अौर तंग किया, तो बंद कर देंगे कंपनी
जमशेदपुर : चांडिल के स्पंज आयरन कंपनियों के खिलाफ प्रदूषण के नाम पर लगातार हो रहे आंदोलन व ब्लैकमेलिंग से परेशान कंपनियों के मालिकों ने कहा है कि अगर उनकी समस्याएं नहीं सुनी गयीं और सरकार से ठोस आश्वासन नहीं मिला तो कंपनियों में ताला लगाकर मुख्यमंत्री को चाभी सौंप देंगे. सरकार तक अपनी बात […]
जमशेदपुर : चांडिल के स्पंज आयरन कंपनियों के खिलाफ प्रदूषण के नाम पर लगातार हो रहे आंदोलन व ब्लैकमेलिंग से परेशान कंपनियों के मालिकों ने कहा है कि अगर उनकी समस्याएं नहीं सुनी गयीं और सरकार से ठोस आश्वासन नहीं मिला तो कंपनियों में ताला लगाकर मुख्यमंत्री को चाभी सौंप देंगे. सरकार तक अपनी बात पहुंचाने के लिए कंपनी मालिकों ने कोल्हान स्पंज आयरन मैनुफैक्चरर एसोसिएशन (केएसएमए) का गठन किया है.
बुधवार को कंपनी मालिकों ने बिष्टुपुर स्थित एक होटल में बैठक की. बैठक में कहा गया कि एक तरफ मेक इन इंडिया के सपने को साकार करने की बात जोर-शोर से उठायी जा रही है, वहीं यहां प्लांट चलाने में परेशानी हो रही है. आज राज्य की सबसे बड़ी और पहली स्पंज आयरन कंपनी ‘बिहार स्पंज आयरन’ बंद हो चुकी है. इसके अलावा वल्लभ स्पंज आयरन, एएमएल स्पंज व पावर लिमिटेड, विमलदीप स्टील लिमिटेड समेत कई कंपनियां बंद हो चुकी है. झारखंड सरकार एक ओर बाहर से उद्योगों को लाने का प्रयास कर रही है, वहीं यहां की कंपनियों को सुरक्षा नहीं मिल पा रही है.
आयरन ओर तक नहीं मिल पा रहा है, जिस कारण हम ओड़िशा पर निर्भर हैं. ऐसे में कभी प्रदूषण तो कभी राजनीतिक फायदे के लिए उनकी कंपनियों में घुसकर परेशान कराया जाता है. बैठक में फैसला लिया कि अगर उनकी आवाज सुनी गयी तो रांची जाकर मुख्यमंत्री से मिलेंगे. अगर ठोस कार्रवाई या आश्वासन नहीं मिला तो कंपनियों में ताला लगा देंगे. बैठक में एमार एलॉयज प्राइवेट लिमिटेड के बिनोद कुमार सिन्हा, जयमंगला स्पंज आयरन लिमिटेड के हरीश कुमार विग, सिद्धि विनायक प्राइवेट लिमिटेड के शंकर अग्रवाल, सीआइएल इंडस्ट्रीज के गौरभ लता, सीआइएल इंडस्ट्रीज के प्रभात चौबे, नरसिंह इस्पात के अजय सिंह समेत अन्य लोग मौजूद थे.
तय मानकों के अनुसार ही चल रही है कंपनी
कंपनी मालिकों ने कहा कि प्रदूषण का सर्टिफिकेट किससे लेना है, यह सरकार को बताना चाहिए. कंपनी मालिकों ने सवाल किया कि प्रदूषण विभाग से जांच कराने के बाद सर्टिफिकेट लेना है या किसी विधायक से सर्टिफिकेट लेना है. बैठक में बताया कि कंपनी का संचालन प्रदूषण विभाग के तय मानकों के मुताबिक और सर्टिफिकेट मिलने के आधार पर ही किया जाता है. सरकार को पर्याप्त टैक्स भी देते हैं. फिर भी बार-बार परेशान किया जाता है.