श्री हरकिशन तियाइये जेस्स डिठ्ठे सब दाेक्ख जाय

जमशेदपुर: श्री हरकिशन तियाइये, जेस्स डिठ्ठे सब दाेक्ख जाय की वाणी का जाप कर संगत ने खुद काे निहाल किया. टेल्काे गुरुद्वारा में सिखाें के आठवें गुरु श्री गुरु हरकिशनजी का 362वां जन्म दिहाड़ा-प्रकाशाेत्सव मनाया गया. इस अवसर पर टेल्काे स्त्री सत्संग सभा कीर्तनी जत्था के अलावा बाबा सुखदेव सिंह खालसा, धर्म सिंह, रागी जगजीत […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | July 29, 2016 7:02 AM

जमशेदपुर: श्री हरकिशन तियाइये, जेस्स डिठ्ठे सब दाेक्ख जाय की वाणी का जाप कर संगत ने खुद काे निहाल किया. टेल्काे गुरुद्वारा में सिखाें के आठवें गुरु श्री गुरु हरकिशनजी का 362वां जन्म दिहाड़ा-प्रकाशाेत्सव मनाया गया.

इस अवसर पर टेल्काे स्त्री सत्संग सभा कीर्तनी जत्था के अलावा बाबा सुखदेव सिंह खालसा, धर्म सिंह, रागी जगजीत सिंह के जत्थे ने बारी-बारी से कीर्तन कर संगत काे गुरुआें की वाणी से रु-ब-रू कराया. इस अवसर पर टेल्काे सह सीजीपीसी के प्रधान सरदार इंदरजीत सिंह ने कहा कि गुरु हरकिशनजी महाराज काे सबसे कम उम्र आैर कम समय के लिए गुर गद्दी प्राप्त हुई थी. उनके द्वारा मानव सेवार्थ किये गये कार्याें काे आज भी दुनिया याद करती है. इस अवसर पर अकाली दल के राम किशन सिंह, हरजीत सिंह, अवतार सिंह संधु, अमरजीत सिंह, हीरा सिंह, बलदेव सिंह, कुलदीप सिंह, जगीर काैर,रानी काैर समेत काफी संगत माैजूद थी. कीर्तन की समाप्ति के बाद गुरु का अटूट लंगर वितरित किया गया.

गाैरी शंकर राेड गुरुद्वारा में छह सदस्यीय कमेटी एवं समूह संगत ने मिलकर प्रकाशाेत्सव का आयाेजन किया. इस अवसर पर गुर प्रताप सिंह ने गुरु की जीवनी पर प्रकाश डाला. इसके बाद बीबी रवंत काैर, सतवंत काैर आैर गुरदीप सिंह ने कीर्तन कर संगत काे निहाल किया. इस अवसर पर मुख्यरूप से पटना तख्त के वरीय उपाध्यक्ष सरदार शैलेंद्र सिंह, जसवंत सिंह गांधी, हरदीप सिंह छनिया, संताेख सिंह सेमी, स्वर्ण सिंह, चरणपाल सिंह, रतन सिंह, बलदेव सिंह, इंदरजीत सिंह वालिया, हरपाल सिंह के अलावा काफी लाेग माैजूद थे.

चमत्कारी बाला पीर के नाम से जाने जाते थे गुरु हरकिशनजी. गुरु श्री हरकिशनजी सिख समाज के सबसे युवा गुरुआें में शुमार हैं. उन्हें पांच साल गकी आयु में ही गुरुगद्दी प्राप्त हुई थी. 23 जुलाई 1656 काे जन्में गुरुश्री हरकिशनजी काे गुरु गद्दी मिली थी, दाे साल पांच माह 24 दिन तक गुरुगद्दी संभालने के बाद 30 मार्च 1664 काे सात साल की आयु में वे ज्याेति जाेत में समा गये.

Next Article

Exit mobile version