इस बार जेल में नहीं, जंगल में जन्मे ‘श्रीकृष्ण’

पटमदा : बुधवार को जन्माष्टमी थी. इसलिए, क्षेत्रवासी पूरे उल्लास के साथ मंदिरों और घरों में भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण का उत्सव मना रहे थे. इस बार भी ‘श्रीकृष्ण’ का जन्म हुआ लेकिन, जेल की बजाय पगदा के जंगल में. फिर एक देवकी को ‘श्रीकृष्ण’ का परित्याग करना पड़ा और फिर एक बार उन्हें ‘मइया […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 27, 2016 2:45 AM
पटमदा : बुधवार को जन्माष्टमी थी. इसलिए, क्षेत्रवासी पूरे उल्लास के साथ मंदिरों और घरों में भगवान श्रीकृष्ण के अवतरण का उत्सव मना रहे थे. इस बार भी ‘श्रीकृष्ण’ का जन्म हुआ लेकिन, जेल की बजाय पगदा के जंगल में. फिर एक देवकी को ‘श्रीकृष्ण’ का परित्याग करना पड़ा और फिर एक बार उन्हें ‘मइया यशोदा’ के रूप में खेजुरडीह निवासी गुरुमनी मुर्मू ने अपना लिया.
दरअसल, पटमदा के भुइयांसिनान स्थित मुख्य सड़क के किनारे पगदा जंगल में गुरुवार को गांववालों ने बच्चे की रोनी आवाज सुनी. पास जाने पर पता चला कि किसी ने अपने नवजात शिशु को लुंगी में लपेटकर जंगल में फेंक दिया है. बच्चा स्वस्थ है. नवजात बच्चे के पूरे शरीर में चिटियां लगने लगी थीं. जब लोग उसके पास पहुंचे तो नवजात उन्हें टुकुर-टुकुर देख रहा था. भूख के मारे बच्चे के मुंह से फेन निकल रहा है. शायद कोई अभागी रही होगी, जिसने किसी मजबूरी में अपने कलेजे के टुकड़े को जन्माष्टमी के अवसर पर जंगल में जना और उसे वहीं फेंक दिया.
लेकिन, जैसे मां देवकी द्वारा कंश के आतंक के कारण मजबूरीवश परित्याग करने पर उन्हें यशोदा के रूप में दूसरी मां मिल गयी थीं, वैसे ही इस ‘श्रीकृष्ण’ को भी यशोदा के रूप में गुरुमनी मुर्मू मिल गयी. वह नवजात को गोद में उठाकर अपने घर ले गयी और सबसे पहले उसकी गरम पानी से साफ-सफाई की. इसके बाद उसने नवजात को दूध पिलाया गया. इसके बाद तो बच्चे को देखने के लिए वहां बड़ी संख्या में लोग जुट गये. गांव की आंगनबाड़ी सेविका वेदनी वाला महतो ने बच्चे की चिकित्सा व लालन पालन के लिए टेल्को स्थिति एमटीसी में ले जाने की सलाह दी है.

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