ट्राइबल यूनिवर्सिटी का गठन शीघ्र : राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू

जमशेदपुर: झारखंड में जल्द ही ट्राइबल यूनिवर्सिटी का गठन होगा. इस दिशा में काम चल रहा है. जगह चयन की प्रक्रिया चल रही है. ट्राइबल यूनिवर्सिटी बनने से जनजातीय भाषाओं का द्रुत गति से विकास होगा. उनके संरक्षण व संवर्धन का अवसर मिलेगा. यह बातें राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को कहीं. वह सिदगोड़ा टाउन […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | October 23, 2016 8:21 AM
जमशेदपुर: झारखंड में जल्द ही ट्राइबल यूनिवर्सिटी का गठन होगा. इस दिशा में काम चल रहा है. जगह चयन की प्रक्रिया चल रही है. ट्राइबल यूनिवर्सिटी बनने से जनजातीय भाषाओं का द्रुत गति से विकास होगा. उनके संरक्षण व संवर्धन का अवसर मिलेगा. यह बातें राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने शनिवार को कहीं. वह सिदगोड़ा टाउन हॉल में आयोजित 29 वां ऑल इंडिया संताली राइटर्स एसोसिएशन के सम्मेलन को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रही थीं. उन्होंने कहा कि हमें हर भाषा-संस्कृति को समझना चाहिए, यह समय की मांग है.
लेकिन, अपनी मातृभाषा को नहीं भूलना चाहिए. इसे आगे बढ़ाने का दायित्व समाज के हर व्यक्ति पर है. अपनी भाषा व लिपि काे व्यवहार में लाना भी हमारा पहला दायित्व होना चाहिए. अगर सभी लोग जागरूक होंगे तो आने वाले समय में सभी स्कूल व कॉलेज में निश्चित रूप से पठन-पाठन शुरू हो जायेगा. बेटा हो या बेटी दोनों को शिक्षित करें. राज्यपाल ने कहा कि हमें बेटा -बेटी पर फर्क नहीं करना चाहिए.
दोनों को शिक्षित करना चाहिए. उन्होंने कहा कि आदिवासी धार्मिक स्थल जाहेरथान (सरना स्थल) की चहारदीवारी कर सुरक्षित करने की जरूरत है. जाहेरथान में धार्मिक आस्था का ही केंद्र नहीं बने, बल्कि यहां से अच्छे विचार भी आने चाहिए. पंडित रघुनाथ मुर्मू समेत कई महापुरुषों ने समाज के उत्थान में अपने-आप को आजीवन लगाया. उनके बताये राह पर चलने का संकल्प लेने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि नयी पीढ़ी को शिक्षित करने के साथ-साथ उन्हें सामाजिक दायित्वों से रू-ब-रू करने की जरूरत है. सम्मेलन में सम्मानित अतिथि के रूप में सांसद विद्युत वरण महतो, विकास मुखर्जी, जदूमनी बेसरा व गंगाधर हांसदा मौजूद थे. इससे पूर्व अतिथियों ने दीप प्रज्वलित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया. उसके बाद राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू ने साहित्यकारों को शॉल व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया. स्वागत भाषण टाटा स्टील के अनिल उरांव एवं धन्यवाद ज्ञापन रवींद्रनाथ मुर्मू ने दिया. सम्मेलन को सफल बनाने में सूर्यसिंह बेसरा, मंगल माझी, मानसिंह माझी, जोबा मुर्मू, निशोन, कुशल हांसदा, लुसी टुडू, सारो खुशी हांसदा, सालगे हांसदा, डोमन समेत अन्य ने योगदान दिया.
इन मुद्दों पर हुआ मंथन. सम्मेलन के प्रथम सत्र में भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन का संताली साहित्य व संस्कृति पर प्रभाव विषय पर चिंतन-मंथन किया गया. इसमें असम के पूर्व स्पीकर पृथ्वी माझी, सी सोरेन, डा. दमयंती बेसरा, श्याम बेसरा, डा. रतन हेंब्रम ने अपनी बातें रखीं. द्वितीय सत्र में संताली समुदाय के एकीकरण में ओलचिकि की भूमिका पर मंथन किया गया. इसमें बादल हेंब्रम, जीसी माझी, भोगला सोरेन, मदन मोहन सोरेन, चिन्मयी मार्डी, मंगल मार्डी व रातु हांसदा ने अपने विचार रखे.
ओलचिकि में भी लिखा जाये रेलवे स्टेशनों के नाम : सांसद
मौके पर सांसद विद्युतवरण महतो ने कहा कि संताली भाषा आठवीं अनुसूची में शामिल है. इसलिए आदिवासी बहुल क्षेत्र के रेलवे स्टेशनों का नाम ओलचिकि लिपि में लिखा जाना चाहिए. शहर में आदिवासियों के कार्यक्रमों का सिलसिला आगे भी चलते रहना चाहिए. उन्होंने कहा कि करनडीह के आसपास जल्द ही एक बड़ा हॉल बनाया जायेगा.
इन को मिला स्पेशल अवार्ड
माझी रामदास टुडू अवार्ड : जयराम टुडू Àसाधु रामचंद मुर्मू अवार्ड : गोविंद चंद्र माझी À पंडित रघुनाथ मुर्मू अवार्ड : बाबूलाल टुडू À बाबूलाल मुर्मू आदिवासी अवार्ड : मानसिंह टुडू À आरआर किस्कू रापाज अवार्ड : जोबा मुर्मू
बेस्ट जर्नल सम्मान : मोहन चंद्र बास्के.
साहित्य अकादमी पुरस्कार विजेता भी हुए सम्मानित
रविलाल टुडू, साहित्य अकादमी पुरस्कार-2015
ताला टुडू, अनुवाद पुरस्कार-2015
कुहू दुलाड़ हांसदा, बाल साहित्य पुरस्कार-2015
परिमल हांसदा, युवा पुरस्कार-2016

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