पुलिस-प्रशासन का बड़ा हथियार तड़ीपार बेकार
जमशेदपुर: क्राइम कंट्रोल एक्ट (सीसीए) के तहत अपराधियों को तड़ीपार कर शहर में अपराध को काबू करने के प्रयोग की हवा बार भवन में पिछले दिनों उपेंद्र सिंह की हत्या से निकल गयी है. तड़ीपार किये गये अपराधी शहर में सक्रिय होकर अपराध में शामिल रहे हैं इसका खुलासा तो पूर्व में भी हुआ था, […]
जमशेदपुर: क्राइम कंट्रोल एक्ट (सीसीए) के तहत अपराधियों को तड़ीपार कर शहर में अपराध को काबू करने के प्रयोग की हवा बार भवन में पिछले दिनों उपेंद्र सिंह की हत्या से निकल गयी है. तड़ीपार किये गये अपराधी शहर में सक्रिय होकर अपराध में शामिल रहे हैं इसका खुलासा तो पूर्व में भी हुआ था, लेकिन उपेंद्र सिंह की हत्या से यह स्पष्ट हो गया है कि तड़ीपार अपराधी आराम से एकजुट होकर बड़े क्राइम की न सिर्फ प्लानिंग कर रहे हैं, बल्कि बेखौफ घटनाओं को अंजाम भी दे रहे हैं. अपराधी सरगना अखिलेश सिंह को जिला प्रशासन द्वारा पूर्व से तड़ीपार किया जा चुका है.
साथ ही इस घटना को अंजाम देने में अपराधी हरीश सिंह का नाम आया है जो पूर्व से तड़ीपार है. इसके अलावा घटना की स्थानीय स्तर पर प्लानिंग करने की चर्चा में आये बागबेड़ा का कन्हैया सिंह भी पूर्व से तड़ीपार है अौर कुछ दिनों पूर्व ही जिला प्रशासन द्वारा उसके तड़ीपार का अवधि विस्तार किया गया था. सभी अपराधियों के तड़ीपार होने के बावजूद शहर में बड़ी घटना की प्लानिंग हो थी. यही नहीं दिन-दहाड़े कोर्ट परिसर में तड़ीपार अपराधी घटना को अंजाम देने भी पहुंच गये, लेकिन पुलिस को इसकी भनक तक नहीं लगी. घटना में मारे गये उपेंद्र सिंह को भी तड़ीपार करने का आदेश हो चुका था. बड़े अौर संगठित गिरोह तड़ीपार होने की स्थिति में वे पड़ोसी जिले के निकटवर्ती क्षेत्र में रह कर अपराध को अॉर्गनाइज कर सकते हैं.
झारखंड अलग राज्य बनने के कुछ साल में महाराष्ट्र के मकोका की तर्ज पर झारखंड में भी झारखंड संगठित अपराध अधिनियम लागू करने की तैयारी की गयी थी, लेकिन सोलह सालों में यह लागू नहीं हो सका.