नोटबंदी का असर. 30 से 40 फीसदी गिरी फ्लैट की कीमत !

जमशेदपुर : केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले से जिले के रियल इस्टेट कारोबार में भी मंदी आ गयी है. आवासीय प्लाॅटों के दामों में 20 से 25 फीसदी तक की गिरावट आ गयी है. कृषि भूमि की खरीद-फरोख्त में 60 से 70 फीसदी तक गिरावट आयी है. निर्माण कार्य थम गये हैं क्योंकि मजदूरों […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 8, 2016 7:28 AM
जमशेदपुर : केंद्र सरकार के नोटबंदी के फैसले से जिले के रियल इस्टेट कारोबार में भी मंदी आ गयी है. आवासीय प्लाॅटों के दामों में 20 से 25 फीसदी तक की गिरावट आ गयी है. कृषि भूमि की खरीद-फरोख्त में 60 से 70 फीसदी तक गिरावट आयी है. निर्माण कार्य थम गये हैं क्योंकि मजदूरों को समय पर पैसे का भुगतान नहीं हो पा रहा है.

शहर के कई इलाकों में फ्लैट की कीमतों में 30 से 40 फीसदी की कमी आयी है. बिल्डर रॉड, सीमेंट, ईंट जैसे जरूरी आइटम भी खरीद नहीं कर पा रहे हैं. कोषागार में स्टांप की खरीद के लिए पुराने नोट मान्य नहीं होने और नयी करेंसी उपलब्ध नहीं होने से लोग जमीन की रजिस्ट्री नहीं करा पा रहे हैं.

सभी स्तर की रजिस्ट्री में 50 फीसदी तक गिरावट : सभी स्तर की रजिस्ट्री में करीब 50 फीसदी तक की गिरावट दर्ज हुई है. 8 नवंबर से लेकर 7 दिसंबर तक में 185 डीड रजिस्ट्री जमशेदपुर में की गयी, जिसकी बदौलत 87,72,535 रुपये का फीस कलेक्शन हो पाया है.

वहीं 8 अक्तूबर से 8 नवंबर तक में 352 रजिस्ट्री हुई. सरायकेला में 8 अक्तूबर से 8 नवंबर तक में जहां 171 डीड हुए, वहीं 8 नवंबर से लेकर 7 दिसंबर तक 101 ही डीड की रजिस्ट्री हो पायी है. चाईबासा में 8 अक्तूबर से 8 नवंबर तक 36 रजिस्ट्री जबकि 8 नवंबर से 7 दिसंबर तक 15 ही रजिस्ट्री हुई है. घाटशिला में 8 नवंबर से 8 दिसंबर तक कुल 57 डीड की रजिस्ट्री हुई जबकि 8 अक्तूबर से 8 नवंबर तक 69 डीड रजिस्टर्ड हुए थे. नोटबंदी का असर इस पर देखा जा रहा है.
जरूरत की चीजें खरीदना प्राथमिकता
लोग करेंसी की किल्लत को देखते हुए रोजमर्रा की घरेलू वस्तुएं खरीदने को प्राथमिकता दे रहे हैं. कैश नहीं होने कारण खरीदार भी नहीं मिल रहे हैं.
-शिबू बर्मन, अध्यक्ष, बिल्डर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया
श्रमिकों को मजदूरी भुगतान का संकट
नोटबंदी से रियल इस्टेट सेक्टर भी प्रभावित हुआ है. पहले रोज चार-छह लोग प्लाटों की जानकारी के लिए आते थे, अभी यह बंद है. कैश नहीं है, मजदूरी देना मुश्किल है
-सुरेश सोंथालिया, अध्यक्ष, सिंहभूम चेंबर

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