नीलम पन्ना : नक्सली-माफिया की सांठगांठ से लूट
जमशेदपुर : जिले के नक्सल प्रभावित डुमरिया के गुड़ाबांदा की पावड़ी पहाड़ी, ओड़िशा सीमा से सटे झारपोखरिया के अलावा बारुनमुठी और खरकुगोड़ा सहित 45 पहाड़ियों में पन्ना और नीलम का अकूत भंडार है. इन पहाड़ियों से अवैध रूप से प्रतिदिन 10 से 15 किलोग्राम तक पत्थरयुक्त नीलम और पन्ना निकाला जा रहा है तथा नक्सलियों […]
जमशेदपुर : जिले के नक्सल प्रभावित डुमरिया के गुड़ाबांदा की पावड़ी पहाड़ी, ओड़िशा सीमा से सटे झारपोखरिया के अलावा बारुनमुठी और खरकुगोड़ा सहित 45 पहाड़ियों में पन्ना और नीलम का अकूत भंडार है. इन पहाड़ियों से अवैध रूप से प्रतिदिन 10 से 15 किलोग्राम तक पत्थरयुक्त नीलम और पन्ना निकाला जा रहा है तथा नक्सलियों व स्थानीय माफिया व विभाग की साठगांठ में यह कारोबार बेरोकटोक फल-फूल रहा है. खुफिया विभाग द्वारा राज्य सरकार को भेजी गयी रिपोर्ट में इस बात का खुलासा हुआ है. करीब चार साल पहले इस काले कारोबार का खुलासा हुआ था कि क्षेत्र में नीलम व पन्ना अवैध उत्खनन हो रहा है. लेकिन आज तक सरकार की ओर से इस ओर पहल नहीं की जा सकी.
पुलिस की भी मिलीभगत, जमशेदपुर से जयपुर तक का लिंक : खुफिया रिपोर्ट में पुलिस की भूमिका पर संदेह व्यक्त किया गया है. बताया गया है कि खनन कार्य में बड़ी संख्या में मजदूरों को लगाया जाता है. सुबह होते ही एच- 33 के किनारे श्यामसुंदरपुर के पास मजदूर जुटते हैं. यहां बाइक और पिक अप वैन पर सवार होकर मजदूर गुड़ाबांदा की पावड़ी पहाड़ी, ओड़िशा सीमा से सटे झारपोखरिया के अलावा बारुनमुठी और खरकुगोड़ा सहित 45 पहाड़ियों की तरफ कूच कर जाते हैं. करीब 1000 से 1500 फीट तक की पहाड़ियों के बीच इस क्षेत्र में पन्ना और नीलम पत्थर की खुदाई होती है. रिपोर्ट में बताया गया है कि जयपुर के मोतीडगरी रोड स्थित एक होटल में झारखंड के लोग पन्ना लेकर पहुंचते हैं. वहीं सौदेबाजी होती है. यह सिलसिला बीते कई वर्षों से चला आ रहा है. झारखंड की खदानों से निकलने वाला पन्ना और नीलम जयपुर की मंडियों में पहुंच रहा है. दरअसल, जयपुर पन्ना कारोबार के मामले में देश का एक प्रमुख केंद्र है. यहां पन्ना का सालाना कारोबार 800 करोड़ रुपये का है. पन्ना की कटिंग में जयपुर में करीब एक हजार कंपनियों में पचास हजार लोग लगे हुए हैं. जयपुर में सबसे ज्यादा पन्ना जांबिया, कोलंबिया व ब्राजील से आता है. इसमें जमशेदपुर का अवैध पन्ना भी शामिल है. जयपुर के व्यापारी इसे मामूली मानते हैं फिर भी 100 करोड़ रुपए का सालाना कारोबार होता है.
कई स्थानीय मजदूर भी हैं पन्ना के पारखी
रिपोर्ट में बताया गया है कि वर्षां से पन्ने की खुदाई में जुटे कई मजदूर इतने पारखी हो चुके हैं कि वे पत्थर देख कर बता देते हैं कि इसकी बाजार में कीमत मिलेगी. ऐसे पन्ना और नीलम की खुदाई करने वाले पारखी मजदूरों की भी खूब मांग है.ऐसे मजदूरों को अलग से पैसे दिये जाते हैं. इस काले कारोबार में ठगी का खेल भी खूब चलता है. कभी दलाल व्यापरियों को ठग लेते हैं, तो कभी व्यापारी उम्दा किस्म का पन्ना सस्ते में खरीद कर चले जाते हैं.
ओड़िशा, कोलकाता पटना में होती है बिक्री
खुफिया विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक गुड़ाबांदा और डुमरिया व आसपास के लोग पन्ने की खुदाई के बाद इसे ओड़िशा, कोलकाता, पटना और जयपुर समेत अन्य स्थानों के कारोबारियों को बेच देते हैं. इस सिलसिले में पिछले साल लाखों रुपए मूल्य के पन्ने के साथ जयपुर तथा पटना के दो रत्न कारोबारियों को गिरफ्तार किया गया था.