने कार्यकाल में शहर के हर थाना क्षेत्र में मुख्य चौक-चौराहे, सड़कों के किनारे पुलिस चौकियों को स्थापित किया था. वह सिस्टम पूरी तरह से खत्म हो गया है. पुलिस की कमी है, यह बात समझ में आती है, लेकिन चौकियां ही गायब कर दी जाये तो स्थिति बिगड़ेगी है. पुलिस चौकी में रहेगी तो मुहल्लों का भी ख्याल रखेगी. उन्हें जानकारी मिलेगी कि आज किस मुहल्ले में कौन सा बाहरी आदमी आया, वह कितना पैसा खर्च कर रहा है. कौन से अवैध कार्य में वह लिप्त है. इन चीजों पर ध्यान देने की जरूरत है.