रांची : ताला मरांडी भाजपा प्रदेश अध्यक्ष बनने के तीन माह के अंदर ही विवादों में घिर गये थे. इनकी वजह से पार्टी व सरकार की फजीहत भी हुई थी. सात अगस्त को प्रदेश कमेटी घोषित कर ताला मरांडी विवादों में आ गये थे. प्रदेश अध्यक्ष ने नयी कमेटी घोषित करने की जानकारी न तो प्रदेश प्रभारी को दी और न ही मुख्यमंत्री को. केंद्रीय नेतृत्व से भी अनुमति नहीं ली गयी थी. ताला मरांडी के पीए ने वाट्स एप से सूचना जारी कर नयी कमेटी की घोषणा की थी. प्रदेश कार्यालय से किसी तरह की कोई सूचना नहीं जारी की गयी थी.
कमेटी घोषित करने के बाद ताला मरांडी उसी रात दुमका चले गये. आठ अगस्त को दुमका में प्रेस कांफ्रेंस कर सीएनटी एक्ट पर सरकार के खिलाफ बयान दिया था. इस प्रकरण को केंद्रीय नेतृत्व ने गंभीरता से लिया था. इसके बाद ताला मरांडी को दिल्ली तलब किया गया था. दिल्ली पहुंचने पर उनसे इस्तीफा ले लिया था. वहीं नाबालिग से अपने बेटे की शादी करा कर पहले ही ताला मरांडी विवादों में घिर गये थे. इस मामले में अदालत ने इन्हें समन भी जारी किया है. ताला मरांडी के बेटे के प्रकरण से पीएम के बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और मुख्यमंत्री के पहले पढ़ाई, फिर विदाई अभियान को झटका लगा था.
इस प्रकरण पर विपक्षी दलों ने पार्टी को कटघरे में भी खड़ा किया था. बार-बार विवाद होने पर केंद्रीय नेतृत्व ने मुख्यमंत्री रघुवर दास को बुला कर पूरे घटना क्रम की जानकारी ली थी.