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उपेंद्र सिंह हत्याकांड: शूटरों ने रांची से जारी सिम किये प्रयोग

जमशेदपुर: उपेंद्र सिंह की हत्या की जांच में पुलिस टीम ने जब्त मोबाइल फोन में प्रयुक्त सिम का पता लगा लिया है. जब्त मोबाइल की दोनों सिम रांची और खूंटी जिले की हैं. पहली सिम (8765702727) उमेश उरांव, आदर्शनगर, धुर्वा, रांची का है, जबकि दूसरी सिम विनय कुमार श्रीवास्तव, मकान नं. 158, करम टोली, थाना […]

जमशेदपुर: उपेंद्र सिंह की हत्या की जांच में पुलिस टीम ने जब्त मोबाइल फोन में प्रयुक्त सिम का पता लगा लिया है. जब्त मोबाइल की दोनों सिम रांची और खूंटी जिले की हैं. पहली सिम (8765702727) उमेश उरांव, आदर्शनगर, धुर्वा, रांची का है, जबकि दूसरी सिम विनय कुमार श्रीवास्तव, मकान नं. 158, करम टोली, थाना कर्रा, जिला खूंटी के नाम से खरीदी गयी है. दोनों सिम 19 जुलाई 2016 को खरीदी गयी हैं. पुलिस ने दुकान का भी पता लगा लिया है, जहां से दोनों सिम ली गयी थीं. पुलिस की टीम रांची जाकर, जिसके नाम से सिम जारी हुई है, उसके बारे में पता लगा रही है.
टीम सोमवार की देर शाम तक सिम जारी करने के दौरान जो पता आवेदन फॉर्म में अंकित किया गया था, उस पते के आधार पर उमेश उरांव और विनय कुमार की तलाश में जुटी हुई थी. पुलिस को दोनों नंबरों के कॉल डिटेल में कई ऐसे नंबर मिले हैं, जो लगातार पिछले दो माह से आपस में बातचीत कर रहे थे. इसमे एक नंबर वीअाइपी है, जो माना जा रहा है कि वह अखिलेश सिंह का हो सकता है. फिलहाल सभी मोबाइल नंबरों के असली मालिक की तलाश पुलिस कर रही है. पुलिस की तीन टीम शहर से बाहर. उपेंद्र सिंह हत्याकांड में फरार संजय सिंह उर्फ जोजो, शिवा रेड्डी और हरीश सिंह की गिरफ्तारी के लिए पुलिस की दो टीमें झारखंड की विभिन्न जगहों पर छापेमारी कर रही हैं. इसके अलावा एक अन्य टीम अखिलेश सिंह की तलाश में यूपी और दिल्ली के बॉर्डर पर कैंप की हुई है. पुलिस को जल्द ही सफलता मिलने की संभावना है.
100 करोड़ से ज्यादा के फरजीवाड़े का आरोपी है चिंटू भालोटिया
शहर में काला धंधा और फरजी कंपनियों को संचालित करने वाले गिरोह से चिंटू भालोटिया की सांठगांठ है. अतिरिक्त लाभ दिलाने और हवाला के जरिये कोलकाता के रास्ते शहर में काला कारोबार व धन के लेन-देन करने वाले गिरोह में चिंटू भालोटिया का नाम आ चुका है. चिंटू के खिलाफ आयकर विभाग की इन्वेस्टिगेशन टीम भी जांच कर रही है. यही नहीं, आठ राज्यों की सेंट्रल एक्साइज की इन्वेस्टिगेशन विंग डीजीसीआइ जमशेदपुर में रहकर उसके खिलाफ जांच के बाद कई बार कार्रवाई कर चुकी है.
पुलिस सूत्रों के मुताबिक, अखिलेश सिंह गिरोह से सांठगांठ के मामले में उससे कई बार पूछताछ की जा चुकी है. बताया जाता है कि अखिलेश सिंह तक सारे स्क्रैप व्यापारियों को पहुंचाने और सिंडिकेट बनाने में चिंटू भालोटिया ने अहम भूमिका निभायी है.
यही नहीं, रंगदारी कहां से कितनी ज्यादा मिल सकती है, इसकी पूरी सूची उपलब्ध कराने के साथ ही परिवार में कौन लोग हैं और कैसे दबाव किस व्यापारी पर बनाया जा सकता है, इसकी भी पूरी सूचना चिंटू भालोटिया ने ही उपलब्ध करायी थी, जिसके आधार पर अखिलेश सिंह गिरोह काम करता रहा है. चिंटू भालोटिया 100 करोड़ से ज्यादा का फरजीवाड़ा का आरोपी है.
टेंपो ड्राइवर व सैलून वाले को डायरेक्टर बनाने का आरोप
चिंटू भालोटिया पर टेंपो ड्राइवर से लेकर सैलून में काम करने वाले कई लोगों को विभिन्न कंपनियों का रजिस्ट्रेशन कराने के बाद डायरेक्टर बनाने का आरोप है. उन सारे फरजी डायरेक्टरों की जांच करने के बाद इसके कई प्रमाण भी मिले हैं, लेकिन अब तक उसको लेकर किसी तरह की कोई कार्रवाई उसके खिलाफ नहीं की गयी है.
टाटा स्टील क्वार्टरों पर अखिलेश व गुर्गों का कब्जा
टाटा स्टील के क्वार्टरों की देखरेख की जिम्मेवारी भी अप्रत्यक्ष रूप में अपराधी अखिलेश सिंह और उसके गुर्गों के हाथों में है. एग्रिको से लेकर सिदगोड़ा तक के क्वार्टरों की देखरेख अखिलेश का नजदीकी व्यक्ति करता है, जिसके कारण अधिकांश क्वार्टर खाली पड़े हैं. हालांकि टाटा स्टील व जुस्को के अधिकारी भी इस पर कुछ कहने से बचते रहते हैं और ऐसे लोगों के खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जाती है. सूत्रों के मुताबिक सैकड़ों क्वार्टर ऐसे हैं, जहां अपराधियों ने अपना पनाहगाह बना लिया है और वहां रहकर ही वे आपराधिक गतिविधियां संचालित कर रहे हैं. क्वार्टरों का दुरुपयोग रोक पाने में कंपनी अक्षम साबित हो रही है.
कई बार एमडी ऑनलाइन में उठ चुका है मुद्दा. टाटा स्टील के एमडी ऑनलाइन में भी खाली क्वार्टरों पर दबंगों के कब्जे की शिकायतें दर्ज हो चुकी हैं. लेकिन आज तक कोई कार्रवाई नहीं की गयी है.

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