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पारंपरिक हथियार वालों को परेशान न करे वन विभाग
जमशेदपुर. दलमा बुरू दिसुआ सेंदरा समिति के महासचिव फकीर सोरेन ने कहा कि वन विभाग पारंपरिक हथियार लेकर आने वाले दिसुआ शिकारियों को तंग नहीं करे़. चेंकिंग प्वाइंट पर जाल, फांस व बंदूक आदि की जांच जरूर की जाये. लेकिन जांच के नाम पर दिसुआ शिकारियों को परेशान करना उचित नहीं होगा. उन्होंने दिसुआ शिकारियों […]
जमशेदपुर. दलमा बुरू दिसुआ सेंदरा समिति के महासचिव फकीर सोरेन ने कहा कि वन विभाग पारंपरिक हथियार लेकर आने वाले दिसुआ शिकारियों को तंग नहीं करे़.
चेंकिंग प्वाइंट पर जाल, फांस व बंदूक आदि की जांच जरूर की जाये. लेकिन जांच के नाम पर दिसुआ शिकारियों को परेशान करना उचित नहीं होगा. उन्होंने दिसुआ शिकारियों से अपील किया है कि वे अपने साथ सेंदरा उत्सव में जाल, फांस व बंदूक नहीं लाये. इनका आदिवासी परंपरा से कोई वास्ता नहीं है. श्री सोरेन ने कहा कि आसनबनी दिसुआ धाम में ही सभी सेंदरा वीरों को एकत्रित होना है. इससे आदिवासी समाज की एकता व अखंडता दिखेगी. 15 मई की सुबह को जामडीह गांव में सामूहिक रूप से वनदेवी की पूजा-अर्चना की जायेगी. रात्रि में पारंपरिक बीर सिंगराई कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. 16 मई को तड़के सुबह शिकार खेलने के लिए सामूहिक रूप से जंगल में प्रवेश करेंगे.
… लेकिन शामिल नहीं हो रही नयी पीढ़ी
आदिवासी सेंदरा उत्सव में नयी युवा पीढ़ी शामिल नहीं हो रही है. समाज के प्रबुद्ध बुद्धिजीवियों ने चिंता जतायी है. उनका मानना है कि सेंदरा महज जंगल में प्रवेश कर शिकार खेलना मात्र नहीं है. बल्कि इस दौरान विभिन्न जगहों से आये लोगों का जुटान होता है. सामाजिक रूप से कई बिंदुओं पर विचारों का आदान-प्रदान होता है. इस दौरान सिंगराई का आयोजन होता है. सिंगराई केवल मनोरंजन के लिए गीत-नृत्य नहीं है. यह सामाजिक पाठशाला भी है. इस दौरान युवाओं को कई सारी चीजों की जानकारी दी जाती है. जनजागरण रैली निकाल सेंदरा की परंपरा को आगे बढ़ाने के लिए युवा पीढ़ी को मोटिवेट किया जायेगा. यह रैली विभिन्न गांवों में निकाली जायेगी.
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