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वनाधिकार कानून से सशक्त होगी ग्रामसभा : जॉर्ज

जमशेदपुर:वनाधिकार कानून 2006 देश का पहला कानून है जिसमें ग्राम सभा को सशक्त होने की काफी संभावनाएं हैं. ग्रामीणों व ग्रामप्रधान को इस कानून को लागू करानेेे के लिए सक्रिय रूप सेे लगना होगा. वनाधिकार कानून में ग्राम सभा को बुनियादी इकाई बनाया गया है. ग्राम सभा के निर्णय कोे न तो वन विभाग खारिज […]

जमशेदपुर:वनाधिकार कानून 2006 देश का पहला कानून है जिसमें ग्राम सभा को सशक्त होने की काफी संभावनाएं हैं. ग्रामीणों व ग्रामप्रधान को इस कानून को लागू करानेेे के लिए सक्रिय रूप सेे लगना होगा. वनाधिकार कानून में ग्राम सभा को बुनियादी इकाई बनाया गया है. ग्राम सभा के निर्णय कोे न तो वन विभाग खारिज कर सकता है और न ही अनुमंडल अधिकारी. उक्त बातें झारखंड मुक्ति वाहिनी के संयोजक मंडली के सदस्य जॉर्ज मोणिपल्ली ने कहीं. वे बुधवार को निर्मल गेस्ट हाउस (बिष्टुपुर) में झारखंड मुक्ति वाहिनी की ओर से आयोजित वन अधिकार कानून-2006 पर एक दिवसीय संगोष्ठी को बतौर मुख्य वक्ता संबोधित कर रहे थे.

संगोष्ठी में झारखंड मुक्ति वाहिनी के कपूर बागी, मदन मोहन, डाॅ. सुनीता कुमारी, विस्थापन विरोधी एकता मंच के कुमार चंद्र मार्डी, दीकू मेलगांडी, माझी परगना महाल के रामचंद्र मुर्मू, सुधीर कुमार सोेरेन, बहादुर सोरेन, सुकलाल हांसदा, छात्र–युवा संघर्ष वाहिनी के दीपक रंजीत, अरविंद कुमार, कृष्णा, सीआर माझी, हेमंत मुदी, शिवचरण सिंह, देवेन सिंह, दुर्गा चरण मुर्मू, ओमप्रकाश, हरि प्रसाद किस्कू समेत पटमदा, बोड़ाम, घाटशिला, जमशेदपुर, पोटका,सरायकेला- खरसावां एवं चांडिल के 40 प्रतिनिधि शामिल हुए.

ग्राम सभा सर्वोपरि : मदनमोहन
मौके पर मदन मोहन ने कहा कि ग्राम सभा सर्वोपरि है. ग्रामसभा के प्रशासन एवं वन विभाग पर निर्भर होने के कारण वनाधिकार कानून का सही रूप से पालन नहीं हो रहा है. वन विभाग व्यक्तिगत एवं सामुदायिक पट्टा देने में दिलचस्पी नहीं दिखा रहा है.

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