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फीस के लिए पैसे नहीं मिलने से दुखी छात्रा ने की आत्महत्या, नर्स की भी पढ़ाई कर चुकी थी बिंदु

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जमशेदपुर. एमजीएम थाना क्षेत्र के बेताकोचा गांव की रहने वाली िबंदु ने आत्महत्या के पहले अपना दुख अपने परिवार वालाें से भी साझा नहीं किया.भाई वृंदावन ने बताया कि बिंदु ने एक बार भी पैसे के लिए घर में नहीं बताया. अगर वह फीस जमा करने की अंतिम तिथि की बात बताती, तो उसे आसपास […]

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जमशेदपुर. एमजीएम थाना क्षेत्र के बेताकोचा गांव की रहने वाली िबंदु ने आत्महत्या के पहले अपना दुख अपने परिवार वालाें से भी साझा नहीं किया.भाई वृंदावन ने बताया कि बिंदु ने एक बार भी पैसे के लिए घर में नहीं बताया. अगर वह फीस जमा करने की अंतिम तिथि की बात बताती, तो उसे आसपास के लोगों से मांग कर रुपये दे दिये जाते.
साथ ही, भाभी रेवती ने बताया कि बिंदु शुरू से ही पढ़ने में बहुत तेज थी. परिवार के लोग उसे टीचर बनाना चाहते थे. इसलिए, वह बीएड कर रही थी. इससे पूर्व बिंदु ने झाड़ग्राम के एक कॉलेज से नर्स की ट्रेनिंग भी ली थी. 2014 में नर्स की पढ़ाई करने के लिए वह ट्रेन से झाड़ग्राम जाती थी. उससे पूर्व उसने पटमदा के जानला कॉलेज से बीए की पढ़ाई की थी. बीए उसने प्रथम श्रेणी से पास किया था.
ईंट भट्ठे पर काम भी करती थी बिंदु. भाभी रेवती ने बताया कि पढ़ाई से कुछ समय निकाल कर बिंदु महिलाओं के साथ गांव के एक ईंट भट्ठे पर काम भी करती थी. इससे बिंदु को प्रतिदिन करीब 60-80 रुपये मिल जाते थे. उस पैसे को भी वह घर में लाकर दे देती थी.
पांच बहन और एक भाई. बिंदु पांच बहन और एक भाई है. बहनों में बिंदु चौथे नंबर पर थी. उससे बड़ी दो बहनों और भाई का विवाह हो चुका है. बिंदु के बाद एक छोटी बहन है. वह भी पास के ही स्कूल में पढ़ती है.
ननद नहीं, बेटी की तरह पाला था बिंदु को : रेवती. गांव के परेशान परिवार में शायद ही कोई ऐसा होगा, जिसे आर्थिक और शारीरिक रूप से मदद नहीं किया. लेकिन, आज यह दिन देखना पड़ रहा है कि मेरे ही घर में खर्च चलाने तक के लिए पैसे नहीं हैं. घर में खाने तक के लिए कुछ भी नहीं है. यह बात बिंदु सिंह की भाभी रेवती सिंह रो-रो कर बोल रही थीं. उसने बताया कि उसके घर की आर्थिक स्थिति बहुत खराब है. वे लोग जैसे-तैसे अपना जीवन काट रहे थे. इसी दौरान कर्ज लेकर बिंदु को पढ़ाने का जिम्मा भी उठा रखा था. लेकिन, अब सब कुछ बर्बाद हो गया. हम लोग कहीं के नहीं रहे. बेटी की तरह ननद को पाल-पोस कर बड़ा किया था. उन्हें इस उम्मीद थी कि शिक्षिका बनने के बाद घर की आर्थिक स्थिति ठीक हो जायेगी.
छात्रा की आत्महत्या का कारण नोटबंदी नहीं
छात्रा द्वारा आत्महत्या किये जाने का कारण नोटबंदी नहीं है. कॉलेज में फीस जमा करने के लिए कोई निर्धारित तिथि नहीं होती है. हम जानते हैं कि हमारे कॉलेज में मध्यम व गरीब परिवारों से बच्चे पढ़ने आते हैं. अत: उन पर फीस के लिए कभी दबाव नहीं बनाया जाता. वे अपनी सुविधा के अनुसार फीस जमा करते हैं. उन्हें कोर्स के दौरान दो वर्ष में अपनी सुविधा के अनुसार फीस जमा करनी होती है. फीस एकाउंट पेयी चेक अथवा ड्राफ्ट के माध्यम से जमा ली जाती है. ऐसे में आतमहत्या का कारण नोटबंदी कैसे हो सकती है.
जामिनी कांत महतो, चेयरमैन
(जामिनी कांत बीएड कॉलेज)

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