जुस्को श्रमिक यूनियन में आरोप-प्रत्यारोप का दौर, कोर्ट से राहत की उम्मीद नहीं

जमशेदपुर : जुस्को श्रमिक यूनियन में आरोप-प्रत्यारोप का दौड़ शुरू हो गया है. विपक्ष इस मामले को लेकर झारखंड हाइकोर्ट गया है लेकिन कोर्ट से राहत की उम्मीद नहीं है. चूंकि, तीन जनवरी 2017 को साकची उत्कल एसोसिएशन में आमसभा और चुनाव साथ ही साथ होना है और झारखंड हाइकोर्ट तीन जनवरी को ही खुलेगा. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | December 30, 2016 7:41 AM
जमशेदपुर : जुस्को श्रमिक यूनियन में आरोप-प्रत्यारोप का दौड़ शुरू हो गया है. विपक्ष इस मामले को लेकर झारखंड हाइकोर्ट गया है लेकिन कोर्ट से राहत की उम्मीद नहीं है. चूंकि, तीन जनवरी 2017 को साकची उत्कल एसोसिएशन में आमसभा और चुनाव साथ ही साथ होना है और झारखंड हाइकोर्ट तीन जनवरी को ही खुलेगा. ऐसे में यह संभव नहीं है कि तत्काल इस पर रोक लग जायेगा.
रघुनाथ, एसएल दास व श्रीलाल रिटायर : जुस्को श्रमिक यूनियन के अध्यक्ष रघुनाथ पांडेय और महामंत्री एसएल दास के साथ कार्यकारी अध्यक्ष श्रीलाल भी रिटायर हो चुके हैं. इन तीनों का को-ऑप्शन होना है, जिसको लेकर तैयारी की जा रही है. संविधान के मुताबिक, तीन लोगों का को-ऑप्शन किया जा सकता है, ऐसा दावा सत्ता पक्ष की ओर से किया जा रहा है.
आपत्ति वाले खुद गिरेबां में झांके : महामंत्री
महामंत्री एसएल दास ने कहा है कि श्रीकांत देव जुस्को टाउन इलेक्ट्रिकल विभाग के यूनियन प्रतिनिधि के रूप में 2006 से 2011 के यूनियन चुनाव छोड़कर अभी तक यूनियन प्रवक्ता हैं जो कमेटी सदस्यों द्वारा समर्थित हैं. श्री दास ने कहा कि आमसभा व चुनाव से पूर्व प्रवक्ता पर आपति क्यों नहीं थी.
श्रीकांत बतायें किस संविधान से प्रवक्ता बनाये हैं : डीके सिंह
उपाध्यक्ष डीके सिंह ने कहा है कि श्रीकांत देव यह क्यों नहीं बताते हैं कि संविधान के किस धारा के तहत वे प्रवक्ता बने हैं. चुनाव हारने के बाद भी प्रवक्ता उनको किस नियम से बनाया गया था, यह बताया जाये.
श्रीकांत देव ने डीके पर बोला हमला
जुस्को के प्रवक्ता श्रीकांत देव ने उपाध्यक्ष डीके सिंह पर हमला बोला है. कहा कि 3 जनवरी 2017 को यूनियन आमसभा को देख डीके सिंह संतुुुलन खो रहे हैं. उन्हें मालूम होना चाहिए कि संविधान के मुताबिक आमसभा में किसी भी तीन व्यक्ति को को-ऑप्शन के लिए लाया जा सकता है. को-ऑप्शन के बाद पदाधिकारी बनने के लिए सीक्रेट बैलेट में आना ही पडता है, चुनाव जीतने के लिए मतदान प्रक्रिया से गुजरना ही पड़ता है. जब 4 जनवरी 2014 को आमसभा तथा 3 जनवरी 2015 को आमसभा हुई थी जिसमेें डीके सिंह का समर्थन और सहमति प्राप्त था तो फिर आज वही व्यवस्था क्यों नहीं हजम हो रहा है.

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