पीपीपी मोड में बनेगी स्मार्ट कॉलोनी
आदित्यपुर. झारखंड राज्य आवास बोर्ड द्वारा आदित्यपुर में अपनी पहले से अधिगृहित भूमि पर पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर स्मार्ट कॉलोनी बनवायेगा. इसके लिए चिह्नित दस एकड़ भूखंड का निरीक्षण करने आये आवास बोर्ड के एमडी आशीष सिंहमारे ने बताया कि इस भूखंड पर कुछ अतिक्रमण है, उन्हें नोटिस दी जा चुकी है. कॉलोनी के […]
आदित्यपुर. झारखंड राज्य आवास बोर्ड द्वारा आदित्यपुर में अपनी पहले से अधिगृहित भूमि पर पीपीपी (पब्लिक-प्राइवेट पार्टनरशिप) मोड पर स्मार्ट कॉलोनी बनवायेगा. इसके लिए चिह्नित दस एकड़ भूखंड का निरीक्षण करने आये आवास बोर्ड के एमडी आशीष सिंहमारे ने बताया कि इस भूखंड पर कुछ अतिक्रमण है, उन्हें नोटिस दी जा चुकी है. कॉलोनी के निर्माण के लिए अगले माह एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट निकाला जायेगा.
जिसमें बिल्डर आयेंगे. उनसे जानकारी ली जायेगी कि कॉलोनी कैसे बनेगी और उन्हें कैसे बेचा जायेगा. मॉडल पसंद करने के बाद इसका टेंडर निकाला जायेगा. कॉलोनी के मकानों का आवंटन लॉटरी से किया जायेगा. आवास बोर्ड के पास पर्याप्त कोष नहीं है, इसलिए पीपीपी मोड पर ही कॉलोनी बनवाये जाने की अधिक संभावना है.
कॉलोनी में होगी आधुनिक व्यवस्था. श्री सिंहमारे ने बताया कि स्मार्ट कॉलोनी में आधुनिक व्यवस्था होगी. इसमें अस्पताल, स्कूल, व्यवसायिक स्थल के अलावा कई स्मार्ट फीचर उपलब्ध कराये जायेंगे.
हुरलुंग व चाईबासा में भी होगी कॉलोनी. आवास बोर्ड के एमडी श्री सिंहमारे ने बताया कि पूरे राज्य में 15 से 20 जगहों पर स्मार्ट कॉलोनी बनाये जाने की योजना है. इसके लिए हुरलुंग व चाईबासा में पांच-पांच एकड़ सरकारी जमीन की व्यवस्था की गयी है. इसके अलावा हजारीबाग में 22 एकड़, देवघर में 17 एकड़, बोकारो में 10 एकड़ व धनबाद में 6 एकड़ सरकारी जमीन चिह्नित की गयी है. वहीं, रांची के सांगा में 50 एकड़ सरकारी जमीन व 50 एकड़ निजी जमीन चिह्नित किये गये हैं. अधिग्रहण का काम प्रक्रिया में हैं. इसके लिए 150 करोड़ का डीपीआर फाइनल स्तर पर है. कर्मचारियों की कमी दूर होगी. आवास बोर्ड में कर्मचारियों की कमी दूर की जायेगी. इसके लिए 39 पद चिह्नित किया गया है. इसकी अनुबंध पर बहाली होगी. इसके अलावा आउटसोर्सिंग के तहत प्रोग्राम मैनेजमेंट यूनिट का चयन किया जा चुका है. इसमें कंपनी का चयन कर छह कर्मचारियों को हायर किया गया है.
खुद जमीन खरीदेगा बोर्ड
आवास बोर्ड नयी कॉलोनियों को बसाने के लिए भूमि अधिग्रहण की जगह सरकारी जमीन लेने पर अधिक जोर दे रहा है. साथ ही बिल्डरों की भांति जमीन मालिकों से निजी जमीन खरीदने का भी प्रयास करेगा. बोर्ड द्वारा खुद जमीन खरीदने का प्रस्ताव सरकार के पास भेजा गया है.