रिपेयरिंग करायें या मिले दूसरी बसें

जमशेदपुर : टाटा मोटर्स कंपनी के इंजन डिवीजन के कॉफ्रेंस हॉल में जेडीसी की बैठक में गुरुवार को जर्जर बसों के परिचालन का मामला छाया रहा. सूचना है कि कंपनी के कर्मचारियों को घर से कंपनी लाने, छोड़ने के लिए इन दिनों सेंट्रल ट्रांसपोर्ट ने उत्तर प्रदेश से आधा दर्जन बसों को मंगाया गया है, […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 15, 2016 8:57 AM
जमशेदपुर : टाटा मोटर्स कंपनी के इंजन डिवीजन के कॉफ्रेंस हॉल में जेडीसी की बैठक में गुरुवार को जर्जर बसों के परिचालन का मामला छाया रहा. सूचना है कि कंपनी के कर्मचारियों को घर से कंपनी लाने, छोड़ने के लिए इन दिनों सेंट्रल ट्रांसपोर्ट ने उत्तर प्रदेश से आधा दर्जन बसों को मंगाया गया है, जो 10-15 साल पुरानी है. इन बसों की छत से हल्की बारिश में ही पानी टपकने लगाता है.
सदस्यों का कहना है कि या तो बसों की ठीक से रिपेयरिंग कराया जाये या उसके जगह पर दूसरी बसों को लगाया जाये. साथ ही सदस्यों ने जिन मार्गों पर कर्मचारियों की संख्या इन दिनों बढ़ी है, वहां बसों की संख्या बढ़ायी जाये. इसके अलावा बैठक में सेफ्टी, क्वालिटी का भी मुद्धा सदस्यों ने उठाया. डिवीजन के अंदर दुर्घटना को रोकने, सेफ्टी नियमों का पालन करने आदि विषयों पर भी चरचा हुई.
बैठक में बताया गया कि रेस्ट हाउस में आधुनिकीकरण का काम, डिवीजन में लाइट लगाने सहित अन्य विगत समस्या का समाधान कर दिया गया है. बैठक में प्रबंधन की ओर से संजय कुमार सिन्हा, मनोज सिंह, अंकुर सिन्हा, जे पांडेय, यूनियन की ओर से आरएन सिंह, सुभाष राय, राकेश रोशन, पीके सिंह, सीके सिंह, सुजीत, एके मिश्रा आदि मौजूद थे.
प्रबंधन से बुलावे का इंतजार : यूनियन की ओर से चार्टर ऑफ डिमांड सौंपने के बाद कंपनी के अंदर कर्मचारियों, यूनियन के कमेटी मेंबर, ऑफिस बियररों के बीच आगामी ग्रेड रिवीजन को लेकर बहस छिड़ गयी है. अब हर किसी की जुबान पर प्रबंधन के बुलावे की बात उठने लगी है.
इधर प्रबंधन के बुलावे के बाद ग्रेड रिवीजन कमेटी के गठन को लेकर यूनियन में मंथन शुरू हो गया है. चरचा है कि कमेटी में ऑफिस बियररों के अलावा वैसे कमेटी मेंबरों को शामिल करने की बात उठ रही है, जो प्रबंधन के समक्ष हर प्वाइंट पर प्रबंधन के सवालों पर तर्क के साथ बातों को रख सके. कर्मचारी आगामी ग्रेड रिवीजन में तीन साल के समझौते के साथ मेडिकल सुविधा, डीए, बाइ सिक्स का पैनल बनाने, एडिशनल इनसेंटिव को अहम मान रहे हैं.

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